उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर समस्या के समाधान के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिये मोदी सरकार को शुरु में बेहतर प्रयास करने का श्रेय देते हुये कहा कि इसके बदले में पाकिस्तान से उपयुक्त जवाब नहीं मिला।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा अजेय नहीं है क्योंकि कृषि, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों, नोटबंदी समेत केन्द्र की कई नीतियों को लेकर लोगों के बीच ‘‘गुस्सा’’ है।
उमर अब्दुल्ला ने दावा किया कि उन्होंने रविवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को एक पत्र भेजने की कोशिश की लेकिन फैक्स मशीन अब भी काम नहीं कर रही।
राज्यपाल ने शनिवार को ग्वालियर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि उन्होंने विधानसभा इसलिए भंग की क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इतिहास में उन्हें एक ‘‘बेईमान’’ व्यक्ति के तौर पर याद किया जाए।
पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे।
राम माधव ने कहा था कि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने स्थानीय निकाय चुनावों का व्हिष्कार किया क्योंकि सीमापार से इसको लेकर निर्देश मिला होगा
राज्यपाल कार्यालय की तरफ से कहा गया था कि फैक्स मशीन खराब थी और सरकार बनाने के दावे को लेकर उनके पास किसी तरह का फैक्स नहीं आया
गौरतलब है कि बुधवार को कांग्रेस, एनसी और पीडीपी गठबंधन करके कथित तौर पर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने पर बोले उमर, 'फैक्स मशीन ने लोकतंत्र का क़त्ल किया'
पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। कांग्रेस, नेशनल कॉन्फेंस और पीडीपी तीनों इसे अपने फायदे से जोड़ कर देख रही है क्योंकि बीजेपी फिलहाल तो राज्य में चुनाव नहीं चाहती थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार का गठन करने के लिए वार्ता प्रारंभिक चरण में थी और केन्द्र की भाजपा सरकार इतनी चिंतित थी कि उन्होंने विधानसभा भंग कर दी।
उमर अब्दुल्ला भाजपा के महासचिव राम माधव को जवाब दे रहे थे, जिन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से पूछा है कि निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने पर क्या वे हिस्सा लेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ किसी तरह के गठबंधन की संभावना को खारिज किया।
तबादले के बाद एसपी वैद्य को जनरल एडमिनिस्ट्रेशन में भेजा गया है। उन्हें ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का पद दिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब प्रशासन के पास डीजीपी जैसे अहम पद के लिए एक फुलटाइम उम्मीदवार नहीं था तो अचानक एसपी वैद्य को तबादला क्यों किया गया।
जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने एक दूसरे पर ना केवल शब्दों से बल्कि अलग अलग इमोजी के सहारे वार किए। इस जंग का मैदान बना ट्विटर।
2019 लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की कोशिश थर्ड फ्रंट को खड़ा करने की है। इसमें उन दलों को शामिल किया जाएगा जो भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही साथ नहीं है। कई अन्य क्षेत्रीय दल भी इसमें ममता बनर्जी के साथ हैं।
डीओपीटी के नियम के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी को ऐसा करने की इजाजत नहीं है। अधिकारी का बचाव करते हुए उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "मैं इस नोटिस को नौकरशाही के अति उत्साह में आकर उठाए गए मामले के रूप में देखता हूं। वे उस समय की भावना को समझ नहीं पा रहे हैं, जिसमें हम रह रहे हैं।"
अब्दुल्लाह ने ट्वीट में भाजपा नेताओं को टैग करते हुए कहा, ‘‘राम माधव के दावे के विपरीत, प्रदेश भाजपा इकाई ने पीडीपी को तोड़ने के प्रयास पार्टी द्वारा किये जाने की बात स्वीकार की है। ऐसा लगता है कि किसी भी कीमत पर सत्ता दिशानिर्देशक सिद्धांत है।’’
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, राज्य के लोकनिर्माण मंत्री नईम अख्तर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज, स्थानीय पत्रकारों और समाज के सभी वर्गों के लोगों ने भी अंतिम संस्कार में शिरकत की। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी यहां मौजूद रहीं।
कर्नाटक में बंपर जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी की झोली में एक और राज्य आ गया है। अब बीजेपी और उसके सहयोगियों की 21 राज्यों में सरकार बन गई है। 22 में से 16 राज्यों में बीजेपी की अपने दम पर सरकार चला रही है जबकि 6 राज्यों में अपने सहयोगियों के साथ सत्ता में है। मतलब देश की करीब 70 फीसदी आबादी पर बीजेपी शासन कर रही है।
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