Friday, May 10, 2024
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आज ही के दिन भारत में बनी थी पहली डाक टिकट, 168 साल के सफर में कितनी बदली 'पहचान', जानें

मोबाइल इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में डाक टिकट को मानों अलविदा ही कह दिया गया हो। एक वो भी दौर था जब दूर बैठे लोगों से संचार स्थापित करना डाक टिकट के बिना संभव न होता था। बदलाव संसार का नियम है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आज डाक टिकट पूर्णतः अपनी प्रसांगिकता खो बैठे हैं। आज भी सुदूर सरकारी ऑफिस से संवाद स्थापित कर

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Updated on: October 01, 2022 20:48 IST
Indian dak ticket history- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Indian dak ticket history

क्या आपको मालूम है कि भारत में डाक टिकट पहली बार व्यवस्थित ढंग से कब जारी हुआ था? 1 अक्टूबर, 1854 को भारत में महारानी विक्टोरिया के नाम पर पहला डाक टिकट जारी हुआ था और इसी दिन भारत में डाक विभाग की स्थापना हुई थी। हालांकि 168 साल के इस सफर में डाक टिकटों में काफी परिवर्तन आया है। अब भारत सरकार डिजिटल डाक टिकट लाॅन्च करने की रूपरेखा तैयार करने का खाका खींच रही है।  

देश की गुलामी से आजादी की कहानी डाक टिकटों में नजर आती है। साल 1947 के पहले के डाक टिकट ब्रिटिश केंद्रित हुआ करते थे। उस समय डाक विभाग का मूल उद्देश्य भारतीयों का शोषण करना ज्यादा था, न कि भारतीयों को सुविधा देना। ब्रिटिश प्रशासन ने अधिकतर सुविधाएं अपने हित के लिए शुरू कीं, लेकिन बाद में उनका फायदा भारतीयों को भी मिला। डाक विभाग और टिकट भी इसी कड़ी में शामिल हैं। 

भारत के आजाद होने के बाद मानो डाक टिकट भी आजाद हो गया था। साल 1947 के बाद के डाक टिकट नए भारत को संप्रेषित करता हुआ दिखता है। स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर ISRO, देश की धरोहरों और लोकप्रिय चेहरों को डाक टिकट ने खूब संजोकर रखा है। आजाद भारत का पहला डाक टिकट राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऊपर जारी हुआ था। महात्मा गांधी ही वह इंसान हैं जिनके नाम पर भारत में सबसे ज्यादा डाक टिकट जारी हुए हैं।  

समाज में योगदान और अमर पहचान 

किसी इंसान ने देश निर्माण में क्या और कितना योगदान किया है, इसी के आधार पर उनके नाम पर डाक टिकट जारी होते रहे हैं। क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, भारत रत्न मदर टेरेसा, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व राष्ट्रपति वी वी गिरि, पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, लोकप्रिय इंजीनियर डॉ एम विस्वेसरैया और समाज सुधारक डी के कर्वे ऐसे गिने-चुने नाम हैं जिनके जीवनकाल में ही उनके नाम पर डाक टिकट जारी हुए। 

खोले जा रहे हैं फिलैटली क्लब
बदलती तकनीक ने डाक टिकट की शक्ल-सूरत भी बदल दी है। डाक टिकट संग्रह करने की कला को फिलैटली कहा जाता है। डाक टिकटों को जिंदा रखने और इसके महत्व को समझाने के लिए भारतीय डाक विभाग स्कूलों में फिलैटली क्लब खोल रहा है।

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