Friday, March 29, 2024
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‘4G की वजह से हुई बिहार में 100 से अधिक बच्चों की मौत’

स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से जर्जर है, गांव में स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव है और जहां केंद्र है, वहां डॉक्टर नहीं है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 18, 2019 15:51 IST
‘4G की वजह से हुई बिहार में 100 से अधिक बच्चों की मौत’- India TV Hindi
‘4G की वजह से हुई बिहार में 100 से अधिक बच्चों की मौत’

नई दिल्ली: बिहार में चमकी बुखार से मौतों के बीच प्रदेश के नेताओं के बेतुके बयान आने जारी है। बीजेपी सांसद अजय निषाद ने चमकी बुखार के लिए 4G फॉर्मूले को जिम्मेदार बताया है। अजय निषाद ने कहा है कि गरीबी, गांव, गंदगी और गर्मी बच्चों की मौत की वजह है। निषाद का कहना है कि इंसेफलाइटिस के मामले हर साल आते हैं लेकिन इस साल इसकी संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि संभव है इसका कारण प्रचंड गर्मी हो।

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बता दें कि बिहार में चमकी बुखार का कहर जारी है। मुजफ्फरपुर में अबतक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि सैंकड़ों बच्चे अभी भी जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार ने इस बीमारी को रोकने और बीमार बच्चों की इलाज में पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन हर कोशिश नाकाफी साबित हो रही है। 

सैंकड़ो बच्चों की मौत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हरकत में आए हैं और आज वो खुद मुजफ्फरपुर पहुंचे जहां श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मरीजों एवं उनके परिवार से हालचाल ले रहे थे, जबकि बाहर लोग ‘नीतीश कुमार मुर्दाबाद’ और ‘नीतीश हाय-हाय’ के नारे लगा रहे थे। लोगों का आरोप था कि इतने बड़े पैमाने पर इस गंभीर बीमारी के फैलने के बावजूद अभी तक सही से इलाज नहीं हो रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से जर्जर है, गांव में स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव है और जहां केंद्र है, वहां डॉक्टर नहीं है। अज्ञात बुखार के बारे में जांच, पहचान एवं स्थाई उपचार के लिये स्थानीय स्तर पर एक प्रयोगशाला स्थापित करने की मांग लंबे समय से मांग ही बनी हुई है, लेकिन इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया। 

वहीं, एक डॉक्टर के मुताबिक अस्पताल में इस समय मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हम भले ही एक बेड पर 2 मरीज रख रहे हैं लेकिन उनका इलाज लगातार जारी है। आपको बता दें कि 2000 से 2010 के दौरान इस बीमारी की चपेट में आकर 1000 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। सबसे खतरनाक बात यह है कि अभी तक इस बीमारी की साफ वजह पता नहीं चल पाई है।

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