Sunday, April 28, 2024
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Explainer: गुजरात के पतंग व्यवसाय को PM मोदी ने कैसे दी उड़ान, आज दुनियाभर में है नाम

गुजरात में आज पतंग का व्यवस्साय अपनी ऊंचाइयों पर है। गुजरात का ये पतंग व्यवसाय आज इस राज्य की पहचान बनकर उभरा है। इस पतंग व्यवसाय को यहां तक लाने के पीछे दशकों की मेहनत रही है, जो आज रंग दिखा रही है।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Amar Deep Updated on: January 14, 2024 13:11 IST
गुजरात के पतंग...- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV गुजरात के पतंग व्यवसाय को मिली उड़ान।

अहमदाबाद: मकर संक्रांति का पर्व गुजरात के लिए खास है, इसकी वजह है पूरे गुजरात में उड़ती हुई पतंगें। इस बार Vibrant Gujarat Global Summit में हिस्सा लेने आए बहुत से डेलीगेट्स पतंग उड़ाने के लिए अहमदाबाद रुक गए हैं। ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि लोग पतंगों में इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं, पहले से कहीं ज्यादा! इस साल अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव में भी पहले से कुछ अलग माहौल देखा जा रहा है। क्या लगता है ये सब एक दिन में अचानक हुआ। नहीं... इसके पीछे सालों की मेहनत है, करीब 20 सालों से भी ज्यादा की। ये पतंगोत्सव गुजरात की संस्कृति को वाइब्रेंट बनाता है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा को ग्लोबल स्वरुप दिया नरेंद्र मोदी ने जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

साल 2003 तक लुप्त था पंतग कारोबार

वैसे तो गुजरात में अंतराष्ट्रीय पतंगोत्सव 1989 से ही एक औपचारिक राजनितिक कार्यक्रम के तौर पर आयोजित किया जाता रहा है, लेकिन उसे एक नया डाइमेंशन मिला 2005 में, जब Vibrant Gujarat Investor summit के आयोजन को इसके साथ जोड़ दिया गया। इसके अलावा इसके प्रचार के लिए नई रणनीति भी तैयार की गई, जिससे अहमदाबाद के पतंगोत्सव को नई पहचान मिलनी शुरू हुई। लेकिन गुजरात की पतंगों को ग्लोबल होराइजन पर ले जाने की भूमिका तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने 2003 में ही तैयार कर ली थी। गुजरात पतंग उद्योग 2003 तक करीब-करीब unnoticed ही रहा। इस अवधि के दौरान तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने ऐसे सक्रिय कदम उठाए जो आगे जाकर गुजरात के पतंग उद्योग के विकास में माइलस्टोन साबित हुए। 

पतंग व्यवसाय के लिए तत्कालीन सीएम मोदी ने शुरू की पहल।

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पतंग व्यवसाय के लिए तत्कालीन सीएम मोदी ने शुरू की पहल।

पतंग व्यवसाय को बढ़ाने के लिए दी गई ट्रेनिंग

तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने पतंग उद्योग का गहन अध्ययन करने और इसके विकास के लिए रणनीतियों का प्रस्ताव तैयार करने के लिए तमिलनाडु के स्थानीय उद्योगों से संबंधित अध्ययन में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों को निमंत्रण दिया। 2003 में, विशेषज्ञों की एक टीम ने पतंग-संबंधी गतिविधियों में लगे कई स्थानों पर उद्योग का व्यापक सर्वे किया। तत्कालीन सीएम मोदी के नेतृत्व में, गुजरात सरकार ने पतंग उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए 2003 के बाद के एक दशक में कई इनिशिएटिव लिए। इन उपायों में ट्रेड स्किल्स बढ़ाने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग प्रदान करने के साथ-साथ कॉटेज और विलेज इंडस्ट्री के लिए क्लस्टर, विकास योजना के भीतर मैन्यूफैक्चरिंग को शामिल करना भी महत्वपूर्ण कदम था।

गुजरात पतंग उद्योग कार्य शिविर का आयोजन

साल 2003 में ही, अहमदाबाद के गांधी श्रम संस्थान में नरेंद्र मोदी ने एक दिवसीय गुजरात पतंग उद्योग कार्य शिविर आयोजित किया। तत्कालीन सीएम मोदी ने इनोवेटिव कॉन्सेप्ट्स को उत्पन्न करने के लिए उत्पादकों, कारीगरों, वितरकों, सरकारी संगठनों, डिजाइनरों और वित्तीय संस्थानों के बीच कम्युनिकेशन को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग के उपाय खोजे। इस कार्यशाला में मोदी ने लोगों को पतंगों के बारे में प्रेरित करने के लिए भानु भाई शाह को भी आमंत्रित किया था। भानु भाई देश के बड़े काइटियर थे और लगभग 50 सालों से पतंग इकट्ठा करने के शौकीन रहे थे। इस वर्कशॉप में त्योहारों के महत्व पर जोर देते हुए तत्कालीन सीएम मोदी ने उद्योग में लगे लोगों के लिए पतंग उत्सव के आर्थिक आयामों को रेखांकित किया। उन्होंने कई उपायों को बताया था कि कैसे इस क्षेत्र के विकास से इसमें शामिल व्यक्तियों की आय में वृद्धि हो सकती है। 

