नौकरी करने वाले कई हजार लोगों के बीच एक सर्वे किया गया है, जिसमें इस बात की जानकारी सामने आई है कि आज के समय में लोग क्या सोचते हैं। इस सर्वे रिपोर्ट में कई खुलासे भी हुए हैं।
आरबीआई ने महंगाई पर शिकंजा कसने के लिये कदम उठाने में देरी की। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इससे इनकार किया और कहा कि उसने समय रहते पहल की है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सत्र में पिछले हफ्ते तक गेहूं खेती का रकबा तीन प्रतिशत बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया।
Inflation Uncontrollable in Israel: वर्ष 2022 दुनिया के कई देशों के लिए बहुत बुरा साबित हुआ है। यह वर्ष पाकिस्तान से लेकर वेनेजुएला और श्रीलंका की आर्थिक हालत खराब कर चुका है। अब इस वर्ष ने जाते-जाते इजरायल में भी खतरे की घंटी बजा दी है। सरकारी आंकड़े इजरायल की भयावह तस्वीर दिखा रहे हैं।
नवंबर 2021 में थोक महंगाई यानि WPI 14.87 फीसदी थी थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति 19 महीने तक दहाई अंकों में रहने के बाद अक्टूबर में घटकर 8.39 फीसदी हो गई थी।
भारत में जो हाल की स्थिति है, उसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता है कि देश में मंदी आने वाली है। एक तरफ महंगाई दर कम हो रही है तो वहीं दूसरे तरफ कार की बिक्री में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
पिछले महीने जब अक्टूबर के महंगाई के आंकड़े जारी हुए थे तो उसमें उससे पहले के महीने की तुलना में महंगाई कम देखी गई थी। उसके बावजूद भी आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया लेकिन अब ये जानकारी सामने आई है कि आगे से रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं होगी।
अमेरिका में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वहां महंगाई अपने चरम पर है। लोगों के पास पैसे की कमी है। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि हर तीन में से दो अमेरिकी अपना राशन बिल तक नहीं भर पा रहे हैं। पूरी रिपोर्ट खबर में पढ़ें।
बिहार में महंगाई की दर 5.84 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 6.80 प्रतिशत और मघ्य प्रदेश में 7.49 प्रतिशत दर्ज की गई।
भारत में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई कम हुई है। मंदी से जूझ रही दुनिया के कई देशों की तुलना में हमारे लिए अच्छी खबर है। भारत में मंदी आने की भी संभावना बेहद कम है। पढ़िए महंगाई दर कम होने का असर आम जनता पर कितना पड़ेगा।
भारत की जनता के लिए आज एक अच्छी खबर आई है। देश में अब महंगाई पिछले 18 महीने के न्यूनतम स्तर पर चली गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसका फायदा आम जनता को नहीं मिलेगा। आइए जानते हैं कि ऐसा कहने के पीछे का क्या कारण है?
आज खुदरा महंगाई के आंकड़े भी आएंगे। इसमें भी राहत की उम्मीद संभावना जताई जा रही है। गौरतलब है कि खुदरा महंगाई अक्टूबर में 7 फीसदी के पार पहुंच गई है।
सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी। अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति आंकड़े सोमवार को जारी होंगे।
चुनौतियों का बड़ा कारण कच्चे तेल का आयात है। हम अपनी कुल कच्चे तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करते हैं। बाहरी कारणों से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ रहा है। हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
Ukraine's GDP fell sharply deu to War:रूस के साथ चल रहे युद्ध ने नौ महीने में यूक्रेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अब तक इतनी बड़ी गिरावट कर दी है कि उसका जल्द उबर पाना अब मुश्किल लग रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन को युद्ध के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
Inflation hit in New Zealand and Greece:श्रीलंका, पाकिस्तान और वेनेजुएला जैसे देश तो महंगाई से पहले ही बर्बाद हो चुके हैं। इसके बाद अब बड़े देश लगातार महंगाई की चपेट में आ रहे हैं। इस कड़ी में ब्रिटेन के बाद अब ग्रीस और न्यूजीलैंड में महंगाई बेकाबू होने लगी है। इससे आमजनता का धैर्य भी जवाब दे रहा है।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर सिर्फ इन दो देशों पर ही नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्कों पर पड़ा है। यही वजह है कि यूरोप के कई देशों में महंगाई चरम पर है और जनता सड़क पर उतरने लगी है।
भारतीय रिजर्व बैंक इस समय चौतरफा मुश्किलों से घिरा है। एक ओर रुपया गिर रहा है वहीं महंगाई बढ़ रही है। आरबीआई हर मोर्चे पर फेल होता दिख रहा है। लेकिन शक्तिकांत दास ने इसका बचाव किया है।
खाद्य मुद्रास्फीति की दर इस साल अगस्त में 6.46 प्रतिशत तथा इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में 2.26 प्रतिशत की तुलना में सितंबर, 2022 में 7.76 प्रतिशत रही।
जानकारों का कहना है कि इस बैठक में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई सख्त फैसले ले सकता है। एक बार ब्याज दरों में और बड़ी बढ़ोतरी की जा सकती है।
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