Friday, April 26, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: नारी सम्मान के बारे में नेता अपनी सोच बदलें

असल में इस तरह के नेताओं की हिम्मत इसीलिए बढ़ती है क्योंकि उन्हें गलती की सजा नहीं मिलती। दूसरों की तरफ उंगली उठाकर अपनी गलती छिपाने की कोशिश होती है। 

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 18, 2021 14:55 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

आज मैं बड़े दुख और गुस्से के साथ एक ऐसे विधायक के बारे में लिख रहा हूं जिसने विधानसभा में खड़े होकर कहा कि अगर महिलाएं बलात्कार को अवायड नहीं कर सकती तो उसका लुत्फ उठाना चाहिए। यह असंवेदनशील और शर्मनाक टिप्पणी कांग्रेस के विधायक के. आर. रमेश कुमार ने की। के आर रमेश कुमार नए नेता नहीं हैं, वे पहली बार विधायक नहीं बने हैं। वे छठी बार कर्नाटक विधानसभा के सदस्य चुने गए हैं। इससे पहले वे विधानसभा अध्यक्ष और राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। रमेश कुमार ने अपना पहला चुनाव 43 साल पहले 1978 में जीता था। वे दो बार विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए और बाद में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं। जरा सोचिए जो शख्स परिवार कल्याण मंत्री रहा हो, दो-दो बार विधानसभा अध्यक्ष रहा हो वो महिलाओं के बारे में ऐसी सोच रखे, यह बेहद शर्मनाक है। 

 
दरअसल, के. आर. रमेश कुमार सदन में विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी की स्थिति पर अपनी बात रखी थी। सदन में कई सदस्य किसानों के मुद्दों पर बोलने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से समय मांग रहे थे और इस सबके बीच अध्यक्ष खुद को असहाय महसूस रह रहे थे। तभी के.आर. रमेश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष की तुलना उस महिला से कर दी जिसे बलात्कार का सामना करना पड़ा हो। के.आर. रमेश कुमार ने कहा-'एक कहावत है कि जब बलात्कार को रोक नहीं सकते तो प्रतिरोध मत करो, लेट जाओ और इसके मजे लो। ठीक इसी स्थिति में आप हैं।'
 
हैरानी की बात यह रही कि इस शर्मनाक टिप्पणी पर स्पीकर ठहाके लगाते नजर आए। इसके बाद सदन में मौजूद महिला विधायकों ने विरोध किया और विधायक से अपने बयान वापस लेने की मांग की। रमेश ने बाद में कई 'किंतु-परंतु' के साथ माफी मांगी। उन्होंने कहा-'मेरा इरादा रेप जैसे जघन्य अपराध को मामूली या हल्का बनाना नहीं था, बल्कि यह बिना सोचे समझे, तुरंत में की गई टिप्पणी थी। मैं अब से अपने शब्दों को सावधानी से चुनूंगा।'
 
रमेश कुमार ने जो कहा वो कोई अबोधिता से भरा हुआ मजाक नहीं था। बलात्कार कोई कोई हंसी-मजाक का विषय नहीं है। इस तरह की टिप्पणी करके भारतीय नारी की गरिमा का अपमान किया गया है। शुक्रवार की रात अपने शो 'आज की बात' में हमने दिखाया कि कैसे विधायक की इस आपत्तिजनक टिप्पणी पर विधानसभा अध्यक्ष ठहाके लगा रहे थे। यह दर्शाता है कि मौजूदा समय में महिलाओं के बारे में हमारे नेताओं की मानसिकता कैसी है। विधानसभा अध्यक्ष को अगर नारी की गरिमा का ख्याल होता तो ऐसे विधायक को मार्शल बुलाकर धक्के मारकर सदन से बाहर निकाल देना चाहए था। लेकिन इसके बजाय वे भी ठहाके मार कर हंसते रहे। स्पीकर ने विधायक को फटकार तक नहीं लगाई। 
 
