मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन के चलते आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सभी दलों के नेता शामिल हुए। साथ ही सभी ने मराठा आरक्षण को लेकर एकजुटता दिखाई है।
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर CM एकनाथ शिंदे ने सहयाद्रि राज्य अतिथि गृह पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। ये बैठक अब खत्म हो गई है। गौरतलब है कि मराठा आरक्षण को लेकर मराठा समुदाय के लोग हिंसक प्रदर्शन पर उतर आए हैं।
मराठा आरक्षण की मांग कर रहे आंदोलनकारियों द्वारा कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी के कारण कई जिलों में कर्फ्यू घोषित कर दिया गया है। दूसरी ओर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर अल्टीमेटम दिया है।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहा है। सोमवार को जहां इसे लेकर प्रदर्शन उग्र हो गया और प्रदर्शनकारियों ने एनसीपी नेता के घर में आग लगा दी। इस आरक्षण के समर्थन में शिंदे गुट के दो सांसदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
शरद पवार और अजित पवार एक स्कूल के उद्घाटन नें पहुंचे। यहां मंच पर पूरा पवार परिवार एक साथ दिखा। इस बाबत सुप्रिया सुले ने कहा कि हम राजनीति और परिवार को अलग-अलग रखते हैं। इसे परिवपक्वता कहते हैं। वहीं शरद पवार ने कहा कि मैं परिवार का मुखिया हूं। किसी को कुछ सलाह लेनी होती है तो वो मुझसे लेता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक किताब इन दिनों हलचल मचा रही है। किताब का नाम है 'मैडम कमिश्नर'। इस किताब में पुणे की यरवदा स्थित सरकारी जमीन को बेचने का जिक्र किया गया है, जिसमें दादा नाम बार-बार इस्तेमाल किया गया है। इस बाबत अजित पवार गुट ने सफाई दी है।
इजरायल और हमास के बीच हो रही भयानक जंग के बीच भारत में भी लोग दो तरफ बंट गए हैं। एक ओर पीएम मोदी ने इजरायल को पूरा समर्थन दिया है तो वहीं, विपक्षी दल के नेता फिलिस्तीन से भी हमदर्दी दिखा रहे हैं। अब इस पूरे मुद्दे पर शरद पवार का भी बयान सामने आया है।
एक ओर एनसीपी में शरद व अजित गुट के नेता एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। तो वहीं, दूसरी ओर अब पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने अजित पवार के सीएम बनने को लेकर बड़ी बात कह दी है।
शिवसेना में फूट पड़े एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। उद्धव ठाकरे के हाथों से पार्टी का नाम और सिंबल दोनों ही छिन चुका है। इसके बाद भी शिंदे और ठाकरे गुट के बीच समय-समय पर तनाव सामने आ ही जाता है।
महाराष्ट्र में एमएनएस एक बार फिर टोल के मुद्दे पर आक्रामक हो गई है। पार्टी की ओर से लगातार टोल नाके को बंद करने की मांग की जा रही है। पार्टी के कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच एक टोल बूथ में आग भी लगाई दी गई।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं महाराष्ट्र की राजनीति में फिर हलचल देखने को मिल सकती है क्योंकि इन दिनों अजित पवार और सीएम एकनाथ शिंदे के बीच दूरियां साफ दिख रही है। बता दें कि बीते दिन अजित पवार कैबिनेट मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे।
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर गर्मी बढ़ गई है। एक बार फिर अजित पवार के नाम की चर्चा तेज है। वह अपने फैसलों की वजह से ही जाने जाते हैं और कहा जा रहा है कि वह नाराज हैं। वजह जानने के लिए पढ़ें ये खबर...
अजित पवार का यह वीडियो उन दिनों का है जब जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। अब शरद गुट चुनाव आयोग के पास अजित पवार का यह पुराना वीडियो पेश कर सकता है।
महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों को लंबी छुट्टी मिली है। राज्य में काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों को पांच दिन का अवकाश मिला है। राज्य सरकार ने इससे संबंधित गजट जारी किया है।
महाराष्ट्र में बारामती लोकसभा सीट पर इस बार के लोकसभा चुनाव में सियासी दंगल होना तय माना जा रहा है। इस सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया और बहू सुनेत्रा के चुनाव लड़ने की अटकलों ने सियासी गर्मी बढ़ा दी है।
एनसीपी पर हक को लेकर शरद पवार गुट और अजित पवार गुट के बीच बयान जारी है। इस बीच अजित पवार गुट की ओर से पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल पटेल ने इस बात का खुलासा किया है कि पार्टी के कितने विधायक अजित या शरद पवार के साथ हैं।
अमित शाह के साथ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पस्थित थे लेकिन ठीक उसी वक्त अजित पवार बारामती में आयोजित एक कार्यक्रम में व्यस्त थे। उनके इस कार्यक्रम ना आने पर कई सवाल उठ रहे हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस दोनों अमित शाह के साथ कार्यक्रम में उपस्थित थे लेकिन ठीक उसी वक्त अजित पवार बारामती में पूर्व नियोजित बाजार समिती सालाना कार्यक्रम में व्यस्त थे। इस कार्यक्रम में अजित पवार के बयान ने सरकार में उनके बने रहने के भविष्य पर भी सवाल खड़े किए हैं।
महाराष्ट्र में शिवसेना बनाम शिवसेना की सियासी लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को एक सप्ताह का समय दिया है और कहा है कि इसे अनिश्चितकाल के लिए तो खींच नहीं सकते।