Friday, April 26, 2024
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Mahashivratri 2021: महाशिवरात्रि के दिन ऐसे शिवलिंग का जलाभिषेक करने से मिलेगा हर दोषों से छुटकारा

शास्त्रों के अनुसार माना जाता हैं कि महाशिवरात्रि के खास मौके पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने से हर प्रकार के दोषों से छुटकारा मिल जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त, समाग्री और जलाभिषेक करने का तरीका।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 05, 2021 11:02 IST
Mahashivratri 2021: महाशिवरात्रि के दिन ऐसे शिवलिंग का जलाभिषेक करने से मिलेगा हर दोषों से छुटकारा- India TV Hindi
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महाशिवरात्रि व्रत के दिन भारत देश में अलग- अलग जगहों पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का भी विशेष विधान है। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बेल के पत्तों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च को पड़ रही हैं। 

शास्त्रों के अनुसार माना जाता हैं कि महाशिवरात्रि के खास मौके पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने से हर प्रकार के दोषों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही भगवान शिव का हमेशा आर्शीवाद बना रहता है। जानिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का शुभ मुहूर्त, सामग्री और विधि। 

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जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

महानिशीथ काल- 11 मार्च को  रात 11 बजकर 44 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ:  11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट  से 

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक।

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जलाभिषेक करने के लिए सामग्री

 दूध, दही, शहद, घी, चंदन, शक्कर, गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा,  पंचामृत, गुलाब, नील कमल, पान, गुड़, दीपक, अगरबत्ती, आदि।

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शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का सही तरीका

सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद पंचामृत चढ़ाएं। फिर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर चढ़ा दें और फिर गंगाजल से स्नान करा कराएं। इसके बाद शिवलिंग में चंदन का लेप, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब, नील कमल , पान आदि चढ़ा दें। जलाभिषेक करते समय भगवान शिव के मंत्र या फिर सिर्फ 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करते रहें। इसके बाद दीपक, अगरबत्ती जलाकर कर आरती कर दें। आरती करने के बाद भगवान शिव के सामने अपनी भूल-चूक के लिए माफी भी मांग लें। 

महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकंयजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्।।

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