केजरीवाल ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के नाम पर कुछ लोग करोडों रुपये कमा रहे हैं और बीजेपी वालों को पोस्टर लगाने का काम दे दिया।
फिल्म के लेखक सौरभ ने अपने विचार साझा किए कि इतिहास को याद रखना क्यों महत्वपूर्ण है।
जो दस्तावेज सामने आ रहे हैं वे इस बात का सबूत हैं कि फारूक अब्दुल्ला को कश्मीर में पंडितों के खिलाफ हो रही साजिश का अंदेशा था।
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की आलोचना संबंधी अपनी एक टिप्प्णी के जवाब में उसने हिंदू देवताओं के लिए कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी लिखी थी, जिससे नाराज कुछ लोगों ने उससे मारपीट की और उसे मंदिर में नाक रगड़ने को मजबूर किया तथा माफी मांगने को कहा।
मध्य प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी नियाज खान ने यह सलाह दी थी कि द कश्मीर फाइल्स की कमाई को कश्मीरी पंडितों की भलाई के लिए डोनेट कर दिया जाए।
विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्र हित को लेकर मेरी स्थिति कांग्रेस पार्टी के साथ मेल नहीं खाती है।
‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर सियासी घमासान रुकने का नाम नही ले रहा है। ताजा मामला राजस्थान से है,यहां प्रशासन के द्वारा कोटा जिले में एक महीने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई। सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष अब सरकार को घेरने में जुट गया है।
दोनों फिल्मों के सोमवार की कलेक्शन की बात करें तो वीकेंड के मुकाबले कम हुए हैं।
अमरावती शहर के लाल पूल इलाके में अचलपुर के एक सिनेमा हॉल से फिल्म देखकर लौट रहे युवकों के एक ग्रुप ने जय श्री राम का नारा लगाया। उसी इलाके के आज़ाद नगर में रहने वाले एक अन्य युवकों के ग्रुप ने इसका विरोध किया। जिसके बाद दोनों ग्रुप आपस में भिड़ गए।
राम गोपाल वर्मा ने आगे कहा कि मुझे 'द कश्मीर फाइल्स' से नफरत है क्योंकि मैंने जो भी सीखा, इस फिल्म ने सब बर्बाद कर दिया।
अखिलेश ने विधानसभा चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कहा कि एमएलसी चुनाव पर भी हमें प्रशासन से लड़ना होगा। अखिलेश ने कहा कि मुरादाबाद में 1 लाख 47 हजार वोट पाने वाले की काउंटिंग ढाई घंटे रोक दी गई।
विवेक अग्निहोत्री द्वारा अभिनीत और अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी द्वारा अभिनीत 'द कश्मीर फाइल्स' 11 मार्च को रिलीज हुई थी।
अनुपम खेर ने एक वीडियो शेयर किया और अपनी मां दुलारी से फिल्म के बारे में उनकी राय ली।
कश्मीरी संगठन व्यक्तिगत रूप से या संयुक्त रूप से इस मुद्दे को उठा सकते हैं और वर्तमान सक्षम जम्मू-कश्मीर सरकार को एसआईटी या न्यायिक आयोग बनाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इन दुर्भाग्यपूर्ण प्रवासी हिंदुओं को न्याय दिलाने की जरूरत है, जिनकी आवाज पिछले 32 सालों से कभी नहीं सुनी गई।
विवेक अग्निहोत्री ने 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर उठ रहे विवादों पर कहा, “फिल्म में कोई विवाद ही नहीं है। भला आतंकवाद पर कोई विवाद हो सकता है क्या। दरअसल कश्मीर एक व्यवसाय है और इस फिल्म से बहुत से लोगों की दुकान बंद हो रही हैं, इसीलिए विवाद उठ रहा है।”
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ अत्याचारों को उजागर करने वाली फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' लोगों के दिलों को छूने में सफल रही है।
संजय राउत ने कहा, “कश्मीर से हिंदू पंडितों के पलायन, उनकी हत्याओं, उन पर किए गए अत्याचारों और उनके गुस्से पर आधारित फिल्म परेशान करती है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि फिल्म के जरिये हिंदू-मुसलमानों को फिर से बांटने और चुनाव जीतने का प्रयास किया जा रहा है।”
द कश्मीर फाइल्स 11 मार्च को रिलीज़ हुई थी। फिल्म 1990 में कश्मीर विद्रोह के दौरान कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी पर आधारित है।
युवक शुक्रवार रात 'द कश्मीर फाइल्स' का आखिरी शो देखने सिनेमा हॉल गए थे। फिल्म की स्क्रीनिंग समाप्त होने के बाद, तीनों ने सिनेमा हॉल से बाहर निकलते समय राष्ट्रवादी नारे लगाए।
संजय राउत ने कहा कि, कश्मीर पर एक फिल्म बनी है। लेकिन सच छुपाया गया है और बहुत सारी झुठी कथाएं दी गई है। भाजपा इस फिल्म का प्रचार कर रही है तो भाजपा के समर्थक इस फिल्म को देखेंगे ही। अभी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा, फिल्म के निर्देशक को पद्मश्री दिया जाएगा।
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