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Hariyali Teej 2022: इस साल हरियाली तीज पर बन रहे हैं शुभ योग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

Hariyali Teej 2022:आइए जानते हैं हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि,और व्रत कथा के बारे में।

Sushma Kumari Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: July 21, 2022 12:29 IST
Hariyali Teej 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Hariyali Teej 2022

Highlights

  • हरियाली तीज का त्योहार इस बार 31 जुलाई 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा।
  • इस बार हरियाली तीज पर रवि योग बन रहा है।
  • यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।

Hariyali Teej 2022:  हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाया जाता है। कहा जाता है कि हरियाली तीज एक के बाद एक त्योहारों के आगमन का दिन है। इस त्योहार के बाद से देश के लगभग सभी बड़े त्योहार आने शुरू हो जाते हैं। इसे मधुश्रवा तृतीया या छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार हरियाली तीज के बाद ही नाग पंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और नवरात्र आदि बड़े त्योहार आते हैं, जिससे भारतवर्ष की छटा में चार चांद लग जाते हैं और चारों तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आती हैं। यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। इस दिन वह निर्जला व्रत रखती हैं।  आइए जानते हैं हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि,और व्रत कथा के बारे में।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

  • हरियाली तीज तृतीया तिथि आरंभ: 31 जुलाई - सुबह 02 बजकर 59 मिनट से शुरू
  • तृतीया तिथि समाप्त:   01 अगस्त - सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर

कब है हरियाली तीज?

  • हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार 31 जुलाई 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा। 

हरियाली तीज पर बन रहा है खास योग

इस बार हरियाली तीज पर रवि योग बन रहा है। किसी भी शुभ कार्य को संपन्न करने के लिए रवि योग काफी शुभ माना गया है। मान्यताओं के अनुसार,  रवि योग पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में शुभ प्रभावों में वृद्धि होती है।  हरियाली तीज के दिन रवि योग दोपहर 2:20 बजे से शुरू होकर 1 अगस्त को सुबह 6:04 बजे तक रहेगा।

Hariyali Teej 2022

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Hariyali Teej 2022

हरियाली तीज  पूजा विधि

  • इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
  • उसके बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेती हैं। 
  • इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है। 
  • माता को श्रृंगार का समाना अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती का आवाह्न करें। माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें। शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें। 
  • 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये'  मंत्र का जाप भी कर सकती हैं।
  • इस बात का ध्यान रखें कि प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें।

जब  माता पार्वती की पूजा कर रहे हो तो इस मंत्र का जप करें

ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना के दौरान इन मंत्रों का जाप करें

ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:

हरियाली तीज व्रत कथा

हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कथा के अनुसार माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं। यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गये और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है। इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी।

नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है। यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं।

घने और सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया। भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गए। वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गए।

शिव इस कथा में बताते हैं कि बाद में विधि-विधान के साथ उनका पार्वती के साथ विवाह हुआ। शिव कहते हैं, 'हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं।'

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है। 

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