इस वर्ष सितंबर 2021 तक घरेलू कोयला आधारित बिजली उत्पादन में लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं आयात आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा पीपीए के तहत बिजली की आपूर्ति लगभग 30 प्रतिशत कम हो गई है।
कोयले की कमी की वजह से एमएसईडीसीएल को बिजली की आपूर्ति करने वाले 13 थर्मल पावर प्लांट में उत्पादन ठप हो गया है, इसकी वजह से 3300 मेगावाट से ज्यादा बिजली की आपूर्ति पर असर पड़ा है।
ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने जहां देश में किसी तरह के बिजली संकट नहीं होने का दावा किया लेकिन महाराष्ट्र सरकार के बिजली विभाग ने एक प्रेस रिलीज जारी कर राज्य की जनता से बिजली की बचत करने की अपील कर दी है।
ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि देश में बिजली का संकट नहीं है और और फिलहाल कोयले का भरपूर स्टॉक मौजूद है।
सरकार के मुताबिक कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और बारिश की वजह से देश की कोयला खदानों में कामकाज पर असर से बिजली उत्पादन घटा है, लेकिन उम्मीद है कि यह स्थिति 3-4 दिन में ठीक हो जायेगी।
देश के कई इलाकों में अत्यधिक वर्षा के कारण कोयला की आवाजाही प्रभावित होने से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है।
पंजाब में ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की भारी कमी के कारण बिजली कंपनी पीएसपीसीएल को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है और राज्य में कई स्थानों पर बारी-बारी से बिजली कटौती की जा रही है।
बिजली कीमत में बहुत अधिक वृद्धि से महंगाई बढ़ने का भी डर है। जो पहले से ही नीति निर्माताओं को अपने अगले कदम पर सावधानीपूर्वक विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है।
यूपी के ऊर्जा विभाग के अनुसार, देश भर में 16 बिजली परियोजनाओं में से आठ के पास केवल छह दिनों के लिए कोयले का भंडार है, जबकि 109 गैर-पिथेड परियोजनाओं में से 25 ने एक सप्ताह के लिए स्टॉक रखें हैं।
त्योहारी सीजन से पहले भारत में बड़ा संकट पैदा होने का खतरा मंडरा रहा है। अगर सरकार ने इसे लेकर जल्द कदम नही उठाए तो इसका असर बड़े स्तर पर देखने को मिल सकता है।
बीते वित्त वर्ष में देश का कोयला उत्पादन 2.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 71.60 करोड़ टन रह गया। नॉन कोकिंग कोयला का हिस्सा 67.12 करोड़ टन और कोकिंग कोयला का 4.47 करोड़ टन रहा था
यह तीसरा महीना है जब कोर सेक्टर के उद्योगों में वृद्धि दर्ज की गयी है। कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, सीमेंट और बिजली का उत्पादन बढ़ा है।
इन खदानों को 25 मार्च से शुरू हुई पहली नीलामी प्रक्रिया में ऱखा गया था, हालांकि इन्हें एकल बोली ही मिली थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह अप्रैल-अगस्त में बिजली संयंत्रों को कोल इंडिया की आपूर्ति 27.2 प्रतिशत बढ़कर 20.59 करोड़ टन पर पहुंच गयी।
बिजली मंत्री ने यह भी इच्छा व्यक्त की कि मंत्रालय बिजली संयंत्रों द्वारा इन खानों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कैप्टिव खानों वाले बिजली संयंत्रों की एक अलग समीक्षा करे।
जून में कुल कोयला आयात में नॉन-कोकिंग कोल का हिस्सा 1.30 करोड़ टन रहा। वहीं इस दौरान कोकिंग कोयले का आयात 24.6 लाख टन से बढ़कर 40.6 लाख टन पर पहुंच गया
बयान के अनुसार, स्टॉक की दैनिक निगरानी सुनिश्चित करने के लिए बिजली मंत्रालय, सीईए और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक कोर प्रबंधन टीम (सीएमटी) का गठन करने का फैसला किया गया।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो माह में देश का कोयला आयात 25.4 प्रतिशत बढ़कर 4.21 करोड़ टन पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3.36 करोड़ टन था।
मंत्रालय के मुताबिक 19 कोयला खदानों के लिए कुल 34 बोलियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 10 पूरी तरह से खोजी गई खदानें हैं और 9 आंशिक रूप से खोजी गई खदानें हैं।
कोल इंडिया की झारखंड स्थित सब्सिडियरी यूनिट भारत कोकिंग कोल लि. (बीसीसीएल) से ई-नीलामी के जरिये खरीदा गया कोयला बांग्लादेश के खुलना स्थित रामपल बिजली घर के लिये भेजा गया है।
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