Thursday, April 25, 2024
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डेब्यू टेस्ट में सुनील गावस्कर ने मचाया था धमाल, 49 सालों से नहीं टूट पाया है यह रिकॉर्ड

घरेलू स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के कारण ओपनर बल्लेबाज के तौर पर वेस्टइंडीज दौरे पर गये गावस्कर किंग्सटन में पहले टेस्ट मैच में नहीं खेल पाये थे।

Bhasha Edited by: Bhasha
Published on: April 19, 2020 13:30 IST
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Image Source : GETTY Sunil Gavaskar

भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने 19 अप्रैल 1971 को वेस्टइंडीज की धरती पर एक ऐसा रिकॉर्ड स्थापित किया था जो 49 साल बाद भी अछूता है – डेब्यू टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड। गावस्कर ने पांच टेस्ट मैचों की उस सीरीज के चार मैचों में 774 रन बनाये थे। उन्होंने तब वेस्टइंडीज के ही जार्ज हैडली का 51 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था जिन्होंने 1930 में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी सरजमीं पर चार टेस्ट मैचों में 703 रन बनाये थे। 

घरेलू स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के कारण ओपनर बल्लेबाज के तौर पर वेस्टइंडीज दौरे पर गये गावस्कर किंग्सटन में पहले टेस्ट मैच में नहीं खेल पाये थे। उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन में दूसरे टेस्ट में डेब्यू किया तथा 65 और नाबाद 67 रन की अर्धशतकीय पारियां खेली। इस पूरी सीरीज में केवल एक पारी को छोड़कर गावस्कर ने प्रत्येक पारी में 50 से अधिक रन बनाये। इनमें चार शतक भी शामिल हैं। 

अंतिम टेस्ट में लगी रिकॉर्डों की झड़ी

पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गये सीरीज के पांचवें और अंतिम टेस्ट मैच में तो उन्होंने रिकार्डों की झड़ी लगा दी थी। यही वजह थी इस सीरीज में गावस्कर के प्रदर्शन से ही प्रेरित होकर त्रिनिदाद के लॉर्ड रिलेटर यानि विलार्ड हैरिस ने कैलिप्सो लिखा था कि वेस्टइंडीज गावस्कर को आउट ही नहीं कर सकता। 

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पोर्ट ऑफ स्पेन में पांचवें टेस्ट मैच में भारतीय कप्तान अजित वाडेकर ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। गावस्कर ने पहली पारी में 124 रन की लाजवाब पारी खेली। भारत ने 360 रन बनाये जिसके जवाब में वेस्टइंडीज ने 526 रन बनाये। स्वाभाविक था भारतीय टीम दबाव में थी। ऐसे में गावस्कर ने जिम्मा संभाला और 220 रन की लाजवाब पारी खेली। 

विजय हजारे के बाद ऐसा करने वाले बने थे पहले बल्लेबाज

वह विजय हजारे (1947-48) के बाद टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गये थे। वह डग वाल्टर्स के बाद एक टेस्ट मैच में शतक और दोहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के दूसरे बल्लेबाज बन गये थे।

यह नहीं भूलना चाहिए कि मैच की पूर्व संध्या से ही गावस्कर के दांत में दर्द था और उन्होंने इस दर्द के साथ यह पूरा मैच खेला था। अपनी इन दो पारियों से गावस्कर ने सीरीज में अपनी रन संख्या 774 रन पर पहुंचा दी। तब से लेकर आज तक कोई भी बल्लेबाज अपनी डेब्यू टेस्ट सीरीज में इससे अधिक रन नहीं बना पाया। 

डेब्यू टेस्ट में नहीं कर पाया कोई ऐसा

इसके बाद विव रिचर्डस (इंग्लैंड के खिलाफ 1976 में 829 रन), मार्क टेलर (इंग्लैंड के खिलाफ 1989 में 839 रन) और ब्रायन लारा (इंग्लैंड के खिलाफ 1993-94 में 798 रन) ने एक सीरीज में गावस्कर से अधिक रन बनाये। पिछले साल आस्ट्रेलिया के स्टीवन स्मिथ ने इंग्लैंड के खिलाफ 774 रन बनाकर गावस्कर की बराबरी की लेकिन यह उनकी डेब्यू सीरीज नहीं थी। 

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वैसे एक सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड सर डान ब्रैडमैन के नाम पर है जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1930 में 974 रन बनाये थे। गावस्कर की पोर्ट ऑफ स्पेन में खेली गयी शानदार पारियों ने भारत को जीत की राह पर ला दिया था। कहते हैं कि तब वाडेकर ने गैरी सोबर्स को गावस्कर से हाथ नहीं मिलाने दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि वेस्टइंडीज का यह दिग्गज इससे बड़ी पारी खेलने में सफल रहेगा और वेस्टइंडीज 262 रन का लक्ष्य हासिल कर लेगा। 

सोबर्स दूसरी पारी में खाता भी नहीं खोल पाये और वेस्टइंडीज आठ विकेट पर 165 रन बनाकर बमुश्किल मैच ड्रॉ करा पाया था। 

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