चाय और बिस्किट का इतिहास ब्रिटेन से जुड़ा हुआ है। ब्रिटेन में चाय के साथ हल्के नाश्ते के तौर पर बिस्किट का सेवन किया जाता था। चाय पहले चीन से ब्रिटेन आई और फिर उसके बाद चाय के साथ बिस्किट खाने की परंपरा लोकप्रिय होती चली गई। भारत और ब्रिटेन जैसे देशों में चाय के साथ बिस्किट सर्व करना एक आम रिवाज बन गया। आइए जानते हैं कि चाय के साथ बिस्किट ही क्यों खाए जाते हैं, लड्डू या फिर ऐसी कोई दूसरी मीठी चीज क्यों नहीं खाई जाती...
चाय के साथ बिस्किट ही क्यों- जब चाय में बिस्किट डुबोए जाते हैं, तो वो नरम हो जाते हैं। बिस्किट का स्टार्च और ग्लूटेन ढीला पड़ जाता है जिससे बिस्किट का टेस्ट बढ़ जाता है। मुंह में जाते ही बिस्किट पिघल जाता है। इसके अलावा बिस्किट को चाय में बिना डुबोए भी खाया जा सकता है। अगर आपको क्रंच पसंद है, तो बिस्किट का कुरकुरापन और चाय की गरमाहट का मेल आपको काफी पसंद आएगा।
चाय और लड्डू क्यों नहीं- लड्डू एक तरह की मिठाई है और चाय के साथ इसे आमतौर पर सर्व नहीं किया जाता है। लड्डू बिस्किट की तुलना में ज्यादा मीठे होते हैं और इस वजह से चाय के साथ लड्डू का सेवन नहीं किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिस्किट खाने में हल्के होते हैं, वहीं लड्डू भारी होते हैं। लड्डुओं और मिठाइयों को अक्सर त्यौहारों के साथ तो जोड़कर देखा जाता है, लेकिन चाय के साथ इनका मेल आम नहीं है।
आसानी से अवेलेबल- लड्डू की तुलना में बिस्किट आसानी से अवेलेबल हो जाते हैं। ज्यादातर लोग सुबह और शाम के समय चाय पीते हैं। सुबह की भागदौड़ में चाय के साथ बिस्किट डुबोकर खाना जल्दी और आसान होता है। मेहमानों के सामने भी समय बचाने के लिए चाय के साथ बिस्किट को सर्व किया जाता है। चाय और बिस्किट को एक साथ परोसना, बचपन से चली आ रही एक परंपरा है।