Wednesday, April 17, 2024
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बहुमत ना होने की स्थिति में भी पीडीपी, नेकां, राकांपा राजग का हिस्सा ना हों: शिवसेना

शिवसेना ने कहा कि देश को बांटने की चाह रखने वालों का समर्थन करने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ मोदी का यह रुख चुनाव के बाद भी कायम रहना चाहिए।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 16, 2019 12:18 IST
बहुमत ना होने की स्थिति में भी पीडीपी, नेकां, राकांपा राजग का हिस्सा ना हों: शिवसेना- India TV Hindi
बहुमत ना होने की स्थिति में भी पीडीपी, नेकां, राकांपा राजग का हिस्सा ना हों: शिवसेना

मुम्बई: शिवसेना ने जम्मू-कश्मीर को देश से अलग करने की मांग करने वालों को फटकार लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए मंगलवार को पीएम से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि चुनाव के बाद बहुमत ना होने की स्थिति में भी पीडीपी, नेकां, राकांपा राजग का हिस्सा ना हों। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने कहा कि हालांकि यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री ने देश को बांटने की कोशिश करने वालों के खिलाफ बोला, लेकिन उन्हें लोगों को दो बातों का आश्वासन भी देना होगा।

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शिवसेना ने कहा कि कल, सरकार गठन के लिए कितनी भी सीटों की दरकार हो, देश को बांटने की बात करने वालों के साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए। जिन्होंने कश्मीरियों की तीन पीढ़ियां बर्बाद कर दीं उन्हें मोदी के मंत्रिमंडल या राजग में जगह नहीं मिलनी चाहिए। शिवसेना ने कहा कि देश को बांटने की चाह रखने वालों का समर्थन करने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ मोदी का यह रुख चुनाव के बाद भी कायम रहना चाहिए।

शिवसेना ने कहा, ‘‘ जो देश को बांट रहे हैं और जो उनका समर्थन कर रहे हैं उन्हें भविष्य में राजनीति में जगह नहीं मिलनी चाहिए। अगर आज राष्ट्र विरोधियों का समर्थन करने वाले लोग राजनीतिक कारणों से राष्ट्रवादियों के साथ आते हैं, तो यह हमारे जवानों का अपमान होगा।’’ नेशनल कॉन्फ्रेंस की जम्मू-कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री की मांग पर शिवसेना ने कहा कि उनकी यह इच्छा 100 पीढ़ियों बाद भी पूरी नहीं होगी।

शिवसेना ने दावा किया कि अनुच्छेद 370 से अशांत उत्तरी राज्य को विशेषाधिकार मिलते हैं और देश का कानून वहां लागू नहीं होता। इसे खत्म किए जाने की कई वर्षों से मांग की जा रही है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने भाजपा को फारूक अब्दुल्ला के अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में एक मंत्री होने और नेकां के राजग का हिस्सा होने की बात याद दिलाते हुए कहा कि उनकी पार्टी की, अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को लेकर नीति सदियों पुरानी है।

उसने आरोप लगाया कि इसके बावजूद हम संसद में बहुमत के लिए बार-बार उनसे हाथ मिलाते हैं। ‘‘यह सहुलियत का राष्ट्रवाद है।’’ शिवसेना ने कहा कि ‘पीपल्स डेमाक्रेटिक पाटी’ की प्रमुख महबूबा मुफ्ती का भी जम्मू-कश्मीर के इन संवैधानिक प्रावधानों पर यही रुख है और उन्होंने आगाह भी किया है कि विशेष दर्जा खत्म किए जाने पर राज्य भारत का हिस्सा नहीं रहेगा। उसने कहा, ‘‘ कल तक, वह भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री थीं। उनकी राष्ट्र विरोधी मानसिकता सदियों पुरानी है। फिर भी हमारे विरोध करने के बावजूद भाजपा उनसे हाथ मिला लेती है।’’ 

शिवसेना ने कहा ‘‘मोदी ने उस तरह अपना रूख जाहिर किया जिस तरह भारत के एक प्रधानमंत्री को करना चाहिए था। उन्होंने बताया कि किस तरह अब्दुल्ला और मुफ्ती के कार्यकालों के दौरान तीन पीढ़ियां बर्बाद हुईं। मोदी ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के बारे में भी कहा। हलांकि पिछले पांच साल में उनकी घर वापसी न हो सकी।’’

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