Sunday, April 27, 2025
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चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी, चीन सीमा के पास बसे गावों तक घूम सकेंगे यात्री

साल 2025 में जो भी यात्री चारधाम यात्रा पर जाने वाले हैं उनके लिए एक खुशखबरी है। दरअसल अब यात्री भारत चीन सीमा के पास बसे गांवों तक का भ्रमण कर सकेंगे।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Mar 05, 2025 9:07 IST, Updated : Mar 05, 2025 9:07 IST
Good news for pilgrims going on Chardham Yatra pilgrims will be able to visit villages situated near
Image Source : PTI प्रतीकात्मक तस्वीर

साल 2025 में चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर सामने आई है। दरअसल उत्तराखंड में इस साल गंगोत्री दर्शन को जाने वाले श्रद्धालु और पर्यटक अब चीन सीमा के पास लगे गांवों तक जा सकेंगे। 6 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी देशभर के लोगों को नए पर्यटन स्थल का तोहफा देने जा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी नेलांग और जादूंग गावों को पर्यटन के लिए खोलने की घोषणा करेंगे। दरअसल ये गांव उत्तरकाशी जिले में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह पूरा इलाका लद्दाख की तरह शीत मरुस्थल है, जो हिमालय के पीछे का इलाका है। बता दें कि नेलांग और जादूंग गांव उत्तरकाशी जिले के प्राचीन गावों में से एक हैं, जहां साल 1962 में भारत चीन के बीच युद्ध भी हुआ था।

चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी

युद्ध के बाद इन दोनों गावों को चीन की सेना ने बमबारी से तबाह कर दिया था। इस कारण दोनों ही गावों के लोगों को हर्षिल घाटी के बगोरी, डुंडा और अन्य गांवों में स्थापित किया गया था। उसके बाद खाली से ही यह पूरा इलाका भारतीय सेना के कंट्रोल में था, जहां भारतीय सेना निगरानी बनाए हुए थी। अगर इन गांवों के ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो प्रसिद्ध गतांग गली भी इसी इलाके में है जो तिब्बत जाने का रास्ता है। इसके अलावा यहां स्थित जनकताल भी बेहद प्रसिद्ध है। बता दें कि केंद्र सरकार जादुंग गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत विकसित कर रही है। ऐसे में यहां पर्यटन की दृष्टि से केंद्र सरकार 3.50 करोड़ रुपये खर्च कर होमस्टे बना रही है।

क्या रही है इसकी खासियत

इसके अलावा मशहूर लेखर राहुल सांकृत्यायन और बाबा नागार्जुन भी इसी दर्रे से होकर तिब्बत तक पहुंचे थे। बता दें कि उत्तरकांशी जिला पुराने समय से ही तिब्बत क साथ पारंपरिक रूप से व्यापार करने का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। साथ ही यह रास्ता कैलाश मानसरोवर का भी पारंपरिक मार्ग है। यह इलाका लिपुलेख दर्रे के मुकाबले अधिक आसान है, इस कारण यहां से यात्रा करना काफी आसान है। बता दें कि तिब्बत जाने के लिए उत्तरकाशी में ऐसे कुल 4 दर्रे हैं।  

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