Thursday, May 09, 2024
Advertisement

दोस्त बने दुश्मन! कर्नाटक में BJP के लिए गढ़ बचाना भी मुश्किल, जानिए क्यों

जैसे-जैसे कर्नाटक राज्य चुनाव के करीब आ रहा है, कर्नाटक में सभी राजनीतिक दलों के लिए स्थिति कठिन होती जा रही है। अब देखना यह होगा कि इस क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा होगा या पीएम मोदी वोटरों का झुकाव भगवा पार्टी की ओर करेंगे।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: April 23, 2023 17:41 IST
amit shah pm modi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO अमित शाह, पीएम मोदी

बेंगलुरु: विधानसभा चुनाव में भाजपा का गढ़ माने जाने वाले उत्तरी कर्नाटक में भाजपा की कड़ी परीक्षा होने जा रही है। भगवा पार्टी के प्रयोगों पर इस क्षेत्र के लोग कैसी प्रतिक्रिया देंगे, इस पर सवाल उठ रहा है। क्षेत्र के मतदाताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के पीछे खड़े होकर भाजपा को एक मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया था। लेकिन येदियुरप्पा को पद छोड़ने के लिए कहा गया। अब लिंगायत नेता पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी भाजपा नेताओं द्वारा अपमान करने की बात कहकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं ऐसे में सत्तारूढ़ दल की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

उत्तर कर्नाटक, जिसमें कित्तूर और कल्याण क्षेत्र शामिल हैं, में 90 विधानसभा सीटों वाले 13 जिले हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 52, कांग्रेस के पास 32 और जद (एस) के पास 6 सीटें हैं। इस क्षेत्र में बेलगावी, बागलकोट, बीजापुर, कलबुर्गी, यादगीर, गदग, धारवाड़, हावेरी, बीदर, रायचूर, कोप्पल, विजयनगर और बेल्लारी जिले शामिल हैं। यहां ज्यादातर जगहों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है।

...तो इसलिए BJP के लिए उत्तर कर्नाटक पर पकड़ बनाए रखना मुश्किल

खनन दिग्गज से राजनेता बने जनार्दन रेड्डी द्वारा गठित कल्याण कर्नाटक राज्य पक्ष (KKRP) से भाजपा को चुनौती मिल रही है। उनके खिलाफ आरोपों के बाद भाजपा ने उनसे दूरी बनाए रखी। इसके कारण उन्हें पार्टी से बाहर होना पड़ा। उनकी पार्टी के हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में भाजपा वोट बैंक को प्रभावित करने की संभावना है, जिसे कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इससे बेल्लारी, रायचूर, कोप्पल, यादगीर और विजयनगर जिलों में लड़ाई तेज हो जाएगी।

दूसरे, श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने बीजेपी को हराने का संकल्प लिया है। उत्तर कर्नाटक क्षेत्र के हिंदू कार्यकर्ताओं के बीच उनका काफी प्रभाव है, यह घटनाक्रम भाजपा के लिए एक झटका साबित हो सकता है। पिछले चुनाव में इस क्षेत्र 32 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार अधिक सीटों की उम्मीद कर रही है। पंचमसाली आंदोलन और प्रभावशाली लिंगायत नेताओं शेट्टार और सावदी के पार्टी के बाहर निकलने से भाजपा का वोट बैंक प्रभावित होगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार दावा कर रहे हैं कि पार्टी चुनाव में 150 सीटों को पार कर जाएगी, क्योंकि इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में सीटें मिलने के संकेत हैं।

कांग्रेस को एआईसीसी अध्यक्ष के पद पर मल्लिकार्जुन खरगे की पदोन्नति से इस क्षेत्र में उत्पीड़ित वर्गों के वोट प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी, जो बड़ी संख्या में हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों का ध्यान बेलागवी जिले से अधिक से अधिक सीटें जीतने पर है, इस जिले में 18 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को 13 और कांग्रेस को सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिली थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार कांग्रेस कम से कम 12 सीटें जीतेगी।

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषक बसवराज सुलिभवी ने कहा कि लिंगायत समुदाय जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के साथ भाजपा के व्यवहार से नाराज है। इसके कारण लिंगायत वोटों का लगभग 20 प्रतिशत स्थानांतरित हो जाएगा। उन्होंने समझाया कि अगर कांग्रेस पार्टी पूरे उत्तर कर्नाटक में उनका इस्तेमाल करती है और वे क्षेत्र में अपने अपमान की कहानी सुनाते हैं, तो लिंगायत मतदाता काफी हद तक कांग्रेस की ओर मुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा, क्षेत्र के लोगों को पहले से ही यह लग रहा है कि भाजपा द्वारा उनके नेताओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें बर्बाद किया जा रहा है।

सुलिभवी ने कहा कि लिंगायत समुदाय आज तक येदियुरप्पा के पीछे मजबूती से खड़ा है। पिछले चुनाव में 90 फीसदी लिंगायत वोट बीजेपी को गए थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा और कम से कम 30 फीसदी वोटों का बंटवारा होगा। उन्होंने कहा, बीजेपी शुरू में समुदायों से ताकत जुटाती है। इसका मुख्य एजेंडा हिंदुत्व है। पार्टी ने मडिगा, भोवी, लमानी समुदायों का इस्तेमाल किया है, जो लिंगायतों के साथ अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते हैं। लेकिन कर्नाटक में यह आसान नहीं है, अगर वे हिंदुत्व का प्रचार करना चाहते हैं। लोग अपने समुदायों से अधिक जुड़े हुए हैं।

यह भी पढ़ें-

बेलागवी जिला कन्नड़ संगठन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष और कार्यकर्ता अशोक चंद्रागी ने बताया कि भाजपा को क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। शेट्टार और सावदी के शामिल होने से कांग्रेस कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र की 56 विधानसभा सीटों में से 40 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी। अशोक चंद्रागी कहते हैं कि एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह है कि 1985 के बाद कर्नाटक में कोई भी पार्टी सत्ता में दोबारा नहीं लौटी है। दिवंगत रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में जनता दल सरकार 139 सीटें जीतने में सफल रही थी। उन्होंने कहा कि अगर येदियुरप्पा को उम्र के कारण हटाया गया, तो पार्टी अब उन्हें क्यों आगे कर रही है।

आर्थिक और सामाजिक रूप से संपन्न लिंगायत समुदाय देख सकता है कि उनके नेतृत्व का उपयोग केवल प्रचार के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शेट्टार बनजीगा उप जाति से संबंध रखते हैं और भाजपा बीजापुर, धारवाड़, कलबुर्गी और बागलकोट जिलों में कम से कम 25 निर्वाचन क्षेत्रों में इसका प्रभाव देखेगी। भाजपा को यह याद रखना होगा कि अगर जनता परिवार के 56 वरिष्ठ नेता नहीं होते तो वह कभी सत्ता में नहीं आती। जनता परिवार का वोट बीजेपी को गया। उन्होंने कहा कि भाजपा अब पीएम मोदी की छवि पर विजयी होने की सोच रही है।

जैसे-जैसे राज्य चुनाव के करीब आ रहा है, कर्नाटक में सभी राजनीतिक दलों के लिए स्थिति कठिन होती जा रही है। अब देखना यह होगा कि इस क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा होगा या पीएम मोदी वोटरों का झुकाव भगवा पार्टी की ओर करेंगे। अंडरडॉग जद (एस) भी अपनी छाप छोड़ने की उम्मीद कर रहा है। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी दावा किया है कि आप पार्टी को उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में अधिक समर्थन मिल रहा है।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News News in Hindi के लिए क्लिक करें चुनाव 2024 सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement