Thursday, May 02, 2024
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आखिर क्यों बिल्लियों से बेहद प्यार करते हैं इंसान, जानें कैसे ये आपके दिमाग पर कर लेती है काबू

दुनिया भर में करीब 60 करोड़ बिल्लियां हैं, जिनमें से कई परिवार के प्यारे सदस्य हैं। एक नए अध्ययन ने बिल्लियों के बारे में एक नई चीज का पता लगाया है। आइए जानते हैं।

Sushma Kumari Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: December 28, 2022 13:09 IST
cat and human relation- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK cat and human relation

आमतौर पर अधिकतर घरों में आपने बिल्लियों को पालते हुए देखा होगा। दुनिया भर में करीब 60 करोड़ बिल्लियां हैं, जिनमें से कई परिवार के प्यारे सदस्य हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी पालतू प्यारी बिल्ली आपके दिमाग को भी नियंत्रित कर सकती है। जी हां, आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन एक नए अध्ययन ने बिल्लियों के बारे में एक नई चीज का पता लगाया है। जब लोग कहते हैं कि वे बिल्लियों से प्यार करते हैं, तो वह प्यार तीव्र हो सकता है। कई लोगों के लिए, एक बिल्ली दोस्त के समान, भरोसेमंद और अकेलेपन को दूर करने के काम आती है। 

 बिल्ली नहीं करती आपकी परवाह

टोक्यो यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन में कहा गया है कि भले ही आप बिल्ली की परवाह करते हों लेकिन बिल्ली आपकी परवाह नहीं करती। लेकिन बिल्ली आपकी आवाज को पहचानती है। अध्ययन में शामिल बिल्लियों में आधी अपने मालिक की आवाज सुनकर पीछे मुड़कर देखती हैं जबकि कुछ बिल्लियां कान हिलाती हैं। जो ये दर्शाता है कि उसने आपकी आवाज सुन ली है।

 बिल्ली दो फ्रीक्वेंसी में  निकाल सकती है आवाज

अध्ययन में कहा गया है कि बिल्ली अलग-अलग परिस्थितियों में म्याऊं-म्याऊं की आवाज निकालती है। एक वैज्ञानिक ने अपनी बिल्ली की आवाज पर ही अध्ययन करना शुरू किया। इस दौरान उन्हें पता लगा कि बिल्ली दो फ्रीक्वेंसी में आवाज निकाल सकती है। जिसमें एक आवाज स्लो फ्रीक्वेंसी वाली होती है जबकि दूसरी हाई फ्रीक्वेंसी की होती है। हाई फ्रीक्वेंसी फ्रीक्वेंसी है जब कोई बच्चा रोते हुए आवाज निकालता है। यानी जब कोई बिल्ली हाई फ्रीक्वेंसी में आवाज निकालती है तो आपको ऐसा लगेगा कि कोई बच्चा रो रहा हो। वैज्ञानिक का कहना है कि जब कोई बिल्ली हाई फ्रीक्वेंसी आवाज निकालती है तो इसका मतलब उसे भूख लगी है।

कुछ अध्ययनों के अनुसार, बिल्ली के अंदर कई ऐसे परजीवी होते हैं जो हमारे दिमाग पर असर डालते हैं। दरअसल, चूहे को खाने की वजह से बिल्ली के पेट में टाक्सापलाज़्मा परजीवी पहुंच जाता है जो बिल्ली से इंसानों तक भी आ जाता है। वहीं, वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की डॉ पेट्रीसिया पेंड्री मानव-जानवरों की बातचीत का अध्ययन करती हैं। उन्होंने अत्यधिक भावुक लोगों और उनकी बिल्लियों के बीच विशेष रूप से मजबूत बंधन के बारे में एक शोध किया है। डॉ पेंड्री ने एमएनटी को अनुमान लगाया कि बिल्लियों का भेदभावपूर्ण व्यवहार मनुष्यों के लिए अनूठा हो सकता है। 

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