पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ने शुक्रवार को कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए जल्द ही उन सभी शिक्षण व गैर-शिक्षण उम्मीदवारों की नयी परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिन्होंने अमान्य हो चुकी 2016 की नौकरी भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया था। न्यायालय द्वारा सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,752 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने के एक दिन बाद पत्रकारों से बात करते हुए, डब्ल्यूबीएसएससी के चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा कि आयोग, शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनजर, नए सिरे से परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों की पात्रता को लेकर कानूनी सलाह लेगा।
WBSSC के चेयरमैन ने कहा- तीन महीने में प्रक्रिया पूरा करना असंभव
उन्होंने कहा, "2016 में लगभग 26 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था और लगभग 22 लाख ने परीक्षा दी थी। लगभग 1.41 लाख परीक्षार्थियों ने कक्षा 9-10 के लिए और लगभग 1.5 लाख ने कक्षा 11-12 के लिए शिक्षक भर्ती परीक्षा दी थी। मजूमदार ने कहा, "बाकी ने गैर-शिक्षण पदों के लिए परीक्षा दी थी। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने हमें रिक्तियों को भरने के लिए चयन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है, लेकिन हमें इस बात पर कानूनी स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी कि क्या नए परीक्षार्थी भी नयी परीक्षाओं में भाग लेने के पात्र हैं।" हालांकि, चेयरमैन ने पुष्टि की कि उम्मीदवारों की बड़ी संख्या को देखते हुए, तीन महीने में चयन प्रक्रिया पूरी होना असंभव है। मजूमदार ने कहा, "अदालत के आदेश में तीन महीने की समयसीमा का कोई उल्लेख नहीं है। यह एक लंबी प्रक्रिया है और तीन महीने में यह प्रक्रिया पूरी होने की संभावना नहीं है।”
क्या है पूरा मामला?
दरअसल साल 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने राज्य स्तर पर शिक्षकों की भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी। इस चयन प्रकिया में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया और फिर यह मामला पहुंचे कलकत्ता हाईकोर्ट। इस दौरान 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,752 शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ बंगाल सरकार 29 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट पहंची। इसी माले में अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
(रिपोर्ट-भाषा)