Thursday, May 09, 2024
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उमेश पाल हत्याकांड में सबसे बड़ा खुलासा, जानें कैसे माफिया अतीक अहमद ने रचा था मर्डर प्लान

राजू पाल और उमेश पाल हत्याकांड में अबतक का सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। माफिया अतीक अहमद ने किस तरह बनाई थी हत्या की प्लानिंग और कैसे फरार हुए आरोपी-जानिए हर एक बात-

Written By : Abhay Parashar, Vishal Pratap Singh Edited By : Kajal Kumari Published on: April 09, 2023 14:33 IST
umesh pal murder case planning- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अतीक अहमद ने कैसे रची थी हत्या की साजिश

प्रयागराज: उमेश पाल और राजू  पाल हत्या कांड में अबतक का सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। 11 परवरी को अतीक के दफ्तर में पूरा प्लान तैयार किया गया था। मीटिंग के बाद बरेली जेल में उमेश पाल के मर्डर से पहले शूटर्स ने जेल में अतीक के भाई अशरफ से मुलाकात की थी। बरेली जेल में करीब तीन घंटे शूटर्स और अशरफ के बीच मीटिंग चली थी और पूरे प्लान के तहत हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। दिल्ली से अतीक अहमद के बेटे असद के तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है।

अतीक़ के पुराने कार्यालय में प्रयागराज पुलिस ने छापेमारी की है जिसमें पता चला कि अतीक़ के इसी दफ्तर में उमेश पाल की हत्या से पहले फरारी की प्लानिंग हुई थी। दो दिन पहले प्रयागराज पुलिस की टीम ने छापेमारी की है। अतीक़ के दफ्तर के फर्स्ट फ्लोर के हॉल की अलमारी से यूपी पुलिस ने शाइस्ता और असद की फरारी से जुड़े कई दस्तावेज बरामद किए हैं।

मर्डर से पहले फरारी की बनी थी प्लानिंग

छापेमारी में पता चला है कि हत्या से पहले पूरा मैप बनाकर पूरा रूट सबके साथ डिसकस करके फरारी हुई थी। इसी दफ्तर से हुई छापेमारी में 75 लाख रुपए, और 10 हथियार पुलिस ने अतीक़ के गुर्गों की निशानदेही पर बरामद किए थे। पुलिस को पता लगा था कि तीन दिन पहले देर रात इस दफ्तर में अतीक़ के कुछ गुर्गों ने यहां से कुछ कागजात ले जाने की कोशिश की थी। ये भी पता चला है कि अतीक़ के गुर्गे सबूत मिटाने आए थे, जिसके बाद पुलिस दो दिन से इस दफ्तर पर नजर बनाए हुए है।

शाइस्ता ने दिया था आदेश 

हत्याकांड से एक हफ्ते पहले शाइस्ता परवीन, असद और गुड्डू मुस्लिम ने हत्या के बाद कैसे फरार होना है, सबने बाकायदा मैप बनाकर प्लान किया था। इसके लिए शाइस्ता ने आदेश दिया था कि कोई मोबाइल का इस्तेमाल नही करेगा। फर्स्ट फ्लोर की अलमारी में काफी संख्या में अतीक़ और शाइस्ता से जुड़े कागजात मिले हैं। जल्द यूपी पुलिस इन्हें यहां से कहीं और शिफ्ट कर सकती है।

अतीक के बेटे असद के तीन मददगार गिरफ्तार

अतीक के बेटे असद की मदद करने के मामले में तीन शख्स गिरफ्तार किए गए हैं। इन सबको दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ये सभी आर्म्स एक्ट में  गिरफ्तार हुए हैं। गिरफ्तार किए गए युवकों में से एक का नाम जावेद है, दूसरे का नाम आरिफ है जो अतीक का ड्राइवर बताया जाता है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उमेश पाल हत्या के तुरंत बाद असद मार्च के पहले हफ्ते में दिल्ली आया था और करीब 15 दिन दिल्ली में आकर रुका था। असद दिल्ली के संगम विहार इलाके में किसी जानकार के यहां रुका था। 

हत्या मामले में फिर से मुकदमा दर्ज 

24 फरवरी को उमेश पाल और दो पुलिस कर्मियों की हत्या से सम्बन्धित मुक़दमे में, थाना धूमनगंज में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए अभियुक्त राकेश उर्फ नाकेश उर्फ लाला ने बताया है कि उसने शाइस्ता परवीन द्वारा दिए गए बैग को छुपाया गया था। इस अभियुक्त की निशादेही पर बरामद हुए सामानों में अली अहमद के फोटो लगे हुए दो अदद आधार कार्ड भी थे, जिसमें एक आधार कार्ड में मोहम्मद साबिर पुत्र मुन्ने सिद्धिकी का नाम है जिसपर अली अहमद पुत्र अतीक का फोटो लगा है, जो फर्जी मालूम होता है। 

इस सम्बंध में एक.शाइस्ता परवीन पत्नी अतीक अहमद, 2.अली अहमद पुत्र अतीक अहमद, 3.मोहम्मद साबिर, 4. राकेश उर्फ नाकेश उर्फ लाला एवं 5.अन्य अज्ञात लोगों के विरूद्ध मुक़दमा दायर किया गया है। 

शूटर अब्दुल कवि पर पुलिस भी थी मेहरबान

 माफिया अतीक के बेटे असद ने दिया था मर्डर को अंजाम। इस खुलासे में ये भी पता चला है कि माफिया डॉन अतीक अहमद के शूटर अब्दुल कवि पर कौशांबी पुलिस ने 18 साल तक मेहरबानी दिखाई थी। राजू पाल हत्याकांड में आरोपी बनाए जाने के बावजूद अब्दुल कवि को राइफल का लाइसेंस दे दिया गया और साल 2009 में इसका नवीनीकरण भी कर दिया गया। 2015 में भगोड़ा अब्दुल लाइसेंस की कॉपी पर कलेक्ट्रेट स्थित शस्त्र अनुभाग आकर यूनिक आईडी भी दर्ज करा गया, लेकिन किसी को खबर तक नहीं हुई। 

राजू पाल को दौड़ा-दौड़ाकर मारी गई थी गोली

बता दें कि बसपा के विधायक राजू पाल को 25 जनवरी 2005 में प्रयागराज में दौड़ा-दौड़ा कर गोलियों से छलनी  किया गया था। हत्या के एफआईआर में धूल झोंकने में कामयाब रहे अब्दुल कवि के खिलाफ नवंबर 2005 में चार्जशीट दाखिल हुई थी। इस बीच अब्दुल कवि ने सरकारी तंत्र और रुतबे और सांठगांठ की बदौलत 2006 में गांव के पते से राइफल के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था और बिना जांच किए सराय अकिल कोतवाली के पुलिस ने शस्त्र आवेदन पर अपनी स्वीकृति दे दी थी। 

28 अगस्त 2006 को तत्कालीन जिलाधिकारी ने शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिया था। कोतवाली के शस्त्र  रजिस्टर के क्रमांक 10,508 पर अब्दुल कवि का नाम दर्ज है। राजू पाल हत्याकांड में फरारी के कारण 2008 में अब्दुल कवि के घर पर कुर्की तक हुई लेकिन 28 नवंबर 2009 को उसके हथियार के लाइसेंस का नवीनीकरण भी कर दिया गया। उसके हथियार के लाइसेंस की यूनिक आईडी 612 005 4412 015 थी। इस मामले में अब एसपी स्तर के अधिकारी जांच कर रहे हैं। 

 

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