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सनातन धर्म के खिलाफ बयान पर भड़का विश्व हिंदू परिषद, काशी में बुलाई बड़ी बैठक; सभी जिलों से पहुंचेंगे हिंदू संत और धर्माचार्य

सनातन धर्म के खिलाफ तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान पर भड़के विश्व हिंदू परिषद् ने काशी में दो दिनों की बड़ी बैठक बुलाई है। यह बैठक 2 नवंबर से 6 नवंबर तक काशी में होगी।

Reported By : Piyush Mishra Edited By : Niraj Kumar Published : Sep 06, 2023 05:07 pm IST, Updated : Sep 06, 2023 06:34 pm IST
संत समागम- India TV Hindi
Image Source : फाइल फोटो संत समागम

नई दिल्ली : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ बयान देने पर हिंदू संगठनों में काफी रोष है। इन बयानों से नाराज विश्व हिंदू परिषद ने 2 नवंबर से 6 नवंबर तक काशी में एक बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में सभी जिलों से हिंदू संत, शंकराचार्य और धर्माचार्य पहुंचेंगे।

बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का प्रयास-वीएचपी

इससे पहले विश्व हिंदू परिषद ने उदयनिधि की टिप्पणी की निंदा करते हुए हिंदुओं से अपील की कि वे देश में एकता और धार्मिक सद्भाव के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का प्रयास करने वाले ‘‘छद्म द्रविड़ों’’ को उचित जवाब दें। विहिप के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव पी.एम.नागराजन ने उदयनिधि से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या उनके विचार राज्य सरकार के विचारों को प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा है तो हम केंद्र सरकार को बताएंगे कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का अनुसरण करने का अधिकार देते हैं।’

कोरोना, डेंगू और मेलेरिया से की थी सनातन धर्म की तुलना

दरअसल, तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री उदयनिधि ने दो सितंबर को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस संक्रमण, डेंगू और मलेरिया से करते हुए इसे खत्म किए जाने की वकालत की थी। उदयनिधि ने कहा था, ''सनातन धर्म लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करता है। सनातन धर्म का समूल नाश दरअसल मानवता और समानता को बनाए रखने के हित में होगा।'' उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना हुई थी। 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस से इस बयान की निंदा करने की मांग की है। हालांकि, उदयनिधि ने बाद में दावा किया था कि उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया है। बहरहाल, कई पूर्व न्यायाधीशों और अधिकारियों समेत 260 से ज्यादा प्रबुद्ध नागरिकों ने देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में उदयनिधि के बयान को 'घृणास्पद' करार देते हुए उनसे इसका स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

उदयनिधि अपने बयान पर अड़े

सनातन धर्म विरोधी रुख को लेकर व्यापक स्तर पर विरोध होने के बावजूद दयनिधि स्टालिन ने  कहा कि उन्होंने आस्था में कुछ प्रथाओं के ‘‘उन्मूलन’’ की बात की थी और वह उनके खिलाफ आवाज उठाना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ हिंदू आस्था के बारे में नहीं, बल्कि उन सभी (आस्थओं) के बारे में बात की जिनमें ऐसा किया जाता है। कहा, ‘‘मैं उस मुद्दे पर बार-बार बात करूंगा जिस पर मैंने शनिवार को कार्यक्रम में बात की थी। मैं और भी बोलूंगा। मैंने उस दिन ही कहा था कि मैं उस मुद्दे पर बात करने जा रहा हूं जो कई लोगों को क्रोधित कर देगा और वही हुआ।’’ उन्होंने दावा किया कि सनातन धर्म का मतलब है कि यह स्थायी है और इसे बदला नहीं जा सकता। उदयनिधि ने कहा, ‘‘महिलाएं घर के अंदर ही सीमित थीं लेकिन वे बाहर निकल आई हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षा नहीं मिल सकती, केवल द्रविड़म (द्रमुक की विचारधारा) ने उन्हें शिक्षा दी। यहां तक कि (तमिलनाडु में) नाश्ता योजना का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक बच्चे, विशेषकर लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर सकें।’’ (इनपुट-भाषा)

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