कामा अस्पताल-
आतंकी अच्छे से जानते थे कि हमले में घायल लोग इलाज के लिए अस्पताल में जरूर आएंगे इसलिए अस्पताल में सबसे ज्यादा तबाही मचाई जा सकती है। इस इरादे से उन्होंने काम अस्पताल को चुना। इस इमारत का निर्माण 1880 में एक अमीर व्यापारी ने करवाया था। आतंकियों ने एक पुलिस वैन को अगवा कर गोलियां चलानी शुरु कर दीं। इसी के जरिए वो कामा अस्पताल में दाखिल हुए। आपको बता दें कि वो कामा अस्पताल ही था जहां मुठभेड़ के दौरान आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के अशोक काम्टे और विजय सालसकर को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
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