कई लोगों का मानना है कि गुमनामी बाबा वास्तव में नेताजी (बोस) थे जो नैमिषारण्य, बस्ती, अयोध्या और फैजाबाद में कई स्थानों पर साधु के वेश में रहते थे। वह जगह बदलते रहे, ज्यादातर शहर के भीतर ही।
आज नेता जी की जयंती है। नेता जी ने अपना सारा जीवन देश के नाम कर रखा था। नेता जी ने देश की आजादी के लिए काफी संघर्ष किया। आइए नेता जी के जीवन से जुड़े कुछ इतिहास पर नजर डालें।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में नेताजी के योगदान को याद करने का सबसे अच्छा तरीका कड़ी मेहनत करना और छुट्टियों में शामिल नहीं होना है। उन्होंने कहा कि यह सवाल पूरी तरह से सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
Subhash Chandra Bose Death Anniversary: देश की आजादी के महानायक सुभाष चंद्र बोस का निधन कब हुआ। इस बारे में कई तरह की किंवदंतियां हैं। मगर कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को एक हवाई यात्रा के दौरान उनका दुर्घटना में निधन हो गया।
देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अथक प्रयास किए। उन्होंने ब्रिटेन के विरोधी देशों को जो विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की, ताकि वे अपनी ऐसी फौज बना सकें, जिससे वे अंग्रेजों से लड़ सकें। इसके लिए वे जर्मनी गए और हिटलर से मिले, जापान भी गए। उन्हें यहां से सहयोग भी मिला।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर पदयात्रा के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नेताजी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और उन्हें सही मायने में समझने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जनवरी को कोलकाता जाएंगे जहां वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर पराक्रम दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे। बता दें कि मोदी सरकार ने नेताजी की जयंती को हर साल पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया है।
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