Tuesday, May 07, 2024
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Margashirsha Purnima 2020: साल की आखिरी मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पूर्णिमा को स्नान-दान का बहुत ही महत्व होता है। आज किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करने से वर्ष भर तीर्थस्थलों पर स्नान का फल मिलता है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 29, 2020 14:03 IST
Margashirsha Purnima 2020: जानिए कब है साल की आखिरी पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि- India TV Hindi
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मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष  पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा भी कहा जाता है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार किसी भी महीने की पूर्णिमा के दिन जो नक्षत्र पड़ता है, उसी के आधार पर पूर्णिमा का नाम भी रखा जाता है। चूंकि इस पूर्णिमा पर मृगशीर्ष या मृगशिरा नक्षत्र पड़ता है, इसलिए इस पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।

पूर्णिमा के खास मौके पर मृगशिरा नक्षत्र शाम 5 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्व है। वैसे तो किसी भी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष के दौरान भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप की पूजा का अधिक महत्व है। अतः मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ ही उनके स्वरूप भगवान श्री कृष्ण की भी उपासना करनी चाहिए। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की उपासना का भी महत्व है। कहते हैं  इस  दिन चंद्रदेव अमृत से परिपूर्ण हुए थे।

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इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिनों तक होने से पूर्णिमा का व्रत 29 दिसंबर किया जाएगा, लेकिन स्नान-दान की प्रक्रिया 30 दिसंबर को किया जाएगी। पूर्णिमा को स्नान-दान का बहुत ही महत्व होता है। आज  किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करने से वर्ष भर तीर्थस्थलों पर स्नान का फल मिलता है। साथ ही इस दिन जो भी कुछ दान किया जाये, उसका कई गुना लाभ मिलता है। वास्तव में पूर्णिमा मनुष्य के अंदर छुपी बुराईयों को, निगेटिविटी को, अहंकार, काम, क्रोध, लोभ और मोह को दूर करने में सहायता करती है और जीवन में पॉजिटिविटी, प्रसन्नता और पवित्रता का संचार करती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-  29 दिसंबर सुबह 7 बजकर 56 मिनट

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 30 दिसंबर  सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कि जाती है। इस दिन मन को पवित्र करके स्नान करें और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। हो सके तो इस दिन किसी योग पंडित से पूजा कराएं।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनना और पढ़ना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा धूप, दीप आदि से करें। इसके बाद चूरमा का भोग लगाएं। यह इन्हें अतिप्रिय है। बाद में चूरमा को प्रसाद के रुप में बांट दें।

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पूजा के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा देना न भूलें। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपके ऊपर कृपा बरसाते है।  पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अमृत बरसाता है। इस दिन बाहर खीर रखना चाहिए। फिर इसका दूसरे दिन सेवन करें। अगर आपके कुंडली में चंद्र ग्रह दोष है, तो इस दिन चंद्रमा की पूजा करना चाहिए।

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