7 सितंबर 1977 को जन्मे सचिन पायलट भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रिमंडल में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रहे हैं। ये चौदहवीं लोकसभा में राजस्थान के दौसा लोकसभा क्षेत्र का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से प्रतिनिधित्व करते हैं। वे गुर्जर समुदाय से हैं। उनके पिता स्वर्गीय राजेश पायलट थे जो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से थे। पायलट की प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल में हुई। उन्होंने अपने स्नातक की डिग्री दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस महाविद्यालय से हासिल की। इसके बाद पायलट ने अमरीका स्थित पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री भी हासिल की। भारत लौटने पर 2002 में अपने पिता के जन्मदिन 10 फरवरी को सचिन कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। इस अवसर पर एक बड़ी किसान सभा का आयोजन भी किया गया। 13 मई 2004 को पायलट चौदहवीं लोकसभा के लिए दौसा सीट से चुने गए जिसमें उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 1.2 लाख मतों से हराया। 26 साल की उम्र में वे भारतीय सांसद बनने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे। 2009 में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया और अब 2018 में उन्होंने राजस्थान का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।
बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर सचिन पायलट की बहन को उमर अब्दुल्ला की पत्नी बताते हुए उनके तलाक को लेकर फर्जी दावा किया जा रहा है।
सचिन पायलट से यह पूछा गया कि अतीत में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें 'निकम्मा', 'नकारा' और 'गद्दार' जैसे नामों से बुलाया था और क्या वह इन बातों को भूल चुके हैं। इस पर पायलट ने अब जवाब दिया है।
सचिन पायलट ने कहा, कांग्रेस पार्टी में कोई अशोक गहलोत गुट या सचिन पायलट गुट नहीं है। यह सब घर के है। मैं इस वक्त कह देता हूं कि जो भी उम्मीदवार है, जो भी प्रतिनिधि है वह सब हमारे गुट के हैं और यह हो सकता है कि किसी भी गुट के नहीं है।
सियासी जानकारों का कहना है कि कद के हिसाब से सचिन पायलट कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष बनाए जा सकते थे लेकिन यह जिम्मेदारी गोविंद राम मेघवाल को दी गई है।
राजस्थान कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई है, एक पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरे पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का कब्जा है।
हनुमान बेनीवाल ने कहा, राज्यपाल का काम सरकार द्वारा लिखित में दी गई बातों को पढ़ने तक ही सीमित है, बल्कि सरकार को इसे खुद ही पढ़ना चाहिए। आखिर ये पोस्ट किसलिए है? इस छोटे से काम के लिए राज्यपाल? इसे ख़त्म किया जाना चाहिए क्योंकि राज्यपाल केवल एक डाकिया का काम कर रहे हैं।
सचिन पायलट ने भरोसा जताया है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार की वापसी होगी। राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना व मध्य प्रदेश में इस साल प्रस्तावित विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इनके परिणामों का 2024 के लोकसभा चुनाव पर गहरा असर होगा।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC के सदस्यों के नामों का ऐलान किया गया। इसमें सचिन पायलट को भी जगह दी गई है। इस साल के अंत में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पायलट को CWC का सदस्य बनाया गया है।
सचिन पायलट भाजपा IT के हेड अमित मालवीय के एक ट्वीट को लेकर उन पर बरस गए। अपने ट्विट के जरिए उनको फैक्ट्स और तारीख की याद दिलाई।
राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले को लेकर कहा कि मानहानि कानून के 150 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि किसी को 2 साल की सजा सुनाई गई है।
राजस्थान सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा अब सीएम गहलोत और उनकी सरकार पर हमलावर हैं। गुढ़ा आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने सच बोला और इसी बात की सजा उन्हें दी गई है।
राजेंद्र गुढ़ा ने आरोप लगाया है कि उनसे उनकी लाल डायरी भी छीन ली गई, जिसमें करोड़ों रुपये के उलटफेर और करोड़ों अरबों रुपये के लेन-देन की जानकारी थी।
मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के बाद राजेंद्र सिंह गुढ़ा सीएम अशोक गहलोत पर हमलावर हैं। गुढ़ा का कहना है कि उन्हें सच बोलने की सजा दी गई है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजेंद्र सिंह गुढ़ा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। गुढ़ा के पास सैनिक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा, पंचायती राज और ग्रामीण विकास के लिए राज्य मंत्री का प्रभार था।
इससे पहले राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने विधानसभा में राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाओं पर अपनी ही सरकार की आलोचना की थी। जिसके बाद कहा जा रहा था कि सीएम गहलोत खफा हैं।
राजेंद्र सिंह गुढ़ा के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है। बीजेपी ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का क्या हाल है, यह सरकार के ही मंत्री ने बता दिया है।
राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनाव और विवाद जगजाहिर है। इस बीच सचिन पायलट ने बड़ा बयान देकर राजनीतिक विवाद को ठंडा कर दिया है। पायलट ने कहा कि माफ करो और भूल जाओ के सिद्धांत पर चलूंगा।
इस साल जिन भी राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उससे पहले पार्टी सभी विवादों को सुलझाना चाहती है। इसी क्रम में अब बारी राजस्थान की है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ के विवाद को सुलझा लिया है और अब सारा ध्यान राजस्थान पर केंद्रित है।
इस साल जिन भी राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उससे पहले पार्टी सभी विवादों को सुलझाना चाहती है। इसी क्रम में अब बारी राजस्थान की है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ के विवाद को सुलझा लिया है और अब सारा ध्यान राजस्थान पर केंद्रित है।
महाराष्ट्र की सियासत में हुए घटनाक्रम के बाद राजस्थान कांग्रेस एक्टिव मोड में हो गई है। कांग्रेस नहीं चाहती कि विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में भी महाराष्ट्र जैसा कुछ हो। इसलिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ कांग्रेस आलाकमान ने बैठक की है।
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