Wednesday, December 17, 2025
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अटल जी की स्मृति में हुआ ‘अटल संस्मरण’ का विमोचन, रजत शर्मा ने साझा किए भावुक निजी अनुभव

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में लिखी गई किताब ‘अटल संस्मरण’ का विमोचन बुधवार को दिल्ली में हुआ। कार्यक्रम में रजत शर्मा ने अटल जी से जुड़े कई निजी और प्रेरक संस्मरण साझा किए।

Reported By : Sanjay Sah Edited By : Vineet Kumar Singh Published : Dec 17, 2025 11:22 pm IST, Updated : Dec 17, 2025 11:23 pm IST
Rajat Sharma, Atal Bihari Vajpayee, Atal Sansmaran book launch- India TV Hindi
Image Source : REPORTER'S INPUT कार्यक्रम के दौरान इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में अशोक टंडन द्वारा लिखित किताब 'अटल संस्मरण' का प्रकाशन समारोह बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस मौके पर रजत शर्मा ने अटल जी के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। रजत शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, 'यह हमारा सौभाग्य है कि आज इस मंच पर दो ऐसे व्यक्ति आसीन हैं, नितिन गडकरी और अशोक टंडन, जो कि अटल जी के बहुत प्रिय थे। इस सभागार में मैं कितने सारे चेहरे देख सकता हूं जो अटल जी को प्यार करते थे और जिन्हें अटल जी प्यार करते थे। यह बताने की कोई आवश्यकता नहीं है कि अटल जी के जीवन में इतने रंग थे कि उन्हें किसी किताब में संकलित करना, किसी फिल्म में दिखा पाना, किसी एक इंटरव्यू में उनके व्यक्तित्व को रख पाना यह असंभव कार्य था। फिर भी अशोक टंडन ने प्रयास किया है। अशोक टंडन को अटल जी को नजदीक से देखने, जानने और पहचानने का मौका मिला। मैं दो-तीन संस्मरण आपके साथ साझा करना चाहता हूं।'

छात्र जीवन में हुआ था अटल जी से पहला परिचय

रजत शर्मा ने अपना पहला संस्मरण साझा करते हुए बताया, 'अटल जी से मेरा पहला परिचय छात्र जीवन के दौरान हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ में मैं महामंत्री था। विजय गोयल अध्यक्ष थे। उस समय अटल जी से मिलना होता था, बातचीत होती थी। लेकिन सबसे इंटरेस्टिंग अनुभव हुआ तब जब दौलत राम कॉलेज में उन्हें छात्र संघ के उद्घाटन कार्यक्रम के लिए बुलाया गया। उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य जनरल सेक्रेटरी थी और मुझे उस कार्यक्रम की अध्यक्षता के लिए बुलाया गया था। मंच पर बैठे अटल जी ने पूछा कि यह दौलत राम कॉलेज कैसा कॉलेज है, तो मैंने कहा कि इसको बहनों का कॉलेज कहते हैं। मैंने अपने भाषण में कहा कि जब वह विदेश मंत्री थे तो कहा कि हमारे देश का जो टैलेंट है, उसको यहां मौका नहीं मिलता है। इंजीनियर को, डॉक्टर को, हमारा टैलेंट बाहर जा रहा है। विदेश मंत्री को कुछ करना चाहिए। जब अटल जी खड़े हुए बोले तो उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल साहिबा, छात्र संघ के महामंत्री कह रहे थे कि यह बहनों का कॉलेज है। आप सोचिए कि मेरा क्या हाल हुआ होगा। उन लड़कियों के कॉलेज में जहां मैं पॉपुलर था, जहां से मुझे वोट मिले थे। फिर दूसरी बात उन्होंने यह कही कि महामंत्री जी कह रहे थे कि हमारे इंजीनियर बाहर जा रहे हैं, हमारे डॉक्टर बाहर जा रहे हैं। मैं इनको बताना चाहता हूं कि चिंता मत करिए कुछ लोग इस देश को भरने के लिए लगे हुए हैं। उस दिन मुझे पता चला कि अटल जी को कोई तैयारी करने की जरूरत नहीं होती थी। उनकी जिह्वा पर सरस्वती विराजमान थी। उनकी छोटी-छोटी बातों में कितनी बड़ी बात कह देते थे।'

