Sunday, May 19, 2024
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शक्तिशाली रूस को तख्तापलट की धमकी देने वाली 'वैगनर आर्मी' के बारे में जानें, दुश्मन को धूल चटाने में है माहिर

प्राइवेट आर्मी ग्रुप वैगनर के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन के दावे के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। प्रिगोझिन ने कहा है कि वह रूस के सैन्य नेतृत्व को उखाड़ फेंकेंगे। यहां हम वैगनर ग्रुप के बारे में जानेंगे।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: June 24, 2023 23:29 IST
Wagner- India TV Hindi
Image Source : AP प्राइवेट आर्मी ग्रुप वैगनर

मास्को: एक कथित ऑडियो संदेश में प्राइवेट आर्मी ग्रुप वैगनर के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने रूस के सैन्य नेतृत्व को उखाड़ फेंकने की कसम खाई है। ऐसे में पूरी दुनिया जानना चाहती है कि आखिर ये वैगनर ग्रुप कौन है, किसका है और उसमें इतनी ताकत कहां से आई कि वह रूस जैसे शक्तिशाली देश के नेतृत्व को खुलेआम चुनौती दे रहा है। 

आप वैगनर ग्रुप के बारे में डिटेल में जानें, उससे पहले बता दें कि रूस और यूक्रेन युद्ध को लगभग डेढ़ साल हो चुका है और दोनों में से कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस युद्ध में यूक्रेन अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों की मदद ले रहा था, वहीं रूस अपनी सेना और प्राइवेट आर्मी ग्रुप 'वैगनर' की मदद से यूक्रेन में तबाही मचा रहा था। 

लेकिन अब मामले में एक ट्विस्ट है, रूसी राष्ट्रपति की प्राइवेट आर्मी के रूप में चर्चित वैगनर आर्मी ने तख्तापलट की धमकी दी है और इसके लिए वैगनर आर्मी के लड़ाके मॉस्को की तरफ कूच कर चुके हैं। इस प्राइवेट आर्मी का चीफ  येवगेनी प्रिगोझिन है, जो व्लादिमीर पुतिन का करीबी माना जाता था लेकिन अब इसी ने तख्तापलट की धमकी दी है। 

वैगनर ग्रुप क्या है?

येवगेनी प्रिगोझिन ने ही भाड़े के लड़ाकों के समूह ‘वैगनर ग्रुप’ का गठन किया था। उसने लीबिया, सीरिया, कई अफ्रीकी देशों और यूक्रेन में अपने लड़ाकों को लड़ाई में शामिल होने के लिए भेजा। वैगनर ग्रुप रूस की प्राइवेट आर्मी के तौर पर मशहूर है।

ग्रुप पर कोई कानून लागू नहीं होता 

वैगनर ग्रुप एक रूसी अर्धसैनिक संगठन है। इस पर रूस का कोई भी कानून लागू नहीं होता। ये एक प्राइवेट मिलिट्री कंपनी है, जिसमें भाड़े के सैनिक काम करते हैं। जब साल 2014 में पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष हुआ था, तब ये ग्रुप चर्चा में आया था। 

हालांकि उस समय ये ग्रुप खुफिया तरीके से अफ्रीका और मध्य पूर्व में काम कर रहा था। बीबीसी के मुताबिक, ये ग्रुप काफी मजबूत है और पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर रूस ने जब कब्जा किया था, तो इसमें वैगनर ग्रुप की भूमिका अहम थी। 

कैसे पड़ा ये नाम, कितने हैं लड़ाके?

मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि इस ग्रुप में 5 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। इस ग्रुप का नाम उसके पहले कमांडर, दिमित्री उत्किन के नाम पर पड़ा। उनका निकनेम वैगनर था, इसीलिए इस ग्रुप को वैगनर ग्रुप कहा जाता है। दिमित्री उत्किन रूसी सेना के विशेष बलों के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल थे।

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