Saturday, April 27, 2024
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जम्मू-कश्मीर: राजभवन की 'फैक्स मशीन' ने नया राजनीतिक संग्राम छेड़ा

पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 22, 2018 22:52 IST
mehbooba mufti ghulam nabi azad and omar abdullah- India TV Hindi
mehbooba mufti ghulam nabi azad and omar abdullah

जम्मू: जम्मू कश्मीर में राजभवन की फैक्स मशीन को लेकर एक नया राजनीतिक संग्राम शुरू हो गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है क्योंकि मशीन काम नहीं कर रही थी। हालांकि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि राज्य में कल ईद उल मिलाद उन नबी की छुट्टी होने के कारण फैक्स ऑपरेटर उपलब्ध नहीं था।

पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे। महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी को नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का समर्थन मिला था जबकि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने भाजपा और अन्य दलों के 18 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था। हालांकि मलिक ने बुधवार की रात को राज्य विधानसभा भंग कर दी थी जिसके बाद सरकार बनाए जाने के उनके प्रयास असफल हो गए थे।

नेकां नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कटाक्ष करते हुए कहा,‘‘ऐसा पहली बार है जब एक फैक्स मशीन ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया।’’ उन्होंने श्रीनगर में पत्रकारों से कहा,‘‘यह फैक्स मशीन अजीब है, जिसमें श्रीनगर में यातायात प्रबंधन की तरह, केवल एक ही रास्ता है। यह मशीन एक संकेत पर काम करना बंद कर देती है और अगले संकेत पर काम करना शुरू कर देती है। केवल जाने वाले फैक्स, आने वाले फैक्स नहीं। इस फैक्स मशीन की जांच किए जाने की जरूरत है।’’

इस मुद्दे पर राजभवन का उपहास उडाते हुए हुए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा,‘‘इस पत्र को राजभवन भेजने की कोशिश कर रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से फैक्स प्राप्त नहीं हुआ है। फोन पर माननीय राज्यपाल से संबंध साधने का प्रयास किया गया। उपलब्ध नहीं है।’’

हालांकि राज्यपाल मलिक ने कहा कि उन्हें मालूम होना चाहिए कि ईद के दिन कार्यालय बंद थे और पीडीपी को एक व्यक्ति के हाथ पत्र भिजवा देना चाहिए था। राज्यपाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में इन आरोपों के जवाब देते हुए कहा कि दोनों (महबूबा और उमर) मुस्लिम श्रद्धालु हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि ईद के दिन कार्यालय बंद थे। विधानसभा भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए राज्यपाल ने दावा किया कि ‘‘विधायकों की व्यापक खरीद फरोख्त’’ चल रही थी और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचाराधाराओं’’ के साथ इन पार्टियों के लिए एक स्थिर सरकार बनाना असंभव था।

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