जैसे ही विधायक की महिलाओं के प्रति इस टिप्पणी का वीडियो वायरल हुआ, केंद्रीय महिला और बाल-विकास मंत्री स्मृति ईरान ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया। लेकिन लखीमपुर खीरी मामले को लेकर कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों के सांसदों की नारेबाजी के बीच स्मृति ईरानी की बात शोर में दब गई। सदन के बाहर स्मृति ईरानी और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने कांग्रेस पार्टी से मांग की कि वह अपने विधायक के खिलाफ एक्शन ले। शिव सेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, अपना दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी रमेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। 
 
पार्टी लाइन से हटकर नेताओं ने विधायक की इस घटिया टिप्पणी की निंदा की और फिर शाम में कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया- 'मैं के.आर. रमेश कुमार के बयान की पूरी तरह से निंदा करती हूं। यह समझ से परे है कि कोई कैसे इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है। इन बातों का बिल्कुल भी समर्थन नहीं किया जा सकता है। बलात्कार एक जघन्य अपराध है। इससे ज्यादा कुछ कहने की जरुरत नहीं है।' राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी रमेश कुमार की टिप्पणी की निंदा की। 
 
हमारे देश में महिलाओं को 'देवी' का दर्जा दिया गया है। हम कन्या पूजन करते हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते... रमन्ते तत्र देवता:' यानि जहां नारी का सम्मान होता है, देवता वहीं निवास करते हैं। इस देश में अगर कोई नेता बेशर्मी से रेप को एन्जॉय करने की बात कहे तो कैसे सहन किया जा सकता है? 
 
यह सिर्फ महिलाओं का नहीं बल्कि पूरे देश, संस्कृति, परंपराओं और हमारे आदर्शों का अपमान है। यह हर उस बेटे का अपमान है जो अपनी मां को देवी मानता है। यह हर भाई का अपमान है जो अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। यह हर उस पिता का अपमान है जो अपनी बेटी को हमेशा खुशहाल देखना चाहता है। 
 
इस तरह के घटिया और शर्मनाक बयान देने वालों को कतई माफ नहीं किया जा सकता। जिस तरह से प्रियंका गांधी महिलाओं के अधिकारों की बात कर रही हैं उससे मुझे लगा था कि शायद रमेश कुमार को उनकी गलती की सजा मिलेगी और कांग्रेस उनके खिलाफ एक्शन लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।  मुझे उम्मीद थी कि रमेश कुमार के बयान पर ठहाका लगाने वाले विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े के खिलाफ भी बीजेपी कदम उठाएगी, लेकिन ये भी नहीं हुआ।
 
असल में इस तरह के नेताओं की हिम्मत इसीलिए बढ़ती है क्योंकि उन्हें गलती की सजा नहीं मिलती। दूसरों की तरफ उंगली उठाकर अपनी गलती छुपाने की कोशिश होती है। जब कांग्रेस वालों से एक्शन की बात पूछी जाएगी तो वे उन्नाव रेप केस और अलीगढ़ केस की याद दिलाएंगे, हाथरस की बात करेंगे। जब बीजेपी वालों से पूछा जाएगा तो वो तंदूर कांड की याद दिला देंगे और कुछ पुरानी सीडीज की बात करेंगे। जब समाजवादी पार्टी के नेता कांग्रेस से विधायक पर एक्शन की मांग करेंगे तब वो रेप के केस में जेल में बंद गायत्री प्रजापति की याद दिलाएंगे, गेस्टहाउस कांड की याद दिलाएंगे। जब इससे भी बात नहीं बनेगी तो मुलायम सिंह के बयान को दोहरा देंगे कि 'लड़कों से गलती हो जाती है।'
 
असल में ये गंदगी इसलिए साफ नहीं होती क्योंकि हम अपना दामन साफ करने के बजाय दूसरे के दामन के दाग दिखाने लगते हैं। और जब तक ये होता रहेगा तब तक इस तरह की गंदी मानसिकता के लोग घिनौनी बातें कहते रहेंगे। असल में सवाल मानसिकता का है। महिलाओं के बारे में मानसिकता कैसी है इसका एक और उदाहरण मिला। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सासंद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि शादी की उम्र बढ़ाने से लड़कियां बिगड़ जाएंगी, आवारा हो जाएंगी।
 
