नई दिल्ली: तीन दशक बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं। इस सरकार के मुखिया के तौर पर नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को दक्षिण एशिया के सभी देशों के प्रमुखों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके इस कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का कोई भी दाग नहीं लगा है। एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि मोदी सरकार पर उंगली नहीं उठी लेकिन इससे वह साफ सुथरी हो गई ऐसा नहीं कहा जा सकता है। ये भी पढ़ें: PM मोदी ने बताया क्यों नहीं पहनते मुसलमानों की टोपी, वायरल हो रहा है वीडियो
मोदी सरकार जो साल 2014 में 26 मई को अस्तित्व में आई, ने संकल्प व्यक्त किया कि वह एक नए भारत का निर्माण करेंगे और सरकार की कार्य पद्धति बदलने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में कई साहसिक निर्णय लेकर आलोचकों के मुंह बंद कर दिए। इनमें GST, नोटबंदी, रेल बजट को आम बजट में मिलाना, बजट पेश करने के समय बदलना तथा पाकिस्तान के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक अहम हैं।
ना खाउंगा ना खाने दूंगा यह कहना था मोदी सरकार का। सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने स्वच्छता से शुरूआत की उसके बाद स्वास्थ्य को लेकर योग जैसा बड़ा कदम उठाया। उसके बाद महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए रसोई गैस कनेक्शन जैसा बड़ा कदम उठाया और सभी को कनेक्शन उपलब्ध कराए। नोटबंदी से मोदी सरकार ने कैशलेश इंडिया का सपना देखा और उसको बढावा मिला। वो कदम भी काफी हद तक कामयाब रहा और लोगों ने कार्ड का इस्तेमाल भी किया।
इसके बाद मोदी सरकार ने चिकित्सा में बड़े कदम उठाए। इलाज के लिए जहां लाखों लगते थे वहां हजारों में काम हो जाए ऐसा कदम उठाया। मोदी सरकार ने हवाई यात्रा को लेकर भी कई निर्णय लिए और उसकी स्थिति सुधारी। वहीं वायुसेना, नौसेना को मजबूत करने के लिए बड़े और अहम कदम उठाए गए।
लेकिन इन सब के अलावा मोदी सरकार पर पाकिस्तान, कश्मीर, महंगाई, बेरोजगारी और विदेशों से काला धन वापस लाने जैसे मसलों को लेकर विफलता के आरोप भी लगे।
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