सिंघु बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार चार जनवरी को हमारे पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो प्रदर्शनकारी किसान संगठन कड़े कदम उठाएंगे।
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना-प्रदर्शन आज 37वें दिन भी जारी है। आज दोपहर दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर बैठक होगी। इस बैठक के बाद शाम 5.30 बजे किसान प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
पार्टी ने हालांकि कहा है कि वह इस इस बारे में बीजेपी विधायक ओ. राजगोपाल से बात करेंगे, लेकिन सूत्रों ने कहा कि राजगोपाल के इस कदम से पार्टी हैरान है।
सरकार और किसानों के बीच वार्ता के एक ही दिन बाद किसान आंदोलन आज हिंसक झड़प में तब्दील हो गया। मामला राजस्थान और हरियाणा के शाहजहांपुर बॉर्डर की है। किसानों ने शाहजहांपुर बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेड तोड़ दिया है।
कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच करीब 5 घंटे चली छठे दौर की वार्ता खत्म होने के बाद किसान नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
किसान संगठनों के साथ छठे दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक में किसान नेताओं ने जो 4 विषय रखे, उनमें से दो विषयों पर आपसी रजामंदी हो गई है।
मोदी सरकार के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव ने इंडिया टीवी से नए कृषि कानूनों से किसानों को होने वाले फायदों सहित कई मुद्दों पर खास बातचीत की। हुकुमदेव नारायण यादव ने किसान आंदोलन पर कहा कि आज किसान के लिए राजनीति नहीं किसान के नाम पर राजनीति हो रही है।
कृषि कानूनों पर चर्चा के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने विज्ञान भवन में लंच ब्रेक के दौरान किसान नेताओं के साथ भोजन किया।
नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। सरकार ने किसान संगठनों को बुधवार 30 दिसबंर को एक बार फिर बातचीत के लिए बुलाया है जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
देशभर के कई हिस्सों में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन चल रहा है। दिल्ली के किसान आंदोलन का असर बिहार में भी दिखने लगा है। इन कानूनों के खिलाफ अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने मंगलवार को राजभवन की ओर मार्च किया।
राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड के बीच विकास यादव सिंघू बॉर्डर पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपने शरीर को तिरंगे से रंगकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
कांग्रेस ने किसानों के आंदोलन की पृष्ठभूमि में सोमवार को केंद्र सरकार एवं भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों से बातचीत करनी चाहिए और तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए।
दर्शनकारी किसान संगठन नये कृषि कानूनों को लेकर 30 दिसंबर को वार्ता के अगले दौर को लेकर सरकार के एक प्रस्ताव पर ‘‘सिद्धांतत:’’ सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने कहा कि केंद्र को अपने निमंत्रण में बैठक के एजेंडे के बारे में बताना चाहिए।
दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को फोन पर शनिवार शाम करीब पांच बजे एक अज्ञात व्यक्ति ने जान से मारने की धमकी दी है।
किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (27 दिसंबर) को सुबह 11 बजे रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित करेंगे। उधर किसानों ने 'मन की बात' कार्यक्रम का ताली-थाली बजाकर विरोध करने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 दिसंबर (सोमवार) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महाराष्ट्र के सांगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलने वाली 100 वीं ‘किसान रेल’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के सितारगंज कस्बे में कुछ आंदोलनकारियों ने पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की गई।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि कानून वापस लेना नामुमकिन है।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं किसान यूनियनों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण किसानों को ''बांटने और गुमराह'' करने का प्रयास प्रतीत होता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दावा किया कि केन्द्र के नये कृषि कानूनों से किसानों को किसी भी तरह का फायदा नहीं होगा जबकि नुकसान बहुत सारे होंगे।
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