Saturday, April 27, 2024
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सावधान: मोटापे के साथ-साथ हो रही है कमजोरी, तो है ये बीमारी

 चिकित्सकों का कहना है कि टाइप-2 डायबिटीज का खतरा शरीर के बढ़ते वजन के साथ बढ़ता जाता है। उनका कहना है कि वजन बढ़ने से अगर कमजोरी हो तो यह एक बीमारी है और अगर वजन कम होने से ताकत मिले तो यह बीमारी से उबरना है। 

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: February 12, 2019 12:13 IST
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नई दिल्ली: चिकित्सकों का कहना है कि टाइप-2 डायबिटीज का खतरा शरीर के बढ़ते वजन के साथ बढ़ता जाता है। उनका कहना है कि वजन बढ़ने से अगर कमजोरी हो तो यह एक बीमारी है और अगर वजन कम होने से ताकत मिले तो यह बीमारी से उबरना है। चिकित्सक ने कहा कि मोटापे का मुकाबला करने के लिए वजन कम करना और आदर्श वजन को बनाए रखना नुकसान कम करने की दिशा में सही कदम हैं।

उन्होंने कहा कि मोटे लोगों में सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में इस हालत को प्राप्त करने की संभावना तीन से सात गुना अधिक होती है लेकिन छह माह के दौरान वजन में पांच से 10 प्रतिशत तक की कमी से मधुमेह व मोटापे से संबंधित अन्य बीमारियों की शुरुआत में देरी की जा सकती है।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष, डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "जब हमारा वजन बढ़ता है, तो हमें अधिक ताकत हासिल करनी चाहिए और जब हम अपना वजन कम करते हैं, तो हमें ताकत कम करनी चाहिए। यह एक मौलिक चिकित्सा सिद्धांत है। अगर हम वजन हासिल करते हैं और कमजोर महसूस करते हैं तो यह एक बीमारी है और जब हम अपना वजन कम करते हैं और ताकत हासिल करते हैं, तो हम बीमारी से उबर जाते हैं।" 

उन्होंने कहा, "20 वर्ष की आयु के बाद पांच किलोग्राम से अधिक वजन नहीं बढ़ना चाहिए। उसके बाद वजन बढ़ना केवल वसा के संचय के कारण होगा, जो इंसुलिन प्रतिरोध पैदा करता है। इंसुलिन प्रतिरोध भोजन को ऊर्जा में बदलने की अनुमति नहीं देता है। इंसुलिन प्रतिरोध की स्थिति में, आप जो भी खाते हैं, वह वसा में परिवर्तित हो जाता है। चूंकि यह ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होता है इसलिए आपको कमजोरी महसूस होती है।" 

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "जब आप दवाओं या चहलकदमी द्वारा इंसुलिन प्रतिरोध को कम करते हैं तब मैटाबोलिज्म सामान्य हो जाता है और आप जो भी खाते हैं वह ऊर्जा में परिवर्तित होता जाता है और आप ताकत हासिल करना शुरू कर देते हैं।"

वहीं सीनियर कंसल्टेंट डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा, "एक आदर्श वजन हासिल करना महत्वपूर्ण नहीं है। मोटापे में मधुमेह की शुरुआत को रोकने के लिए वजन कम करना चिकित्सा उद्देश्य है। कुछ भी वजन कम करना बिल्कुल वजन कम न होने से बेहतर है। यहां तक कि एक किलोग्राम वजन घटाना भी एक अच्छी बात है।" 

उन्होंने कहा, " मिठास वाले पेय से कैलोरी में कमी लाने पर (प्रतिदिन केवल एक सविर्ंग लेकर) 18 महीनों में लगभग दो-डेढ़ पाउंड वजन कम किया जा सकता सकता है। ठोस आहार के सेवन से शरीर सेल्फ-रेगुलेट कर सकता है। हालांकि हम जो पीते हैं, उस पर यह लागू नहीं होता है। शरीर लिक्विड कैलोरी को समायोजित नहीं करता है इसलिए समय के साथ इससे वजन बढ़ने लगता है।"

चिकित्सकों ने कुछ सुझाव : 

जटिल कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम ही करें क्योंकि वे रक्त शर्करा के स्तर और इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाते हैं। इंसुलिन प्रतिरोध वाले लोगों में, इस वृद्धि से आगे वजन बढ़ सकता है। नियमित अंतराल पर अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।

सप्ताह में पांच बार हर दिन लगभग 30 से 45 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने का लक्ष्य रखें।

किसी भी रूप में रिफाइंड चीनी का उपभोग न करें क्योंकि यह रक्त प्रवाह में अधिक आसानी से अवशोषित हो सकता है और आगे जटिलताओं का कारण बन सकता है।

ध्यान और योग जैसी गतिविधियों के माध्यम से तनाव कम करें।

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