सुपरहिट हुआ था अटल जी के साथ 'आप की अदालत' शो

एक अन्य संस्मरण साझा करते हुए रजत शर्मा ने कहा, 'बहुत सारे संस्मरण इस दौरान रहे। लेकिन सबसे बड़ा अटल जी की उदारता का उदाहरण मैंने देखा जब मैंने उनके साथ 'आपकी अदालत' का कार्यक्रम रिकॉर्ड किया। 'आपकी अदालत' में अटल जी को लाना बड़ा मुश्किल काम था। जब वह कार्यक्रम में आए उसके बाद चुनाव हुआ, अटल जी 13 दिन प्रधानमंत्री रहे। फिर सरकार गिर गई। वह कार्यक्रम बहुत सुपरहिट था। जहां भी जाते थे लोग उसकी चर्चा करते थे, क्योंकि अटल जी की वाक्पटुता ऐसी थी, जिस तरह से उन्होंने सवालों के जवाब दिए थे। मैंने उनसे पहला सवाल पूछा कि अटल जी आप कवि भी हैं और राजनीति में भी हैं, आप कुंवारे हैं और परिवार के साथ रहते हैं। इतने सारे विरोधाभास तो उन्होंने कहा कि हमारे माता-पिता ने हमारा नाम ही ऐसा रखा था, हम अटल भी हैं और बिहारी भी हैं। जब नाम में विरोधाभास है तो काम में तो होगा ही। लेकिन बड़ी बात तब जब वह प्रधानमंत्री नहीं थे। मॉरीशस के प्रधानमंत्री के लिए देवेगौड़ा ने डिनर दिया था। उन्होंने वहां मुझे देखा और कहा कि आप हाजिर होइए, मैंने कहा कि मैं समझा नहीं। मुझे लगा कि मैंने कुछ उल्टे-सीधे सवाल पूछे थे। कार्यक्रम में यह भी पूछा था कि आपके चेहरे की लाली का राज क्या है, तो मुझे लगा कि थोड़ी डांट लगाएंगे।'

'आप की अदालत' को लेकर अटल जी ने रजत शर्मा से क्या कहा?

रजत शर्मा ने आगे कहा, 'तो मैं टाइम लेकर गया और जैसा उनका स्वभाव था, थोड़ी देर शांत बैठे रहे और फिर उन्होंने कहा कि हम आपसे आज कुछ कहना चाहते हैं और आज आप बोलेंगे नहीं हमारी बात को सुनेंगे। मैंने कहा कि अटल जी आप बड़े हैं आप कुछ भी कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि नहीं, हमारे दिल पर एक बोझ है उसे उतारना चाहते हैं। हम आपसे तीन बातें कहना चाहते हैं। पहली बात हमारे प्रधानमंत्री बनने की प्रक्रिया 'आपकी अदालत' कार्यक्रम से शुरू हुई। यह मेरे लिए इतनी बड़ी बात है कि मैं सुनकर सन्नाटे में आ गया और मैंने कहा कि अटल जी आपकी 50 साल की तपस्या है। उन्होंने कहा कि नहीं इस कार्यक्रम के बाद हमने लोगों की आंखों में परिवर्तन देखा। दूसरी बात हम आपसे कहना चाहते हैं कि हम क्षमा प्रार्थी हैं कि हम 13 दिन प्रधानमंत्री रहे और आपसे मिले नहीं। और बात उनकी उदारता देखिए कि उन्होंने हाथ बढ़ाया और कहा कि हम आपसे मित्रता करना चाहते हैं। उसके बाद मैं तीन-चार दिन तक सो नहीं पाया। वह बात कान में लगातार गूंजती थी। क्योंकि आमने-सामने की बातचीत थी इसलिए मैं किसी से शेयर नहीं कर सकता था। मैं किसी से कह नहीं सकता था और बरसों तक यह बात मैंने दिल में छुपा कर रखी। मैं तब इसको पब्लिकली शेयर किया जब 2014 में जब मोदी को 'आपकी अदालत' में बुलाना मुश्किल हो रहा था। मैं उनको 'आपकी अदालत' में बुलाने के लिए अहमदाबाद गया, तो उन्होंने कहा कि पंडित जी 'आपकी अदालत' में तो आना पड़ेगा। मैंने कहा कि पड़ेगा? यह तो आपकी डिक्शनरी में नहीं होता लेकिन पड़ेगा क्यों, तो उन्होंने कहा कि मैं अटल जी के साथ बैठा था और तब आपकी चर्चा हो रही थी उन्होंने बताया कि हमारी प्रधानमंत्री बनने की प्रक्रिया 'आपकी अदालत' कार्यक्रम से शुरू हुई थी। हमने लोगों की आंखों में परिवर्तन देखा था। एकदम वही सेंटेंस थे जो अटल जी ने मुझे बोले थे। उसके बाद मुझे लाइसेंस मिला कि मैं इसको बाकी लोगों के साथ शेयर करूं। मुझे लगता है कि आज से बेहतर और अवसर कोई नहीं हो सकता था।'

Rajat Sharma, Atal Bihari Vajpayee, Atal Sansmaran book launch

Image Source : REPORTER'S INPUT
'अटल संस्मरण' का विमोचन करते रजत शर्मा एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी।

