Thursday, May 09, 2024
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Sakshi malik Exclusive: ‘तीन मिनट बाकी है अटैक कर ज्यादा’ गोल्ड मेडल मुकाबले की कहानी साक्षी मलिक की जुबानी

Sakshi malik Exclusive: साक्षी मलिक ने इंडिया टीवी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के अपने गोल्ड मेडल बाउट के अलावा कई और मुद्दों पर बात कीं। साथ ही बताया कि देश की लड़कियों को प्रेरित करने के लिए वह और क्या कर रही हैं।

Ranjeet Mishra Written By: Ranjeet Mishra
Published on: August 26, 2022 20:15 IST
Sakshi Malik Exclusive- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Sakshi Malik Exclusive

Highlights

  • साक्षी मलिक की जुबानी गोल्ड मेडल की कहानी
  • साक्षी मलिक ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जीता था गोल्ड मेडल
  • 2016 रियो ओलंपिक में साक्षी ने जीता था ब्रॉन्ज

Sakshi malik Exclusive: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जब भारतीय महिला पहलवान गोल्ड मेडल मुकाबले के लिए मैट पर पहुंची तब पूरे स्टेडियम में सिर्फ एक ही नारा लग रहा था। साक्षी... साक्षी... साक्षी... साक्षी। महिलाओं के 62 किलो वर्ग के फाइनल बाउट में साक्षी मलिक का मुकाबला कनाडा की रेसलर गोंजालेज से हुआ। एक वक्त पर मलिक 0-4 से पीछे थीं, जिसके बाद उन्होंने एक ऐसा दांव लगाया जिससे एक झटके में उन्होंने विरोधी खिलाड़ी को चित करके मुकाबले को जीत लिया।  

साक्षी मलिक ने इंडिया टीवी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के अपने गोल्ड मेडल बाउट के अलावा कई और मुद्दों पर बात कीं। साथ ही बताया कि देश की लड़कियों को प्रेरित करने के लिए वह और क्या कर रही हैं।

आपने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जबरदस्त वापसी की। आप इससे पहले और इससे बाद की अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी के बारे में क्या कहना चाहती हैं?

हर एथलीट को खराब वक्त से गुजरना पड़ता है। ऐसे वक्त में परिवार और कोच का रोल काफी अहम हो जाता है। मुझे परिवार, कोच और खासकर पति से काफी सपोर्ट मिला। उन्होंने मुझे कभी खुद पर शक करने का मौका नहीं दिया। वक्त भले ही खराब था लेकिन में लगातार अच्छे से ट्रेनिंग कर रही थी और सोच रही थी कि मैं कैसे अपने खेल को और बेहतर बना सकती हूं। मैंने हमेशा खुद पर विश्वास बनाए रखा जिसका नतीजा सबके सामने है।

जब आप कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुनी गईं तब आपके दिमाग में क्या चल रहा था?

देखिए, कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए मेरा चयन हुआ। मैं बेहद खुश थी क्योंकि किसी एथलीट को लगातार तीन गेम्स में खेलने का मौका बहुत कम मिलता है। मैं ब्रॉन्ज और सिल्वर पहले जीत चुकी थी। इस बार मैं हर कीमत पर गोल्ड जीतना चाहती थी।

आप CWG में अपने फाइनल मैच के आखिरी मिनटों के बारे में बताइये।

उस वक्त भावनाओं का सैलाब बह रहा था। देखिए, कुश्ती के मुकाबले पलक झपकते ही सिर के बल खड़े हो सकते हैं। पिछले मैच में, मैं पीछे थी पर मैंने सोचा, ‘अभी तो तेरे पास तीन मिनट बाकी हैं, अटैक कर ज्यादा’। फिर जब मैंने अटैक किया, तो पासा पलट गया, मैंने गोल्ड मेडल जीत लिया।

साक्षी मलिक के खेलने का स्टाइल क्या है? आपको देखकर नहीं लगता कि आप कभी डिफेंसिव होती हैं।

मैं हमेशा अटैकिंग गेम खेलने की कोशिश करती हूं। मुझे पता है कि अगर मैं डिफेंसिव खेलूंगी तो ये बैकफायर कर सकता है। मैं अटैकिंग खेलकर ज्यादा स्कोर करती हूं। मैं हमेशा पहला मूव बनाना पसंद करती हूं।

क्या आप अलग-अलग विरोधियों के लिए अलग-अलग तरीके से ट्रेनिंग करती हैं।

ट्रेनिंग में ज्यादा बदलाव नहीं आता। विरोधी खिलाड़ी के वीडियो को देखकर तैयारी में थोड़ा अंतर आता है। फिलहाल हमारा पूरा फोकस एशियन गेम्स पर है, मैं उसकी तैयारी कर रही हूं।

क्या अब आप इस खेल और समाज के लिए खुद को ज्यादा जिम्मेदार मानती हैं?

जीत से लोगों का माइंडसेट बदला है। अब लोग रेसलिंग को सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं मानते। हां ये मेरी जिम्मेदारी है कि मैं बढ़िया प्रदर्शन करूं, इससे मैं और लड़कियों को प्रेरित कर सकती हूं।

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