Friday, December 13, 2024
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रामलला और राम मंदिर पर राजनीति से भड़के रामभद्राचार्य, कहा- विनाश काले, विपरीत बुद्धि

22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इसका इंतजार सभी राम भक्तों को है। लेकिन कुछ लोग अब भी राम मंदिर और रामलला पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसपर अब रामभद्राचार्य ने टिप्पणी करते हुए जवाब दिया है।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Jan 20, 2024 14:44 IST, Updated : Jan 20, 2024 15:04 IST
Rambhadracharya REMARK ON THE politics on RamlalLa and Ram temple said THIS- India TV Hindi
Image Source : ANI जगद्गुरू रामभद्राचार्य

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इसमें अब केवल 2 दिन बाकी रह गया है। भक्तों को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार है। कुछ लोग अयोध्या घूमकर आ गए तो कुछ अयोध्या जाने की बात कर रहे हैं। दरअसल इन सब में एक बात समान है वो ये कि सभी भगवान राम के दर्शन करना चाहते हैं और भव्य राम मंदिर को भी देखना चाहते हैं। लेकिन राम मंदिर को लेकर राजनीति पहले भी होती रही है और अब भी जारी है। कोई राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकरा रहा है तो कोई राम मंदिर को लेकर ये कहता दिखा कि राम मंदिर अपने असर स्थान से 3 किमी दूर बना है। 

रामभद्राचार्य ने की टिप्पणी

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी सवाल खड़े किए गए। राजनीतिक विवादों पर अब जगद्गुरू रामभद्राचार्य ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, 'विनाश कालै, विपरीत बुद्धि। उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। मैं बिल्कुल वैसा ही महसूस कर रहा हूं, जैसे राम के 14 वर्षों बाद वनवास से वापस आने पर वशिष्ठ जी ने महसूस किया था।' बता दें कि इस दौरान जगद्गुरू ने एक भक्ति गाना भी गाया, जिसके शब्दों के जरिए उन्होंने रामलला के मुखमंडल को परिभाषित करने का प्रयास किया। बता दें कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। 

भगवान राम को मिल रहे उपहार

इस बीच तमाम तरह के उपहार भी रामलला को भेजे जा रहे हैं। बता दें कि शनिवार की सुबह अयोध्या में दुनिया का सबसे बड़ा और भारी ताला-चाबी पहुंच चुका है। बता दें कि इस ताले का निर्माण अलीगढ़ में किया गया है। वहीं 1265 किलोग्राम का लड्डू प्रसाद भी अयोध्या पहुंच चुका है जिसे हैदराबाद में तैयार किया गया है। अयोध्या पहुंचे ताले को क्रेन की मदद से उठाया गया। बता दें कि इस ताले को सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी रुक्मणि शर्मा ने दो साल पहले बनवाया था। हालांकि कुछ वक्त पहले पति की मौत हो जाने के कारण पत्नी ने इस ताले को राम मंदिर को दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पति की इच्छा थी कि इस ताले को भगवान राम के मंदिर को दिया जाए। इसलिए उन्होंने इस ताले को राम मंदिर के नाम कर दिया है। 

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