रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बाद अब उनके समर्थक उपन्यासकार पर घातक हमला हुआ है। इस कार बम विस्फोट में हालांकि उपन्यासकार की जान तो बच गई, लेकिन उनके ड्राइवर की हमले में मौत हो गई। इससे पहले पुतिन के क्रेमलिन हाउस पर ड्रोन से हमला किया गया था। रूस ने इस हमले को यूक्रेन द्वारा पुतिन की हत्या का प्रयास बताया था।
रूस के वैगनर सैन्य समूह के प्रमुख ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि रूसी सेना उसके जवानों को गोला-बारूद उपलब्ध नहीं करा रही है। इस कारण यूक्रेन के बखमुत में की जा रही लड़ाई को रोक सकता है।
Internatinal News: रूस का दावा, Ukraine ने की राष्ट्रपति Putin को जान से मारने की कोशिश
अमेरिका से 30 करोड़ डॉलर के हथियार मिलने की घोषणा के बाद यूक्रेन ठीक तरीके से मुस्कुरा भी नहीं पाया होगा कि इधर रूस ने मिसाइलों के निर्माण की संख्या दोगुनी करने का ऐलान करके जेलेंस्की की स्माइल गायब कर दी है। बता दें कि रूसी मिसाइलों के कहर से लगभग पूरा यूक्रेन खंडहर हो चुका है।
अमेरिका युद्ध के आरंभ से ही यूक्रेन पर मेहरबान रहा है। अब तक यूक्रेन को सैकड़ों करोड़ डॉलर की सहायता दे चुका है। एक बार फिर यूक्रेन पर रूसी हमलों के बीच अमेरिका यूक्रेन को करीब 30 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता भेज रहा है, जिसमें भारी मात्रा में सबसे खतरनाक माने जाने वाले रॉकेट और गोला-बारूद शामिल हैं।
रूसी कमांडर इगोर गिरकिन ने कहा कि ‘आलाकमान की अनुमति के बिना जंग के मोर्चे पर सैनिकों को वापस लेने की अपील एक तरह का सैन्य विद्रोह ही है और कुछ नहीं।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस और जर्मनी में ठन चुकी थी। मगर अब रूस और जर्मनी सीधे तौर पर आमने-सामने हैं। जर्मनी और रूस में उस वक्त तनाव चरम पर पहुंच गया था, जब जर्मनी ने यूक्रेन को लेपर्ड टैंक देने का ऐलान किया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जर्मनी के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
शांगफू ने बताया कि यह उनके रक्षा मंत्री बनने के बाद पहली विदेश यात्रा है। उन्होंने बताया कि पहली रूस यात्रा के लिए उन्होंने विशेष रूप से रूस को चुना, जो यह बताता है कि चीन के लिए रूस कितना अहम है। दोनों देशों के आपसी संबंधों और उसके रणनीतिक महत्व पर और काम किया जा सके, इसलिए उन्होंने रूस का दौरा किया है।
रूसी मिसाइलों ने पूर्वी यूक्रेन के सोल्वियांस्क शहर मे कहर बरपाया है। मिसाइल के हमले से सोल्वियांस्क शहर के आवासीय इलाकों में 8 लोगों की मौत हो गई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक डिजिटल मसौदा प्रणाली बनाने के लिए एक ऐसे बिल पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे कि रूसियों को सेना में शामिल करने में काफी मदद मिलेगी।
यूक्रेन युद्ध के बीच एक छोटे से देश ने सीधे रूस के राष्ट्रपति पुतिन से पंगा ले लिया है। इस देश का नाम सुनेंगे तो आप भी हैरान हो जाएंगे। पुतिन से सीधे पंगा लेने की हिम्मत जुटाई है यूरोप के एक छोटे से देश नार्वे ने, जिसने 15 रूसियों को अपने देश से बाहर निकाल दिया। आइए अब आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है?
एक वर्ष पहले यूक्रेन पर हमला करने वाला रूस भले ही कीव के मैदान में जेलेंस्की की सेना को नाकों चने चबवा दिया हो, लेकिन वह संयुक्त राष्ट्र के मंच पर करारी शिकस्त खा गया है। इससे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को करारा झटका भी लगा है।
रूस में युवा कामगारों की काफी कमी हो गई है। इस संकट से निपटने के लिए उसे अपने दोस्त और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले युवाओं के देश भारत की याद आई है। रूस ने भारत से कहा है कि भारतीय युवा रूस मे आकर काम करें। इसके लिए रूस ने कई तरह के प्रयास भी किए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन हत्या से बचने के लिए प्लेन की बजाय सीक्रेट ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं। वहीं खुद खाना खाने से पहले अपने खाने को चैक कराते हैं। बाकायदा एक फूड टेस्ट करने वाला विशेषज्ञ अपने साथ रखते हैं जो खाने को पहले टेस्ट करता है
रूस- यूक्रेन युद्ध को 1 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन इसके खात्मे के अभी तक कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस बीच पुतिन के विशेष सुरक्षा दस्ते के एक अधिकारी ने अपने राष्ट्रपति को तगड़ा झटका दिया है। यह अधिकारी पुतिन की खुफिया सुरक्षा सेवा में तैनात था। मगर युद्ध के दौरान ही अधिकारी ने पुतिन का साथ छोड़ दिया है।
फिनलैंड मंगलवार को आधिकारिक तौर पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो‘ में शामिल होने जा रहा है। नाटो के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि फिनलैंड मंगलवार को इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा। यह खबर रूस के लिए झटके की तरह है।
पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस की यात्रा की थी। इसके बाद भी ये कहा जाने लगा था कि चीन के बहकावे में रूस भारत के विरोध में न चला जाए। लेकिन रूस की ओर से भी भारत के साथ दोस्ती को हमेशा तवज्जो दी गई।
इस महीने एस्टोनिया ने रूस के एक राजनयिक को निष्कासित किया था, जिस पर विरोध प्रकट करते हुए रूस ने अपने यहां एस्टोनिया के दूतावास प्रभारी जो कि यूरोपियन यूनियन देशों के मिशन के प्रमुख हैं, उन्हें तलब किया था। रूस ने घोषणा की थी कि एक एस्टोनियाई राजनयिक को मॉस्को से जाना होगा।
पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को नाटो देश हथियारों की मदद कर रहे हैं। यह चिंता का कारण है। हालांकि इससे रूस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पुतिन ने अमेरिका और नाटो देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस के पास हथियारों का जखीरा जमा है, भरा हुआ है। इसका अभी तक इस्तेमाल ही नहीं किया गया है।
पुतिन के करीबी मेदवदेव ने कहा कि अगर पुतिन को अरेस्ट करने की कोई भी कोशिश की जाती है तो दुनिया में परमाणु प्रलय आ सकता है। उधर, रूसी राष्ट्रपति के आफिस ने कहा है कि कोर्ट का वारंट एक पक्षपातपूर्ण फैसला है और यह हमारे लिए कोई महत्व नहीं रखता है।
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