Wednesday, May 08, 2024
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राम मंदिर पर ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी, हो सकते हैं 11 से 15 सदस्य

सूत्रों की मानें तो यह भी तय किया गया है कि राम मंदिर का प्रारूप विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मॉडल की तरह ही होगा। यानी मंदिर विहिप के मॉडल की तर्ज पर बनेगा। 

IANS Reported by: IANS
Published on: January 24, 2020 19:24 IST
Ram Mandir- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) Representational Image

नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने राम मंदिर से जुड़े ट्रस्ट को बनाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस सिलसिले में बातचीत पूरी हो चुकी है। ट्रस्ट में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों की संख्या ज्यादा होने की उम्मीद है। इस बाबत घोषणा 26 जनवरी के बाद होने की संभावना है। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, ट्रस्ट में 11 से 15 सदस्य होंगे, जिनमें से कोई भी राजनीतिक नेता नहीं होगा। ट्रस्ट में ना तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का और ना ही संघ परिवार का कोई भी सदस्य सीधे तौर पर शामिल होगा। इसके संरक्षक मंडल में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और सूबे के मुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के एक और गृह मंत्रालय के एक अधिकारी भी इसका हिस्सा हो सकते हैं।

सूत्रों की माने तो यह भी तय किया गया है कि राम मंदिर का प्रारूप विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मॉडल की तरह ही होगा। यानी मंदिर विहिप के मॉडल की तर्ज पर बनेगा। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास हो सकते हैं, जबकि विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय को महत्वपूर्ण पद दिए जाने की उम्मीद है।

वर्तमान में महंत नृत्य गोपाल दास श्रीराम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष हैं। उनके अलावा कर्नाटक के पेजावर मठ के स्वामी भी ट्रस्ट में शामिल किए जा सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि ट्रस्ट में अयोध्या से आने वाले संतों की संख्या अधिक देखने को मिलेगी। निर्मोही अखाड़ा और रामानुज संप्रदाय के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जा सकता है। गोरक्षनाथ पीठ गोरखपुर के प्रतिनिधि को भी शामिल करने की बात पता चली है।

ट्रस्ट के अलावा मंदिर निर्माण को लेकर भी एक कमेटी बनाई जा रही है। इसमें ट्रस्ट में शामिल सदस्यों के अलावा विश्व हिंदू परिषद के लोग शामिल होंगे। कमेटी में कुछ विशेषज्ञ को भी रखा जा सकता है। गौरलतब है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 9 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसले में राम मंदिर के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए केंद्र सरकार को इस सदर्भ में तीन महीने के अंदर एक न्यास बनाने और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा था, "केंद्र सरकार इस फैसले की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर 'अयोध्या में कुछ क्षेत्रों के अधिग्रहण से संबंधित अधिनियम 1993' के तहत एक योजना बनाएगी।"

अदालत ने आगे कहा था कि इस योजना में एक ट्रस्ट के गठन का भी विचार शामिल होगा, जिसमें एक न्यासी बोर्ड या अन्य कोई उचित इकाई होगी। अदालत ने अपने फैसले में 6 दिसंबर 1992 की घटना को गैर-कानूनी करार दिया था। अदालत ने तमाम बातें कहने के बाद जमीन पर रामलला का हक बताया और शिया बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के दावों को खारिज कर दिया था। जाहिर है अदालत के निर्देश के अनुसार, सरकार ने गृह मंत्रालय में एक विशेष डेस्क बनाया, जो ट्रस्ट के निर्माण की दिशा में काम कर रहा है। सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस मामले में सभी सबंधित पक्ष से बातचीत हो चुकी है। सरकार का आदेश मिलते ही ट्रस्ट के सदस्यों के नाम सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।

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