जब ऋषिकेश मुखर्जी से मिलने जाना चाहते थे अटल जी

एक और घटना का जिक्र करते हुए रजत शर्मा ने कहा, 'तीसरी बात जब वह प्रधानमंत्री थे तो छुट्टी के लिए मनाली जाते थे और चूंकि उनसे एक ऐसा संबंध हो गया था कि छुट्टी में मैं और मेरे परिवार के लोग उनके साथ जाते थे और कोई उनके साथ नहीं रहता था। शाम के समय हम लोग वॉक करते थे। एक दिन मैंने कहा कि अटल जी आज शाम को मैं आपके साथ वॉक पर नहीं रहूंगा तो उन्होंने पूछा क्यों, मैंने कहा कि ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म शूट कर रहे हैं, दादा से मेरे अच्छे संबंध हैं उनसे मिलने जाऊंगा। उन्होंने कहा कि हम भी चलेंगे तो मैंने कहा कि आप प्रधानमंत्री हैं। मैंने कहा कि मैं मिलकर आता हूं। मैंने दादा को बताया कि अटल जी यहां पर हैं और आपसे मिलना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि नहीं वह नहीं आएंगे मैं जाऊंगा। मैंने कहा कि मैं क्या कहूं, ऋषिकेश मुखर्जी का कहना था कि काश मेरे भीतर शंकर जैसी शक्ति होती मैं उनको बाहों में भर लेता सारे संकट मुझ पर आ जाते, सारे विष मेरे अंदर होते और सारा अमृत अटल जी को मिल जाता। जब मैं वापस आया तो वह टहल रहे थे तो मैं उनको पूरी बात बताई तो वह बोले वह मुझे अच्छा आदमी मानते हैं, मैंने कहा कि इन बातों से लगता है कि केवल अच्छा आदमी नहीं मानते हैं बल्कि आपके लिए उनके मन में श्रद्धा है।'

प्रधानमंत्री पद से क्यों निकलना चाहते थे अटल जी?

रजत शर्मा ने आगे कहा, 'अटल जी थोड़ी देर चलते रहे फिर रुके, 5 मिनट बाद बोले आपका क्या ख्याल है, मैंने पूछा कि किस बारे में, तो बोले इसमें से निकल जाएं? मैं पूछा पर किससे निकल जाएं। बोले इस प्रधानमंत्री पद से। मैंने कहा कि अचानक कैसे ख्याल आया। जब तक ऋषिकेश मुखर्जी जैसे लोग मुझे अच्छा समझते हैं यह ठीक है लेकिन काजल की कोठरी है कब दाग लग जाए। कोई आदमी अपनी प्रशंसा को किस लेवल पर जाकर सोच सकता है। यह उसकी पराकाष्ठा थी। ऐसे कितने सारे इंसिडेंट हैं, जो मैं बता सकता हूं और रात भर दिन भर वह इंसिडेंट कभी खत्म नहीं होंगे। एक अंतिम बात कह कर मैं अपनी बात खत्म करूंगा कैसे उनके सान्निध्य से छोटी-छोटी बातें सुनकर सीखने का अवसर मिलता था और मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य यह है कि उनकी आत्मीयता के कारण उनकी उदारता के कारण बहुत कुछ सीखने को मिला। एक दिन मैंने उनसे कहा कि अटल जी मुझे आपसे बोलने की कला सीखनी है, क्योंकि सदी में आपसे अच्छा वक्ता कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि देखिए साहब अगर हमसे कुछ सीखना है तो बोलने की कला मत सीखिए कुछ सीखना है तो यह सीखें कि चुप कहां रहना है। यह वाक्य जीवन में बहुत काम आया। मैंने सीखा कि चुप कहां रहना है और जीवन में आगे बढ़ने में सफल होने में बहुत मदद मिली। इसके लिए मैं अटल जी की जितनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।'

गडकरी ने भी व्यक्त किए अपने विचार

कार्यक्रम में मौजूद नितिन गडकरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, 'अटल जी के जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में प्रकाशित 'अटल संस्मरण' पुस्तक में अशोक टंडन ने अटल जी के साथ के अपने अनुभव कथन किए हैं। लोकतंत्र में एक परिपूर्ण राजनेता का आदर्श उदाहरण अटल जी थे। उनकी राजनीतिक विरासत में उनका कार्य, कर्तृत्व और नेतृत्व इनके साथ उनका व्यक्तिगत आचरण भी आदर्श था। इस पुस्तक में टंडन ने कथन किए हुए अनुभव आने वाली पीढ़ियों को राजनीतिक मार्गदर्शन और प्रेरणा देंगे।'

अशोक टंडन ने अटल जी को यूं किया याद

इस मौके पर अशोक टंडन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, 'आज से 25 वर्ष पहले नितिन गडकरी दिल्ली आए और दूरगामी योजना लेकर आये थे। कद्दावार नेता शरद पवार का महाराष्ट्र में कार्यक्रम था । प्रमोद महाजन ने अटल जी से कहा कि आपको वहां नहीं जाना चाहिए। लेकिन कार्यक्रम के दिन अटल जी बोले कि कार्यक्रम में जाऊंगा। अटल जी गए, कार्यक्रम में 30 मिनट रहे लेकिन भाषण नहीं दिया। हैदराबाद में कार्यकरणी की बैठक थी। गर्मी के महीने में चुनाव होना था। 2004 में जल्दी चुनाव कराने का निर्णय हुआ था। तब अटल जी ने कहा था कि मैं चाहता तो मना कर सकता था, लेकिन अगर चुनाव हार गए तो कहा जाएगा कि 6 माह के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के लिए चुनाव नही कराया गया। कुछ लोगों को लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है,  लेकिन भारत में संसदीय लोकतंत्र सुरक्षित है।'

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