Tuesday, June 10, 2025
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अगर आप भी करते हैं ऐसा तो हो जाएं सावधान, ये आदतें बढ़ा सकती हैं एंजायटी और डिप्रेशन का खतरा

आज की ज़िंदगी में एंजायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। अक्सर हम अपनी कुछ आदतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो जाने-अनजाने हमें इन समस्याओं की ओर धकेल सकती हैं।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Jun 10, 2025 6:30 IST, Updated : Jun 10, 2025 6:30 IST
एंजायटी और डिप्रेशन
Image Source : SOCIAL एंजायटी और डिप्रेशन

आज की ज़िंदगी में एंजायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। अक्सर हम अपनी कुछ आदतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो जाने-अनजाने हमें इन समस्याओं की ओर धकेल सकती हैं। अगर आप भी नीचे बताई गई आदतों में से कोई करते हैं, तो समय रहते सावधान हो जाएं और इन्हें बदलने की कोशिश करें।

  • सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल: आजकल सोशल मीडिया हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन, इसका बहुत ज़्यादा इस्तेमाल आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकता है। सोशल मीडिया पर लोग अक्सर अपनी ज़िंदगी का सबसे अच्छा हिस्सा दिखाते हैं, जिससे आप दूसरों से अपनी तुलना करने लगते हैं। यह हीन भावना और असुरक्षा पैदा कर सकता है।

  • नींद में खलल: देर रात तक सोशल मीडिया चलाने से नींद का पैटर्न बिगड़ता है, जो डिप्रेशन का एक बड़ा कारण है। नींद सिर्फ शरीर को आराम देने के लिए नहीं है, बल्कि यह हमारे दिमाग के लिए भी बहुत ज़रूरी है। नींद की कमी से स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जो एंजायटी और डिप्रेशन को बढ़ावा देता है। 

  • शारीरिक गतिविधि की कमी:  शारीरिक गतिविधि की कमी सीधे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है। व्यायाम करने से एंडोर्फिन (जो खुशी महसूस कराते हैं) जैसे हार्मोन निकलते हैं, जिनकी कमी से उदासी बढ़ सकती है। निष्क्रिय रहने से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होता है, जिससे सुस्ती और नकारात्मकता आ सकती है।

  • खराब खान-पान: जो हम खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे मूड और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ज़्यादा चीनी, प्रोसेस्ड फूड और अनहेल्दी फैट वाले खाने से शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जो डिप्रेशन से जुड़ी हुई है। पौष्टिक भोजन न करने से ज़रूरी विटामिन्स और मिनरल्स  की कमी हो सकती है, जो मस्तिष्क के सही कामकाज के लिए ज़रूरी हैं।

  • अकेलापन: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और हमें दूसरों से जुड़ने की ज़रूरत होती है। दोस्तों और परिवार से दूर रहने पर मुश्किल समय में भावनात्मक सहारा नहीं मिल पाता। अकेले रहने पर नकारात्मक विचार ज़्यादा हावी हो सकते हैं। लंबे समय तक अकेले रहने से सामाजिक मेलजोल में दिक्कत आ सकती है, जिससे और अकेलापन महसूस होता है।

बचाव के उपाय?

स्क्रीन टाइम तय करें। नोटिफिकेशन बंद करें और सोने से पहले सोशल मीडिया से दूर रहें। रोज़ाना 7-9 घंटे की गहरी नींद लें। सोने का एक निश्चित समय निर्धारित करें। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट हल्की या मध्यम कसरत करें, जैसे चलना, जॉगिंग या योग। ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन खाएं। प्रोसेस्ड फूड और मीठे से बचें। ध्यान और योग से ओवरथिंकिंग को कम किया जा सकता है। अपनी इन आदतों को बदलना आसान नहीं हो सकता, लेकिन छोटे-छोटे कदम उठाकर आप अपनी मानसिक सेहत में सुधार कर सकते हैं। 

Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।

 

 

 

 

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