बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण की वोटिंग 11 नवंबर (मंगलवार) को होने वाली है, जहां सीमांचल के 24 विधानसभा क्षेत्रों पर भी वोट डाले जाएंगे। बिहार के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया, इन चार जिलों को सीमांचल कहा जाता है। यहां मुस्लिम आबादी करीब 47 फीसदी है, जो राज्य के कुल 17.7 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा है। माइनॉरिटी कमिशन ऑफ बिहार के अनुसार, सीमांचल के किशनगंज में 67 प्रतिशत मुस्लिम, कटिहार में 42 प्रतिशत, अररिया में 41 प्रतिशत और पूर्णिया में 37 प्रतिश मुस्लिम आबादी है।
लगातार तीसरी बार विधानसभा का चुनाव लड़ी रही AIMIM
बिहार के इसी क्षेत्र यानी सीमांचल में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM तीन बार से अपना दांव लगा रही है। हैदराबाद में जहां AIMIM के पास सिर्फ 7 विधानसभा सीटें हैं। वहीं, बिहार के सीमांचल में पार्टी ने 2025 चुनाव में 15 उम्मीदवार उतारे हैं। बिहार में AIMIM कुल 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें से ओवैसी ने 2 सीटों पर हिंदू उम्मीदवार भी उतारे हैं।
आखिर क्या है ओवैसी की रणनीति?
आखिर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की रणनीति क्या है? आखिर ओवैसी क्यों हैदराबाद से ज्यादा बिहार पर फोकस हैं? इंडिया टीवी की इस रिपोर्ट में समझते हैं कि बिहार की राजनीति को लेकर ओवैसी का पूरा राजनीतिक समीकरण क्या है?
बिहार का काफी पिछड़ा इलाका है सीमांचल
सीमांचल क्षेत्र किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया इन चार जिलों से मिलकर बना है। ये बिहार का पिछड़ा इलाका कहा जाता है। जहां बाढ़, बेरोजगारी, पलायन और विकास की कमी लंबे समय से मुद्दा बना हुआ है।
2020 में 20 सीटों पर AIMIM ने लड़ा था चुनाव
ओवैसी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से 5 सीटें ओवैसी की पार्टी AIMIM ने जीतीं थीं। AIMIM ने अमौर, जोकीहाट, बहादुरगंज, कोचाधामान और बैसी विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज की थी। हालांकि, ओवैसी के 4 विधायक बाद में RJD में चले गए। अमौर विधानसभा सीट से सिर्फ अख्तरुल इमान ही AIMIM से इकलौते विधायक रहे, जो ओवैसी के साथ बने रहे।
2015 में 6 विधानसभा सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार
साल 2015 में एआईएमआईएम ने बिहार में सीमांचल की 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार पहली बार उतारे थे। उस साल चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। AIMIM ने अक्टूबर 2019 में किशनगंज विधानसभा उपचुनाव जीतकर बिहार में अपना खाता खोला था।
पिछले चुनावों से ओवैसी ने लिया सबक
पिछले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस बार AIMIM ने सबक लिया है। जहां पार्टी ने विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले 'सीमांचल न्याय यात्रा' निकाली, जहां ओवैसी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में विकास पर जोर दिया। संसद में उन्होंने सीमांचल विकास परिषद के लिए निजी बिल पेश किया, जो अनुच्छेद 371 के तहत विशेष दर्जा मांगता है। औवैसी ने ऐसा इसलिए किया कि ताकी स्थानीय लोगों को ये न लगे कि बाहरी पार्टी यहां चुनाव लड़ रही है।
मुस्लिम वोटर ओवैसी का बड़ा जनाधार
ओवैसी ने हैदराबाद से ज्यादा उम्मीदवार सीमांचल में क्यों उतारे हैं? इसके भी कारण बताए जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण मुस्लिम वोटों का बड़ा जनाधार बिहार के सीमांचल क्षेत्र में है। जहां बिहार के 2.31 करोड़ मुस्लिमों में से एक-चौथाई यहीं रहते हैं।
मुस्लिम वोटों को औवैसी ने बांटा
कभी इस क्षेत्र में RJD-कांग्रेस का महागठबंधन यानी MY (मुस्लिम-यादव) फॉर्मूला यहां मजबूत रहा है, लेकिन 2020 में AIMIM ने चुनाव लड़कर मुस्लिम वोटों को बांट दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में लगभग 11 प्रतिशत मुस्लिम वोट आरजेडी और कांग्रेस से छिटक गए।
औवैसी ने महागठबंधन से मांगी थी सीटें
सीमांचल पहुंच कर ओवैसी आरोप लगाते रहे कि RJD ने मुस्लिमों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया। इस बार AIMIM ने महागठबंधन से 6 सीटें मांगीं थी, लेकिन जवाब न मिलने पर ओवैसी ने 'ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस' (GDA) बनाया है।
बिहार में 2 हिंदू उम्मीदवार भी ओवैसी ने उतारे
इस बार ओवैसी की पार्टी ने दो हिंदू उम्मीदवार भी बिहार में उतारे हैं। जहां ढाका से राणा रंजीत सिंह और सिकंदरा विधानसभा सीट से मनोज कुमार दास को उम्मीदवार बनाया है। AIMIM ने हिंदू उम्मीदवार उतारकर संदेश दिया कि'सिर्फ मुस्लिम नहीं, ओवैसी की पार्टी सभी के लिए न्याय करेगी।'
तेलंगाना में सिर्फ 9 सीटों पर चुनाव लड़े ओवैसी
ओवैसी का गढ़ तेलंगाना का हैदराबाद शहर माना जाता है। जहां से वह सांसद भी हैं। हैदराबाद में करीब 60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में AIMIM ने कुल 119 सीटों वाली विधानसभा में से 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 7 पर जीत दर्ज की। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट हैदराबाद पर चुनाव लड़ा था। यह पार्टी का परंपरागत गढ़ रहा है, जहां ओवैसी ने 5वीं बार लगातार जीत दर्ज की।
मुस्लिमों के बीच पार्टी का विस्तार है मेन मकसद
हैदराबाद के बाद से ओवैसी अब बिहार में पार्टी का विस्तार कर रहे हैं। बिहार से AIMIM के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान ने एक चुनावी जनसभा में कहा, 'हम सीमांचल को विकास का केंद्र बनाएंगे।' ओवैसी की पार्टी बिहार में मुस्लिमों का हितैषी बनना चाहती है। बिहार में मुस्लिमों को आरजेडी और कांग्रेस का कोर वोट बैंक माना जाता है। ओवैसी इस पर सेंध लगाने में जुटे हुए हैं।