Sunday, May 19, 2024
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संतान प्राप्ति की है कामना, तो शनिवार को करें स्कंदमाता की पूजा

स्कंद माता का चार भुजाएं है, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े है और दाहिनी निचली भुजा में जो ऊपर की ओर उठा है उसमें कमल लिए हुए है। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। जानिए पूजा विधि के बारें में...

India TV Lifestyle Desk
Published on: March 31, 2017 19:42 IST
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धर्म डेस्क:  चैत्र नवरात्र के दुर्गा जी के पांचवे स्वरूप को स्कंद माता के रूप में पूजा जाता है। भगवान स्कंद कुमार यानि कि कार्तिकेय की माता होने के कारण दुर्गा जी को पूजा जाता है। भगवान स्कंद के बालरूप को माता अपनी गोद में बैठे होते है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होता है। संतान प्राप्ति हेतु इनकी पूजा फलदायी होती है।

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स्कंद माता का चार भुजाएं है, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े है और दाहिनी निचली भुजा में जो ऊपर की ओर उठा है उसमें कमल लिए हुए है। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है और चौथा हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। इनका वाहन सिंह है। स्कंद माता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है। इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज पाता है। सच्चें मन से मां की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें स्कंद माता की पूजा

देवी स्कन्द माता पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती हैं इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। माता पार्वती को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ अपना नाम लेना अच्छा लगती था। जिस कारण इन्हें माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। पांचवे दिन मां की विधि-विधान से पूजा करें। जैसे कि आपने चार दिन पूजा की उसी प्रकार इनकी भी पूजा होती है।

अगली स्लाइड में पढ़े पूरी पूजा

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