चीन, सऊदी अरब और ईरान के बीच 10 मार्च को हुए एक समझौते में दो महीने के भीतर राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने और दूतावासों और मिशनों को फिर से खोलने की बात कही गई थी। सऊदी अरब और ईरान की यह दोस्ती अमेरिका के ही बड़े दुश्मन चीन ने करवाई है।
सऊदी अरब और ईरान की यह दोस्ती अमेरिका के ही बड़े दुश्मन चीन ने करवाई है। इससे अमेरिका को और ज्यादा मिर्ची लगी है। बाइडन प्रशासन ने आनन फानन में सीआइए चीफ को सऊदी अरब भेजा और सीआईए चीफ ने प्रिंस सलमान की क्लास लगा दी।
आर्थिक तंगी से कराहते पाकिस्तान के कटोरे में सऊदी अरब ने आखिरकार 2 अरब डालर की अतिरिक्त भीख डाल दी है। इससे निश्चित रूप से भूख से तड़पते पाकिस्तान को कुछ ना कुछ राहत जरूर मिलेगी। मगर क्या अब इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए मेहरबान हो सकता है।
पाकिस्तान में सऊदी अरब के राजदूत ने हाल ही में संकेत दिए थे कि उनके देश ने ‘मुश्किल हालात में हमेशा पाकिस्तान की मदद की है और जल्द ही अच्छी खबर दी जाएगी।
सऊदी अरब और ईरान अपनी अपनी राजधानी और अन्य शहरों में राजनयिक मिशन को फिर से खोलने पर सहमत हो गए हैं। ईरान की अर्ध.सरकारी समाचार एजेंसी आईएसएनए ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में एक समझौता बृहस्पतिवार को बीजिंग में ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुआ।
फांसी 28 मार्च यानी रमजान माह के पांचवें दिन दी गई। फांसी की यह सजा मुस्लिमों की दूसरे सबसे पवित्र स्थल मदीना में दी गई। यूरोपीय सऊदी संगठन के अनुसार सऊदी अरब में 2009 के बाद रमजान के महीने में पहली बार मौत की सजा दी गई है।
मिस्र वही देश है जिसके राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के बतौर भारत आए थे। मिस्र के राष्ट्रपतिअल सीसी ने अब सऊदी अरब का रूख किया है। यहां उन्होंने सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सुलेमान से मुलाकात की।
मुसीबत के वक्त पाकिस्तान की मदद करते आया है सऊदी अरब। लेकिन अब वह भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के साथ बड़ी डील कर चुका है। भारत की इंटेलीजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग ‘रॉ‘ और सऊदी के बीच एक एतिहासिक समझौता हुआ है। इस समझौते के बाद रॉ को आतंकवाद के खिलाफ बड़ी मदद मिलेगी।
इस बार भारतीय हज यात्रियों को लेकर अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय मिलकर काम कर रहा है। इससे पहले अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ही अकेले काम देखता था।
डेनमार्क में हुई इस घटना के बाद मुस्लिम देशों ने कड़ा आक्रोश जताया।मुस्लिम देशों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। तुर्की ने शनिवार को इस घटना की निंदा की। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया और बयान में इस घृणित अपराध बताया।
सऊदी अरब ने मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में ईरान के साथ सुलह समझौते को मंजूरी दे दी है। विश्लेषकों का कहना है कि इसके जरिए सऊदी प्रिंस खाड़ी देशों की समृद्धि को ध्यान में रख रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सऊदी अरब में तैनात पाकिस्तानी राजदूत अमीर खुर्रम राठौर से खफा बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि राठौर को जल्द ही वापस बुलाया जा सकता है। बमुश्किल एक साल पहले उनकी पोस्टिंग पूर्व पीएम इमरान खान ने की थी।
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि महिला कैडेट्स अपने सैन्य यूनिफॉर्म में हैं। ये सभी लड़कियां किंग फहद सिक्योरिटी कॉलेज से सोमवार को ग्रेजुएट हुई हैं। इस दौरान वह अपनी खुशी का इजहार कर रही थीं।
सऊदी अरब की राजधानी रियाद में भारत-गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल की बैठक में भारत की दिल खोलकर अगवानी की है। दरअसल पाकिस्तान ने हाल के समय में कई बार मुस्लिम दोस्त सऊदी अरब से कर्ज की भीख मांगी है। लेकिन सऊदी अरब ने उसे 'भाव' नहीं दिया।
सऊदी अरब ने पाकिस्तान को किसी तरह का बेलआउट या बिना ब्याज का कर्ज देने से इनकार कर दिया है। अपने मुस्लिम दोस्त के इस निर्णय से पाकिस्तान हैरान है।
मजान को लेकर सऊदी में 22 मार्च से नए गाइडलाइंस को जारी करते हुए लागू करने की घोषणा की है। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक सऊदी में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर्स पर पूरी तरह के प्रतिबंध रहेगा वहीं नमाज का लाइव प्रसारण नहीं किया जाएगी।
चीन ने अमेरिका को पसंद न करने वाले दोनों मुस्लिम देशों को की दोस्ती कराकर कई संदेश दिए हैं। चीन की अरब देशों में जो अहमियत शुक्रवार को हुई इस बैठक के बाद दोस्ती से बढ़ी है, वह कई मायनों में अहम है।
इन नियमों के तहत सऊदी में लाऊडस्पीकर पर पूरी तरह से बैन रहेगा। साथ ही अजान का लाइव प्रसारण भी नहीं किया जाएगा। बता दें कि सऊदी सरकार द्वारा यह फैसला लिए जाने के बाद दुनियाभर के मुस्लिम धर्मगुरु नाराज हैं और इस फैसले पर उन्होंने आपत्ति जताई है।
सऊदी सरकार ने नमाजियों से यह भी अनुरोध किया है कि वे बच्चों को मस्जिदों में न लाएं क्योंकि इससे नमाजियों को परेशानी होगी और उनकी इबादत में खलल पड़ सकता है। इस्लामिक देश सऊदी अरब के इस कदम पर दुनियाभर के कई मुसलमानों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
बाइडन प्रशासन के साथ बातचीत में इजरायल से रिश्ते सामान्य करने के लिए सऊदी अरब जो शर्त अमेरिका के समक्ष रख रहा है, उनमें परमाणु कार्यक्रम शुरू करने की मांग भी है। यदि अमेरिका इस पर एग्री हो जाए तो मिडिल ईस्ट की राजनीतिक में बड़ा परिवर्तन आ जाएगा।
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