Monday, April 29, 2024
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धनबाद: सालों से मंदिरों के लिए फूल उगा रहे हैं मुस्लिम परिवार, अक्सर मुफ्त में सजाते हैं मंदिर

जहां एक तरफ बंगाल, बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सांप्रदायिक संघर्ष की खबरें लागातार सामने आ रही हैं तो वहीं झारखंड के शहर धनबान में एक छोटे से गांव के लोग प्रेम और शांति के बीज बो रहे हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 01, 2018 14:42 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

धनबाद: जहां एक तरफ बंगाल, बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सांप्रदायिक संघर्ष की खबरें लागातार सामने आ रही हैं तो वहीं झारखंड के शहर धनबान में एक छोटे से गांव के लोग प्रेम और शांति के बीज बो रहे हैं। मंदिरों में ईश्वर को चढ़ने वाले फूल सालों से मुसलमान उगाते आ रहे हैं। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर बलियापुर प्रखंड के विखराजपुर गांव में करीब 40 मुस्लिम परिवार चार दशकों से जिले में और आसपास स्थित हिन्दू मंदिरों के लिए फूल उगा रहे हैं और माला बना बना रहे हैं। एक किसान शेख शमसुद्दीन ने बताया कि अपनी आजीविका के लिए किसान फूलों की खेती पर निर्भर हैं। उन्होंने बताया, ‘‘ हम झरिया शहर में एक व्यापारी को फूल और माला भेजते हैं और फिर वह जरूरत के हिसाब से विभिन्न मंदिरों के एजेंटों को इन्हें बेच देते हैं।’’ उन्होंने बताया कि एक माला पांच रूपये में बेची जाती है।

रामनवमी और दुर्गा पूजा के जैसे अवसरों पर किसान अक्सर मुफ्त में मंदिर सजाने की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर उठाते हैं। झरिया में एक स्थानीय काली मंदिर के पुजारी दयाशंकर दुबे ने बताया कि विखराजपुर में किसान त्यौहारों के दौरान कभी भी फूल भेजने से नहीं चूकते हैं। उन्होंने बताया, ‘‘ मंदिर समिति उनके योगदान की, अलग- अलग तरीकों से भरपायी करने की कोशिश करती है।’’ मंदिरों में फूल भेजने के काम में सांप्रदायिक तनाव कभी भी आड़े नहीं आया।

एक अन्य किसान मोहम्मद सैफी ने बताया, ‘‘ यह हमारी आजीविका का सवाल है... कोई भी सांप्रदायिक तनाव हमें पिछले40 सालों से फूल उगाने और बेचने से नहीं रोक पाया है।’’ ऐसे भी मौके आए जब किसानों पर पेशा बदलने के लिए गहरा दबाव रहा। एक ग्रामीण अनवर अली ने बताया ‘‘दबाव तो कई ओर से रहा कि फूल उगाने के बजाय सब्जियां और नगदी फसलों की ओर ध्यान दें तो आर्थिक लाभ अधिक होगा। लेकिन गांव वाले फूलों के कारोबार से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं।’’

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