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दरक गया लालू की पार्टी का वोट बैंक... तेजस्वी का 'A TO Z' फॉर्मूला भी फेल; आखिर कहां हुई चूक?

महागठबंधन में शामिल राजद ने रणनीति के तहत क्षेत्रीय जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था। परिणाम पर गौर करें तो राजद इस चुनाव में न अपने वोट बैंक को सहेज सकी न उसका 'ए टू जेड' फॉर्मूला ही सफल हो सका।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jun 05, 2024 18:20 IST, Updated : Jun 05, 2024 18:23 IST
tejashwi yadav- India TV Hindi
Image Source : PTI तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी

लोकसभा चुनाव में देश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा और बहुमत के साथ जनादेश प्राप्त कर एनडीए ने सरकार बनाने को लेकर कवायद शुरू कर दी है। बिहार में भी एनडीए विपक्षी दलों के महागठबंधन से बहुत आगे है। इस चुनाव के परिणाम पर गौर करें तो साफ दिखता है कि राजद के नेता तेजस्वी यादव ने चुनावी प्रचार में 251 चुनावी सभा कर भले सबसे आगे रहे हों, लेकिन, सही अर्थों में राजद इस चुनाव में न अपने वोट बैंक को सहेज सकी न उसका 'ए टू जेड' फॉर्मूला ही सफल हो सका। महागठबंधन में शामिल राजद ने रणनीति के तहत क्षेत्रीय जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था।

क्यों फेल हुआ तेजस्वी का 'ए टू जेड' फॉर्मूला?

  1. तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले ही 'ए टू जेड' की चर्चा शुरू कर इस बात के संदेश दिए थे कि राजद सिर्फ एम-वाई यानी यादव-मुस्लिम वोट बैंक पर नहीं, बल्कि सभी जातियों को साधने की कोशिश में है। टिकट बंटवारे में भी राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन ने न केवल सवर्ण समाज के नेताओं को टिकट दिए, बल्कि कुशवाहा समाज के लोगों को भी प्रत्याशी बनाया। लेकिन, चुनाव परिणाम ने साफ कर दिया कि राजद का वोट बैंक एम-वाई समीकरण आंख मूंदकर राजद के साथ नहीं आया और विरोधी भी इस वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हुए।
  2. उजियारपुर से भाजपा के नित्यानंद राय की जीत ने साबित किया कि राजद का वोट बैंक दरक गया है। इसी तरह मधुबनी में भाजपा के अशोक यादव के खिलाफ राजद ने अली अशरफ फातमी को उतारकर अपने वोट बैंक को साधने की कोशिश की थी, लेकिन फातमी की हार ने इस समीकरण के दरकने के संकेत दे दिए।
  3. पूर्णिया के चुनाव परिणाम ने तो राजद के वोट बैंक के दावे की पूरी तरह पोल खोल कर रख दी। पूर्णिया में राजद नेता तेजस्वी यादव ने राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को वोट नहीं देने की अपील तक अपने समर्थकों से की थी, लेकिन पप्पू यादव सफल हो गए। उन्होंने जदयू के संतोष कुमार कुशवाहा को हराया। राजद प्रत्याशी बीमा भारती को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा।
  4. झंझारपुर में बसपा के गुलाब यादव और नवादा में निर्दलीय विनोद यादव को मिला वोट भी इस बात के प्रमाण दिया कि राजद का यादव मतदाता अब आंख मूंदकर राजद के साथ नहीं है। नवादा में विनोद को 39,000 से अधिक मत मिले। सीतामढ़ी से जदयू की जीत भी राजद के वोट बैंक के टूटने पर मुहर लगा रही है। जदयू ने यहां से ब्राह्मण समाज से आने वाले देवेश चंद्र ठाकुर को प्रत्याशी बनाया तो राजद ने यादव समाज से आने वाले अर्जुन राय को चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन राजद को यहां भी सफलता नहीं मिल सकी।
  5. वैशाली से राजद के मुन्ना शुक्ला को भी हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा भी कई ऐसी सीटें हैं, जहां राजद के वोट बैंक के दरकने के संकेत मिल रहे हैं।

महागठबंधन में राजद 26, कांग्रेस नौ और वामपंथी दलों ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा। राजद ने अपने कोटे से तीन सीटें मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी को दी थी। राजद ने चार सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस को तीन, भाकपा माले को दो सीट मिली। पिछले चुनाव में एनडीए ने 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस को एक सीट मिली थी। राजद का खाता भी नहीं खुला था। (IANS इनपुट्स के साथ)

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