गरीब परिवारों को मिला लाभ

इसके अलावा तत्कालीन सीएम मोदी ने एक्पर्ट्स और रिसर्चर्स से डिजाइन के इनोवेशंस में योगदान करने का आह्वान किया जो पब्लिक इंटरेस्ट को जनरेट करेगा और लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देगा। कॉर्पोरेट समर्थन की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए उन्होंने कॉर्पोरेट संस्थाओं से आवश्यक कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करके पतंग उद्योग को सुविधाजनक बनाने का आग्रह किया। तत्कालीन सीएम मोदी ने रोजगार के संभावित अवसरों पर प्रकाश डाला, जिससे विज्ञापन उद्देश्यों के लिए पतंगों का उपयोग करने पर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 1 लाख से अधिक परिवारों को लाभ हुआ। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सामाजिक जागरूकता अभियानों के क्षेत्र में पतंगों के उपयोग को प्रोत्साहित किया और इस पारंपरिक कला रूप के विविध प्रयोगों का प्रदर्शन किया।

2003 से 2014 तक का सफर

पॉलिसी लेवल पर साल 2003-04 के दौरान ही पतंग निर्माण को कुटीर और ग्रामीण उद्योगों के लिए क्लस्टर विकास योजना के तहत कवर किया गया था। इसके परिणामस्वरूप पतंग उद्योग को एक नया मोड़ मिला। साल 2003-04 के दौरान जिस पतंग उद्योग का टर्नओवर 15-20 करोड़ रुपये था, पतंग महोत्सव की सफलता के बाद इस उद्योग का दायरा बढ़ा और यह वैश्विक कारोबार के साथ 2007 में ₹100 करोड़ तक पहुंच गया। इस उद्योग के टर्नओवर को तेजी से बढ़ाने के उच्च लक्ष्य के साथ तत्कालीन सीएम मोदी ने पतंग उद्योग के लिए लगातार पहल की और 2010 में इसे ₹400 करोड़ का उद्योग बना दिया। जैसा कि कई रिपोर्टों में बताया गया था यह फ्लाइंग सेक्टर अब रुकने वाला नहीं था। साल 2014 में गुजरात की इन पतंगों का वैश्विक कारोबार बढ़कर 500 करोड़ रुपये का हो गया, जो गुजरात में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।

महिलाओं को सीधे तौर पर मिला लाभ

गुजरात पतंग उद्योग के बारे में मौजूदा चर्चाएं इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। विशेष रूप से तब, जब इस क्षेत्र से लाखों महिलाऐं जुड़ी हों (एक उल्लेखनीय आंकड़ा बताता है कि पतंग उद्योग में कार्यरत 70% से अधिक लोग महिलाएं हैं)। साथ ही ये उद्योग पैमाने में मामूली है, इसलिए इस अनौपचारिक क्षेत्र के व्यवसायों को अक्सर राज्य और केंद्रीय दोनों स्तरों पर उच्च अधिकारियों और नीति निर्धारण के स्तर पर ध्यान नहीं मिलता है। लेकिन गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इस क्षेत्र के लिए एक केंद्रित प्रतिबद्धता प्रदर्शित की, जिससे पतंग उद्योग सहित अन-ऑर्गनाइज़्ड व्यवसायों की जरूरतों और चिंताओं को अड्रेस किया गया। 

आज भी व्यवसाय को आगे बढ़ा रही सरकारें

एक इन्क्लुजिव पर्स्पेक्टिव वाले नेता के रूप में मोदी सक्रिय रूप से इस क्षेत्र के व्यक्तियों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने गुजरात के लोगों से आग्रह किया था कि वे मुख्यधारा के औद्योगिक ढांचे में इसके एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए कम चर्चित लोगों को अपना समर्थन दें। इस इन्क्लुजिव विजन, आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक रणनीति के साथ जोड़कर, पतंग उद्योग में लगे लोगों के उत्थान और सशक्तीकरण की प्रतिबद्धता गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने दिखाई थी। साल 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली तो गए, लेकिन जो नीतियां उन्होंने बनाई थीं, बाद की सरकारों ने उन्हें ही आधार बनाकर काम जारी रखा है।

पतंग व्यवसाय के गरीबों को हुआ फायदा।

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पतंग व्यवसाय के गरीबों को हुआ फायदा।

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