Saturday, April 27, 2024
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Rajat Sharma's Blog | दिल्ली वायु प्रदूषण: बचाव की मुद्रा में केजरीवाल

दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार के कई दफ्तरों में 50 फीसदी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने के लिए कहा गया है और प्राइवेट ऑफिसों को भी ऐसा करने की सलाह दी गई है। हालांकि सीएम केजरीवाल प्रदूषण के मुद्दे पर अलग ही राग अलाप रहे हैं।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma
Updated on: November 05, 2022 17:17 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ, रजत शर्मा

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में शनिवार को वायु प्रदूषण लगातार तीसरे दिन 'गंभीर' श्रेणी में रहा। राजधानी में धुंध के बादल छाए रहने से दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स शनिवार को 431 और शुक्रवार को 447 रहा। हालांकि एक मजबूत दक्षिण-पश्चिमी हवा से आंशिक राहत मिलने की उम्मीद है और अगले एक या दो दिनों में एयर क्वालिटी 'गंभीर' से 'बहुत खराब' तक थोड़ी सुधर सकती है।

शुक्रवार को हवा में फेफड़े को नुकसान पहुंचाने वाले कण 2.5 पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) थे, जो 270 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर थे। ये प्रति क्यूबिक मीटर माइक्रोग्राम की सुरक्षित सीमा से 8 गुना अधिक है।

दिल्ली में शनिवार सुबह कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया। ये जहांगीरपुरी में 456, आईजीआई एयरपोर्ट में 397, आईटीओ में 411, ओखला में 425, पूसा में 416, वजीरपुर में 449, आरके पुरम में 446 और विवेक नगर में 440 रहा। नोएडा में यह 529, गुरुग्राम में 478, गाजियाबाद में 361 और फरीदाबाद में 400 दर्ज किया गया।

लोग सांस लेने में गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं और दिल्ली के सभी प्राथमिक स्कूलों को अगले मंगलवार तक के लिए बंद कर दिया गया है। शुक्रवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब में उनके समकक्ष भगवंत मान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हाथ जोड़कर ये माना कि वह पंजाब में पराली के जलने को नहीं रोक पाए। दोनों लोगों ने ये वादा किया है कि वह अगले साल तक हालात को बदल देंगे। 

केजरीवाल ने कहा, उनकी पार्टी आप पंजाब में केवल 6 महीने पहले ही आई है और इसलिए पराली के धुंए पर काबू के लिए पर्याप्त समय नहीं था। उन्होंने ये भी कहा कि पराली जलाने के लिए केवल पंजाब पर आरोप लगाना ठीक नहीं होगा। 

वह यूपी, बिहार, राजस्थान के तमाम शहरों की लिस्ट लेकर आए, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली की तुलना में अधिक गंभीर था। उन्होंने सवाल किया, 'बिहार, यूपी और राजस्थान में धान की पराली नहीं जलाई जा रही, फिर भी यहां एयर क्वालिटी गंभीर क्यों है? क्यों लोग केवल दिल्ली के वायु प्रदूषण की बात करते हैं?'

ये वही केजरीवाल थे, जिन्होंने बीते साल ये आरोप लगाया था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजह पंजाब में जलाई जाने वाली पराली है, लेकिन शुक्रवार को वह अलग ही राग अलाप रहे थे। ये वही केजरीवाल थे, जिन्होंने ये वादा किया था कि अगर वह पंजाब में सत्ता में आए तो प्रदूषण की समस्या का समाधान करेंगे। 

शुक्रवार को भगवंत मान ने कहा कि वह किसानों को धान की जगह सरसों और बाजरा जैसी अन्य फसलें बोने के लिए कहकर परमानेंट समाधान देंगे। इससे पानी भी बचेगा और पराली की समस्या भी खत्म हो जाएगी।

वहीं बीजेपी नेताओं ने केजरीवाल और मान पर वायु प्रदूषण को ना रोक पाने की वजह से निशाना साधा है। बीजेपी नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने एक बिलबोर्ड पोस्ट किया, जिसमें केजरीवाल और एडोल्फ हिटलर दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल दूसरे शासक हैं, जिन्होंने अपने शहर को गैस चैंबर में बदल दिया। हिटलर पहला ऐसा शासक था।

बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि पंजाब में आप सरकार कम से कम पराली की आग की घटनाओं को कम कर सकती थी, लेकिन स्थिति बिल्कुल इसके उलट हुई। पिछले साल के मुकाबले इस साल पंजाब में 34 परसेंट ज्यादा पराली जली। केंद्र सरकार ने पराली की समस्या खत्म करने के लिए जो पैसे दिए, पंजाब सरकार ने उसमें से ज्यादातर फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया। पराली को खत्म करने के लिए जो मशीनें खरीदीं गईं, उसमें से भी कुछ मशीन चोरी हो गईं। 

सच तो यही है कि पराली के मुद्दे पर केजरीवाल पहले इतना बोल चुके हैं कि आज उनसे जवाब देते नहीं बन रहा है। 2 साल पहले, 4 नवंबर 2020 को उन्होंने ट्वीट किया था कि दिल्ली के खेतों में बायो डिकंपोजर की तकनीक कामयाब रही और पराली, खाद में बदल गई। इससे दिल्ली का किसान संतुष्ट भी है और खुश भी है। हमारे किसान पराली नहीं जलाना चाहते। हमने उन्हें समाधान भी दे दिया है और सुविधा भी दी है। अब दूसरे राज्यों को भी बहाने छोड़कर अपने राज्य के किसानों को ये सुविधा देनी चाहिए।

लेकिन हालात अब बदल गए हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है लेकिन केजरीवाल पंजाब के किसानों को सुविधा देने की बजाए ये बहाना बना रहे हैं कि प्रदूषण की समस्या तो यूपी और बिहार जैसे दूसरे राज्यों में भी है। बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि केजरीवाल तो पराली को सोना बता रहे थे। अब उसी सोने की लंका जल रही है तो केजरीवाल हाथ खड़े करके भाग रहे हैं।

जब केजरीवाल और मान शुक्रवार को बहाने बनाने में व्यस्त थे, तभी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने समस्या का वैज्ञानिक समाधान खोजने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों के सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि धान की पराली के प्रबंधन पर चर्चा राजनीतिक बहस से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

तोमर ने कहा, 'समस्या गंभीर है और आरोप-प्रत्यारोप लगाना उचित नहीं है। IARI (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित डीकंपोजर न केवल यह सुनिश्चित करेगा कि मिट्टी सुरक्षित है, बल्कि प्रदूषण भी कम करेगा।'

तोमर ने कहा, 'यूपी में 26 लाख एकड़, पंजाब में 5 लाख एकड़, हरियाणा में 3.5 लाख एकड़ और दिल्ली में 10,000 एकड़ में पूसा धान डीकंपोजर का इस्तेमाल हुआ और इनके अच्छे परिणाम मिले हैं।' उन्होंने कहा, 'राज्यों को पराली प्रबंधन के लिए 2,07,000 मशीनें दी गई हैं और उन सभी का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। आईएआरआई द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर के उपयोग से खेती योग्य भूमि की उर्वरता बढ़ेगी और वायु प्रदूषण कम होगा।'

पूरे एनसीआर में अब स्थिति भयावह है। दिल्ली सरकार के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को अब घर से काम करने के लिए कहा गया है, और प्राइवेट ऑफिसों में भी ऐसा करने की सलाह दी गई है। राजधानी में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और वाहन मालिकों को बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल कारों को सड़कों से हटाने के लिए कहा गया है। स्कूलों में छात्रों की सभी प्राइमरी क्लासों और बाहरी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। 

केजरीवाल अब तक पराली के मुद्दे पर खामोश थे। दो दिन पहले उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया और इसके बाद शुक्रवार को कहा कि प्रदूषण तो हर राज्य में है। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को पूरे देश में प्रदूषण को खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

केजरीवाल को लग रहा था कि पंजाब में पराली 2 हफ्ते और जलेगी, फिर बुआई हो जाएगी, पराली का धुंआ खत्म हो जाएगा और उसके बाद दिल्ली में प्रदूषण का मुद्दा भी ठंडा हो जाएगा। लेकिन केजरीवाल को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस दौरान MCD के चुनाव की तारीख आ जाएगी।

शुक्रवार को जब MCD चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया तो केजरीवाल के कान खड़े हो गए। वह समझ गए कि पराली का धुंआ उनकी पार्टी की चुनावी संभावनाओं को ले डूबेगा। उन्होंने पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस बात को स्वीकार किया कि वे पराली की आग को रोकने में नाकाम रहे। वह समझ गए कि गलती को मान लेने में ही भलाई है। क्या दिल्ली की जनता मानेगी?

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 04 नवंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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