उन्होंने यह टिप्पणी इसलिए की क्योंकि मोदी सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने जा रही है। बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक संसद में लाया जा रहा है। कैबिनेट ने पहले ही ड्राफ्ट बिल को मंजूरी दे दी है। कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। खासतौर से समाजवादी पार्टी के मुस्लिम नेता इस बिल के खिलाफ हैं। इस बिल के जरिए हिंदुओं, मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों से जुड़े विवाह कानूनों के समान प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा।
 
शफीकुर्रहमान बर्क 91 साल के हैं। वे 1974 में पहली बार विधायक चुने गए थे। तब से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं और मौजूदा समय में लोकसभा के सदस्य हैं। बर्क ये मांग करते रहे हैं कि मुसलमानों पर कम बच्चे पैदा करने की पाबंदी नहीं होनी चाहिए। अब  कह रहे हैं कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से 21 साल करने पर लड़कियां आवारा हो जाएंगी। समाजवादी पार्टी के एक और सांसद एस.टी हसन का कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई गई तो बेगैरती और बेहयाई बढ़ेगी। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबु आजमी तो एस. टी. हसन से भी दो क़दम आगे ही निकल गए। उन्होंने कहा-'जैसे किसी की मौत के बाद लाश ज्यादा वक्त तक घर में नहीं रखी जाती उसी तरह जवान होने के बाद लड़की को ज्यादा दिन तक घर में नहीं रखना चाहिए।' अबु आज़मी का कहना है कि अगर लड़कियों की शादी की क़ानूनी उम्र बढ़ाई गई तो तमाम तरह की मुश्किलें आएंगी, मुक़दमों की बाढ़ आ जाएगी।
 
किस तरह के लोग हैं और कैसी सोच रखते हैं, इनकी मानसिकता समझ में नहीं आती। ऐसे लोगों की बातें सुनकर यकीन ही नहीं होता कि इस तरह की सोच रखने वाले भी समाज का हिस्सा हैं। समाज के नेता हैं। मैं तो कहता हूं -धिक्कार है उस विधायक पर जिसने कहा कि अगर रेप अवॉयड नहीं हो सकता तो इन्जॉय करो। धिक्कार है उस स्पीकर पर जो ऐसे विधायक को धक्के मार कर बाहर निकालने के बजाए ठहाके मार कर हंसते रहे। धिक्कार है उन सांसदों पर जिन्होंने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ा दी गई तो वो आवारा हो जाएंगी। ये सारी बातें गिरी हुई सोच का नतीजा हैं। यह ऐसी मानसिकता को दर्शाती हैं जिस पर करारा प्रहार होना चाहिए। 
 
ऐसी बातों की सिर्फ निंदा करना काफ़ी नहीं है। ये नेता माफ़ी भी मांग लें तो काफी नहीं है। कांग्रेस पार्टी विधायक रमेश कुमार के खिलाफ एक्शन ले। बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ एक्शन ले और समाजवादी अपने सांसद शफीकुर्रहमान और एस.टी. हसन के खिलाफ एक्शन ले। आज इस बात पर जाने की जरूरत नहीं है कि पहले किस पार्टी के नेताओं ने महिलाओं का कैसे अपमान किया था। किसने कब घटिया भाषा का इस्तेमाल किया था। पुरानी बातों को छोड़ आज जो हुआ उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर आज यह शुरुआत हुई तो ऐसी बदजुबानी करने वालों पर लगाम लगाने की शुरुआत होगी। हालांकि मैं यह नहीं कह रहा कि सरकार जो फैसला करे, उसका विरोध न हो, उस पर चर्चा न हो। लोकतन्त्र में विरोधी भी होना चाहिए, बहस भी होनी चाहिए। चर्चा तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले की भी होनी चाहिए, लेकिन तर्कों के साथ होनी चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 17 दिसंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

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