Friday, April 26, 2024
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सनातन धर्म के विरोध से मची खलबली, NCP नेता जितेंद्र आव्हाड बोले- हिंदू धर्म पूरी तरह है अलग

पिछले कुछ महीनों से महाराष्ट्र में हिंदुत्व की सियासत लगातार जोर पकड़ती जा रही है। कभी लव जिहाद तो कभी लैंड जिहाद पर सियासत होती रहती है, लेकिन अब शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने सनातन धर्म के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है।

Dinesh Mourya Reported By: Dinesh Mourya @dineshmourya4
Updated on: March 21, 2023 10:50 IST
जितेंद्र आव्हाड- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO जितेंद्र आव्हाड

महाराष्ट्र: एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सरेआम सनातन धर्म का विरोध करने का ऐलान कर खलबली मचा दी है। आव्हाड ने कहा है कि वो सनातन धर्म का विरोध करते रहेंगे, क्योंकि सनातन धर्म और हिंदू धर्म पूरी तरह से अलग है। हिंदू धर्म लोगों को जोड़ता है, जबकि सनातन धर्म मनुवाद से प्रेरित है, जहां महिलाओं को सम्मान नहीं मिलता, छोटी जातियों के लोगों को अपमानित किया जाता है।  

महाराष्ट्र विधानसभा में आव्हाड के बयान का विरोध

महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को जब जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म पर बोलना शुरू किया, तब सत्ताधारी बीजेपी और शिंदे शिवसेना के विधायकों ने आव्हाड के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। सदन के बाहर सड़क पर हिंदूवादी संगठनों ने आव्हाड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विरोध बढ़ने के बाद सनातन धर्म पर अपना पक्ष रखते हुए आव्हाड ने कहा कि सनातन धर्म रूढ़िवादी परंपराओं को बढ़ावा देता है। 

आव्हाड ने आगे कहा, "बुद्ध को जिसने सताया वह सनातन धर्म, सनातनियों से परेशान होकर ही हिंदू धर्म से बाहर निकलकर महावीर जैन भगवान ने जैन धर्म की स्थापना की। इन्हीं सनातनियों की वजह से संत ज्ञानेश्वर के माता-पिता को खुदकुशी करनी पड़ी थी। मनुवादी सनातनियों ने संत तुकाराम महाराज को भी काफी परेशान किया था। शिवाजी महाराज को उनके मुंह पर तुम शूद्र हो इसलिए तुम्हारा राज्य अभिषेक नहीं करेंगे, ये इन्हीं मनुवादी सनातनियों ने कहा था।" 

उन्होंने कहा, "संभाजी महाराज को औरंगजेब के हाथों पकड़वाने के लिए जिसने टिप दी थी वह कौन थे, यही सनातनी थे। सनातनियों ने हमारे समाज में जाति-जाति का भेदभाव पैदा किया, किसी भी जाति के लोगों को इंसान की तरह जीने नहीं दिया। कई वर्षों तक मनुवादी सनातनियों ने समाज के 97 फीसदी आबादी को धर्म की मुख्यधारा से अलग कर रखा, उन्हें प्रताड़ित किया।"

'विधवा होने पर उनके बाल नोच-नोचकर निकाले जाते थे'

आव्हाड ने कहा, "सनातन धर्म में ब्राम्हण महिला के विधवा होने पर उनके बाल नोच-नोचकर निकाले जाते थे, लड़कियों को मासिक आने के बाद 4 दिनों तक घर से बाहर रखा जाता था। इन्हीं परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए महात्मा ज्योतिबा फुले ने उनका विरोध किया। फुले ने अपनी पत्नी को पढ़ाया और फिर अन्य स्त्रियों को भी पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। सनातन धर्म के अत्याचारों के खिलाफ ताबूत में आखिरी कील बाबासाहेब अंबेडकर ने ठोकी थी, जब उन्होंने मनुस्मृति को जलाया था, कालाराम मंदिर में पूजा की थी और चवदार तालाब में पानी पीकर उस तालाब को आम जनता के लिए खुला किया था।"

वसुधैव कुटुंबकम का नारा देने वाला हमारा हिंदू धर्म है: आव्हाड

आव्हाड ने आगे कहा, "हमारा विरोध सनातन धर्म को है, ना कि हिंदू धर्म को, यह आप समझिए। वसुधैव कुटुंबकम का नारा देने वाला हमारा हिंदू धर्म है, जबकि दूसरों को नीचे दिखाने वाला, छोटा समझने वाला सनातन धर्म है, इसलिए जब मैं कहता हूं कि मैं सनातन धर्म का विरोध करता हूं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं हिंदू धर्म का विरोध करता हूं। फिर एक बार सनातन धर्म आएगा, तो हमारी बहनों को घर के बाहर रखा जाएगा, फिर एक बार हमारी बहनों को स्कूल जाने नहीं दिया जाएगा। हमारे बाप दादाओं को मंदिरों में जाने नहीं दिया गया, वह इंसानों की तरह जी नहीं पाए सिर्फ और सिर्फ इन मनुवादियों की वजह से, इसलिए इन मनुवादियों सनातनियों का विरोध करना हमारा कर्तव्य है।"

उन्होंने कहा, "हिंदू धर्म हमेशा ही सनातन धर्म के खिलाफ खड़ा रहा है। जिन लोगों को आज तक यह नहीं पता चल पाया है कि आखिर सनातन धर्म में क्या है, वही आज सड़क पर उतरकर मोर्चा निकाल रहे हैं।"

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