75 years of independence: इस साल आजादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं। इसी उपलक्ष में हम आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजाद हो गया था जिसके बाद एक स्वतंत्र भारत की स्थापना हुई।
Subhash Chandra Bose: पूरी दुनिया दूसरे विश्वयुद्ध की आग में जल रही थी। उस समय भारत में भी स्वतंत्रता के लिए अहिंसक और सशस्त्र आंदोलन गति पकड़ रहा था। महात्मा गांधी अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, जबकि सशस्त्र आंदोलन की बागडोर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हाथों में थी।
Independence Day Special: दुनिया के हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना झंडा है। यह एक स्वतंत्र देश का प्रतीक है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को हुई संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था।
Anglo Indian: किसी क्षेत्र से चुनकर नहीं आते हैं। यह किसी खास समुदाय से संबंध रखते हैं जिन्हें राष्ट्रपति के द्वारा सीधे चयनित किया जाता है।
भारत में जरूरत और मांग के हिसाब से वक्त-वक्त पर नए राज्यों का गठन होता रहा है। 2019 में ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग करते हुए दो केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर मान्यता दी गई थी।
शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी गाथाएं देश के लिए दिन रात मेहनत करने के लिए देशवासियों को प्रेरित करती हैं।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को उनकी जयंती पर सादर नमन। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके साहस, संघर्ष और समर्पण की कहानी देशवासियों के लिए सदैव स्मरणीय रहेगी।’
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर महात्मा गांधी के विचारों का भी प्रभाव था, भले ही आजादी की जंग में गांधीजी से उनके मतभेद रहे हों, लेकिन बोस ने ही गांधीजी सबसे पहले राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी। 1938 और 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। हालांकि, 1939 में महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के साथ मतभेदों के बाद उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया औऱ पार्टी से अलग हो गए।
देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अथक प्रयास किए। उन्होंने ब्रिटेन के विरोधी देशों को जो विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की, ताकि वे अपनी ऐसी फौज बना सकें, जिससे वे अंग्रेजों से लड़ सकें। इसके लिए वे जर्मनी गए और हिटलर से मिले, जापान भी गए। उन्हें यहां से सहयोग भी मिला।
देश भारतमाता के वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। उनके जन्मदिन को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पराक्रम दिवस के रूप में मना रही है। अब गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत उनके जन्मदिन से प्रारंभ होगी। जानिए नेताजी कैसे राजनीति में आए, क्यों आईसीएस की परीक्षा से त्यागपत्र दे डाला और भी बहुत कुछ।
दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन कहे जाने वाले फ्रीडम 251 के निर्माता सहित तीन लोगों को द्वारका में एक बलात्कार पीड़िता को कथित तौर पर एक साल तक धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
वोडाफोन आइडिया ने अपने एक बयान में कहा कि उपभोक्ताओं खासकर युवाओं के बीच उपभोग पैटर्न से पता चलता है कि रात के समय सबसे ज्यादा डाटा का उपभोग होता है।
एयरटेल अपने ग्राहकों को 2 जीबी, 4 जीबी और 6 जीबी तक फ्री डाटा कूपन दे रही है। ये ऑफऱ 219 रुपये या उससे अधिक के प्लान के लिए है। प्लान के अपने फायदे भी ग्राहकों को मिलेंगे।
टेलीकॉम कंपनी Vodafone-idea ज्यादा-से-ज्यादा यूजर्स को अपने साथ जोड़ने के लिए 1GB डाटा मुफ्त में दे रही है
देश की आजादी की लड़ाई में कुछ नौजवानों का बलिदान इतना उद्वेलित करने वाला था कि उसने पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम का रूख बदलकर रख दिया इनमें एक नाम खुदीराम बोस का है, जिन्हें 11 अगस्त 1908 को फांसी दे दी गई।
यूनेस्को की आम सम्मेलन की सिफारिश के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया था।
चीनी सेना के एक वरिष्ठ जनरल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संयुक्त मोर्चा आगे बढ़ाने की कोशिशें जटिल हो गयी हैं क्योंकि कुछ देशों ने आतंकवादियों का चित्रण ‘‘स्वतंत्रता सेनानियों’’ के तौर पर करके आतंकवाद की परिभाषा का ‘‘दुरुपयोग’’ किया है।
लोकतंत्र समर्थक हजारों प्रदर्शनकारियों के सोमवार को हांगकांग हवाईअड्डे पर उमड़ने के बाद यहां से विमानों का परिचालन रद्द कर दिया गया। अपनी उड़ानों से हवाईअड्डा पर उतरने वाले यात्रियों का स्वागत हजारों की संख्या में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने किया, जिन्होंने ‘‘आजादी के लिए लड़ाई’’ के नारे लगाए।
केजरीवाल सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव में किए गए फ्री WiFi के चुनावी वादे को लेकर बड़ा ऐलान किया है। सीएम केजरीवाल ने कहा कि हर यूजर को महीने में 15 जीबी फ्री डेटा दिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का इतिहास और ‘राष्ट्र निर्माण’ में इसकी भूमिका को नागपुर स्थित एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। आरएसएस का मुख्यालय भी इसी शहर में है।
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