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राजस्थान: बीकानेर-जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, किए गए बर्खास्त

बीकानेर-जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को बर्खास्त कर दिया गया है। डॉ कुमार पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप साबित हुआ है।

Reported By : Manish Bhattacharya Edited By : Rituraj Tripathi Published : Aug 26, 2025 11:12 pm IST, Updated : Aug 26, 2025 11:21 pm IST
Dr Arun Kumar- India TV Hindi
Image Source : AGRICULTURE UNIVERSITY JODHPUR/WEBSITE डॉ अरुण कुमार

जोधपुर: बीकानेर-जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बर्खास्तगी का आदेश जारी किया है। डॉ कुमार पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप साबित हुआ है। जांच में निधि का दुरुपयोग और अवैधानिक नियुक्तियां उजागर हुई हैं।

इसके बाद सरकार की सलाह पर राजभवन ने बड़ा फैसला लिया है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हुआ और कुलपति पद से डॉक्टर अरुण को हटा दिया गया है।

डॉ अरुण कुमार के खिलाफ सामने आई थीं गंभीर शिकायतें

डॉ अरुण कुमार के खिलाफ गंभीर शिकायतें सामने आई थीं, जिसके बाद उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया गया है। एक विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाया जाना एक गंभीर और बड़ा मामला है, जिसकी हर तरफ चर्चा भी हो रही है। 

जांच में ये सामने आया था कि डॉ अरुण कुमार ने प्रावधानों का कार्यान्वयन करने में जानबूझकर देरी की और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। इसके बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश जारी कर दिया गया है।

किसी विश्वविद्यालय के कुलपति को कैसे बर्खास्त किया जा सकता है?

किसी कुलपति के खिलाफ भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता, कदाचार, या प्रशासनिक लापरवाही जैसे गंभीर आरोप लगाए जाते हैं तो कुलपति को नियमानुसार जांच करवाकर हटाया जा सकता है। शिकायतें छात्रों, कर्मचारियों, या अन्य हितधारकों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन, राज्य सरकार, या राज्यपाल (जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होते हैं) को लिखित रूप में की जा सकती हैं और कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की दिशा में कदम बठाया जा सकता है।

शिकायत मिलने पर, राज्यपाल या विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के निर्देश पर प्रारंभिक जांच शुरू की जाती है। यदि प्रारंभिक जांच में आरोपों में सत्यता पाई जाती है, तो एक औपचारिक जांच समिति गठित की जा सकती है। जांच समिति अपनी रिपोर्ट कुलाधिपति (राज्यपाल) को सौंपती है। यदि कुलपति दोषी पाए जाते हैं, तो समिति बर्खास्तगी या निलंबन की सिफारिश कर सकती है। 

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