Friday, April 19, 2024
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संयुक्त आर्थिक समूह की बैठक में भारत-चीन करेंगे व्यापार बढ़ाने पर चर्चा

इस बैठक का महत्व इस कारण बढ़ जाता है कि भारत ने लगातार चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन का मुद्दा उठाया है और दवा, कृषि उत्पाद एवं सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यात बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने को कहा है...

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: March 25, 2018 23:30 IST
India, China to discuss ways to boost trade in JEG meet- India TV Hindi
India, China to discuss ways to boost trade in JEG meet

नई दिल्ली: भारत और चीन के व्यापार मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारी कल यहां संयुक्त आर्थिक समूह की बैठक में दोतरफाव्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ावा देने एवं व्यापार घाटा कम करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इस बैठक का महत्व इस कारण बढ़ जाता है कि भारत ने लगातार चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन का मुद्दा उठाया है और दवा, कृषि उत्पाद एवं सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यात बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने को कहा है।

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु अपने चीनी समकक्ष झोंग शान के साथ ‘ भारत- चीन व्यापार असंतुलन को कैसे दूर करें’ पर संयुक्त आर्थिक समूहकी बैठक में चर्चा करेंगे। बाजार की पहुंच से जुड़े मुद्दों तथा अन्य गैर- व्यापारिक अड़चनों के अलावा निवेश संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल- अक्टूबर अवधि में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 36.73 अरब डॉलर रहा है। भारत में दूरसंचार एवं विद्युत जैसे विस्तार करते क्षेत्रों में तैयार वस्तुओं की मांग पूरा करने में चीन के ऊपर निर्भरता इस व्यापार घाटे का मुख्य कारण है।

प्रभु ने हाल ही में कहा था कि भारत चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने के तरीकों पर चर्चा को तैयार है। उन्होंने कहा था, ‘‘ हम इस मुद्दे पर द्विपक्षीय चर्चा करेंगे।’’ संयुक्त आर्थिक समूह को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीजिंग दौरे के दौरान दिसंबर 1988 में गठित किया गया था।

वित्त वर्ष 2011-12 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 75.45 अरब डॉलर रहा था। भारत का निर्यात 17.90 अरब डॉलर और आयात 57.55 अरब डॉलर रहा था। भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 2016-17 में 2015-16  के 52.69 अरब डॉलर से मामूली कम होकर 51 अरब डॉलर रहा था।

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