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भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे अरुण जेटली

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली के लिए राजनीतिक हलकों में अनौपचारिक तौर पर माना जाता था कि वह ‘पढ़े लिखे विद्वान मंत्री’ हैं। पिछले तीन दशक से अधिक समय तक अपनी तमाम तरह की काबिलियत के चलते जेटली लगभग हमेशा सत्ता तंत्र के पसंदीदा लोगों में रहे, सरकार चाहे जिसकी भी रही हो।

Reported by: Bhasha
Published : Aug 24, 2019 02:51 pm IST, Updated : Aug 25, 2019 01:36 pm IST
Arun Jaitley- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे अरुण जेटली

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली के लिए राजनीतिक हलकों में अनौपचारिक तौर पर माना जाता था कि वह ‘पढ़े लिखे विद्वान मंत्री’ हैं। पिछले तीन दशक से अधिक समय तक अपनी तमाम तरह की काबिलियत के चलते जेटली लगभग हमेशा सत्ता तंत्र के पसंदीदा लोगों में रहे, सरकार चाहे जिसकी भी रही हो।

सौम्य, सुशील, अपनी बात स्पष्टता के साथ कहने वाले और राजनीतिक तौर पर उत्कृष्ट रणनीतिकार रहे जेटली भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जिनकी चार दशक की शानदार राजनीतिक पारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते समय से पहले समाप्त हो गई।

अरुण जेटली को इंडिया टीवी की भावपूर्ण श्रद्धांजलि

खराब सेहत के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार बनी सरकार से खुद को बाहर रखने वाले 66 वर्षीय जेटली का शनिवार को राजधानी नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद उन्हें नौ अगस्त को यहां भर्ती कराया गया था

पीएम मोदी के ‘ऑरिजनल चाणक्य’!

हर जटिल मसले पर सर्वसम्मति बनाने में महारत प्राप्त जेटली को कुछ लोग मोदी का ‘ऑरिजनल चाणक्य’ भी मानते थे जो 2002 से मोदी के लिए मुख्य तारणहार साबित होते रहे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री पर गुजरात दंगे के काले बादल मंडरा रहे थे। जेटली न सिर्फ मोदी बल्कि अमित शाह के लिए भी उस वक्त में मददगार साबित हुए, जब उन्हें गुजरात से बाहर कर दिया गया था। अमित शाह को उस वक्त अक्सर जेटली के कैलाश कॉलोनी दफ्तर में देखा जाता था और दोनों हफ्ते में कई बार साथ भोजन करते देखे जाते थे।

2014 में नरेंद्र मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की औपचारिक घोषणा से पहले के कुछ महीनों में, जेटली ने राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान और नितिन गडकरी को साथ लाने के लिए पर्दे के पीछे बहुत चौकस रह कर काम किया।

पीएम नरेंद्र मोदी बता चुके हैं ‘अनमोल हीरा’!

प्रशिक्षण से वकील रहे जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे और जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अरुण शौरी और सुब्रमण्यम स्वामी की दावेदारी को अनदेखा करते हुए उन्हें वित्त मंत्रातय का महत्वपर्ण दायित्व सौंपा। पीएम मोदी एक बार जेटली को “अनमोल हीरा” भी बता चुके हैं। सरकार में जेटली की उपयोगिता का अंदाज इससे लगाया जा सकता था कि जब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की सेहत बिगड़ी तो उन्हें ही मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।

सत्ता संचालन के दांव पेंचों से भली-भांति परिचित थे अरुण जेटली

सत्ता संचालन के दांव पेंच से भली-भांति परिचित जेटली 1990 के दशक के अंतिम सालों के बाद से नई दिल्ली में मोदी के भरोसेमंद बन चुके थे और बीते कुछ सालों में, खासकर गुजरात में 2002 के दंगों के बाद, अदालती मुश्किलों को हल करने वाले कानूनी दिमाग से आगे बढ़ कर वह उनके मुख्य सलाहकार, सूचना प्रदाता और उनके प्रमुख पैरोकार बन चुके थे।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में हर जगह छाए रहे जेटली

अपने बहुआयामी व्यक्तित्व, अनुभव और कुशाग्रता के चलते मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014 से 2019) में जेटली लगभग हर जगह छाए रहे। सरकार की उपलब्धियां गिनाने का मामला हो या सरकार के विवादित फैसलों के बचाव का या फिर विपक्ष पर आक्रामक हमला बोलने की बात हो या 2019 के चुनाव अभियान के लिए 'स्थिरता या अव्यवस्था के बीच चुनने की परीक्षा' का विमर्श तय करना हो, जेटली की भूमिका हर मामले में महत्वपूर्ण थी।

कई बड़े आर्थिक कानूनों को दिलाई संसद की मंजूरी

देश और दुनिया के लिए उन्होंने ईंधन की बढ़ती कीमतों का वैश्विक संदर्भ समझाया, जटिल राफेल लड़ाकू विमान सौदे को आसान शब्दों में बताया, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे बड़े आर्थिक कानून को संसद की मंजूरी दिलवाई जो करीब दो दशकों से लटका हुआ था। भाजपा सरकार के प्रमुख राजनीतिक रणनीतिकार से लेकर अत्यंत महत्त्वपूर्ण, संवेदनशील विभाग - वित्त- संभालने वाले जेटली ने अपनी भौतिकतावादी पसंदों जैसे महंगे पैन, घड़ियों और लक्जरी गाड़ियां रखने के शौक पूरा करते हुए कई भूमिकाएं निभाईं।

मीडिया के चहेते थे अरुण जेटली!

अगर पदक्रम के हिसाब से देखा जाए तो वह पहली मोदी सरकार में बेशक नंबर दो पर थे। कई नियुक्तियां उनके कहने पर हुईं। पार्टी के सभी प्रवक्ता सलाह के लिए उनके पास जाते थे। राजधानी के सियासी गलियारों की झलक पाने के लिए अंदरूनी सूत्र के लिहाज से वह मीडिया के चहेते थे। यह माना जाता था कि ऐसी कोई जानकारी नहीं हो सकती जो अरुण जेटली को पता न हो।

पुराना था पीएम मोदी और जेटली का साथ

पीएम नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली का साथ बहुत पुराना है जब आरएसएस प्रचारक, नरेंद्र मोदी को दिल्ली में 90 के दशक के अंतिम में भाजपा का महासचिव नियुक्त किया गया था, वह 9 अशोक रोड के जेटली के आधिकारिक बंगले के एक कमरे में रहते थे। उस वक्त अरुण जेटली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री थे। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को हटा कर मोदी को उस पद पर बिठाने को लेकर लिए गए फैसले में भी उनकी भूमिका मानी जाती थी।

डीयू की राजनीति से शुरू हुआ सियासी सफर

विभाजन के बाद लाहौर से भारत आए एक सफल वकील के बेटे जेटली ने कानून की पढ़ाई की थी। जब देश में आपातकाल लागू हुआ तब वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। विश्वविद्यालय परिसर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की सजा उन्हें 19 महीने जेल में रह कर काटनी पड़ी। आपातकाल हटने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की।

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