नई दिल्ली: असम में पीड़ित अल्पसंख्यकों से मिलने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल आज असम पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने उन राहत शिविरों का दौरा किया, जहां बुलडोज़र कार्रवाइयों के कारण बेघर हुए परिवार शरण लिए हुए हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने अब तक लगभग 300 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हुए कई प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। मौलाना मदनी ने विशेष रूप से बैतबारी कैंप में लोगों से विस्तार से बातचीत की।
मौलाना मदनी ने क्या कहा?
मौलाना मदनी ने इस मौके पर कहा, हमारी लड़ाई अतिक्रमण हटाने के खिलाफ नहीं है, बल्कि न्यायपालिका के आदेशों को नज़रअंदाज़ करके लोगों को बेघर करना और कानून की जगह डर, धमकी और ताकत का इस्तेमाल करना इंसाफ़ और इंसानियत दोनों के खिलाफ है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा से मजलूमों के साथ खड़ी रही है और आगे भी खड़ी रहेगी। इसके लिए हम फांसी के फंदे तक का सामना करने के लिए तैयार हैं। यही हमारे बुजुर्गों की रौशन और प्रेरणादायक परंपरा रही है।”

प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल थे?
प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष मौलाना मदनी के अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी, मौलाना मुफ़्ती जावेद इक़बाल (अध्यक्ष, जमीअत उलेमा बिहार), मौलाना खालिद किशनगंज (नाज़िम, जमीअत उलेमा किशनगंज), मौलाना नवेद आलम क़ासमी, क़ारी नोशाद आदिल (आर्गनाइज़र, जमीयत उलेमा-ए-हिंद), मौलाना हाशिम क़ासमी (कोकराझार, असम) और मौलाना सलमान क़ासमी(आर्गनाइज़र, जमीअत उलेमा-ए-हिंद) शामिल थे।
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