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AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने कहा- कोई विधायक कानून से ऊपर नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। बता दें कि अमानतुल्लाह खान के खिलाफ दिल्ली वक्फ बोर्ड में भर्ती से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मामला दर्ज है।

Reported By : Shoaib Raza Edited By : Swayam Prakash Published : Mar 11, 2024 17:07 IST, Updated : Mar 11, 2024 17:40 IST
Amanatullah Khan- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO AAP विधायक अमानतुल्लाह खान

दिल्ली वक्फ बोर्ड में भर्ती से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि ED की ओर से बार-बार समन जारी होने के बावजूद अमानतुल्लाह खान जांच में शामिल नहीं हुए हैं। उनका ये रवैया जांच में बाधा डालने जैसा है। वह एक जनप्रतिनिधि होने के नाते अपनी जिम्मेदारियां का हवाला देकर जांच में शामिल होने से नहीं बच सकते। कोर्ट ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है। कोई विधायक या जनप्रतिनिधि कानून से ऊपर नहीं है।

अमानतुल्ला खान के ऊपर हैं ये आरोप

गौरतलब है कि आप विधायक अमानतुल्ला खान पर आरोप हैं कि उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए मानदंडों और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से विभिन्न लोगों की भर्ती कराई है। ईडी ने आरोप लगाया है कि अमानतुल्ला खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की अवैध भर्ती  के एवज में बड़ी रकम ली है। अमानतुल्ला ने इस पैसे को अपने सहयोगियों के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने के लिए निवेश भी किया।

अमानतुल्ला खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा भर्ती में कथित अनियमितताओं से जुड़ी है। आरोप है कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए 32 लोगों की अवैध रूप से भर्ती की थी। इस केस में ईडी ओखला विधायक के परिसरों पर पहले छापेमारी भी कर चुकी है। ईडी ने दावा किया है कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की अवैध भर्ती से ‘‘अपराध की भारी आय’’ अर्जित की है।

अदालत ने की तीखी टिप्पणियां

अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, जज ने कहा, "बार-बार जांच एजेंसी के समन को नजरअंदाज करना जांच में रूकावट पैदा करने के समान है। जांच में खलल पैदा करना प्रशासन के न्याय में खलल पैदा करने जैसा है और इसे अनुमति देने पर क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर विश्वास को कम करता है और इससे अराजकता पैदा होती है।" अदालत ने कहा कि विधायक कानून से ऊपर नहीं। अदालत ने आगे कहा कि लोगों को सच जानने का अधिकार है। एक पब्लिक फिगर का जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना एक सार्वजनिक सेवा है और लोगों को जांच एजेंसी द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई जाने का हक है।

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