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न जय-वीरू, न गब्बर, ये है 'शोले' का सबसे फेमस किरदार, सिर्फ तीन बार ही फिल्म में आया नजर

'शोले' 15 अगस्त को 50 साल पूरे कर रही है। इस फिल्म की कहानी लोगों की फेवरेट है और आज भी लोग इसे देखना काफी पसंद करते हैं। वैसे इस फिल्म का सबसे फेमस किरदार कौन सा है? अगर आप इसका जवाब जय-वीरू या गब्बर सोच रहे हैं तो ये पूरी तरह गलत है।

Written By: Jaya Dwivedie @JDwivedie
Published : Aug 14, 2025 01:32 pm IST, Updated : Aug 14, 2025 01:32 pm IST
Sholay- India TV Hindi
Image Source : SHOLAY POSTER शोले की कास्ट।

भारतीय सिनेमा में कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो भले ही बहुत कम स्क्रीन टाइम या संवादों के साथ आए हों, लेकिन फिर भी दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ जाते हैं। ऐसा ही एक किरदार था 1975 की कल्ट क्लासिक फिल्म 'शोले' का, जिसे लोग सालों बाद भी नहीं भूले हैं। फिल्म में ये किरदार सिर्फ तीन बार ही नजर आया, लेकिन फिर भी लोगों का पसंदीदा और सबसे फेमस किरदार बन गया। अगर आप सोच रहे हैं कि ये किरदार जय-वीरू, गब्बर, बसंती या ठाकुर है तो आप गलत हैं, क्योंकि जिस किरदार को सबसे ज्यादा लोकप्रियता मिली वो एक सहायक खलनायक का रोल था। अपनी खामोशी और सिर्फ तीन शब्दों के संवाद से ये किरदार अमर हो गया। जी हां, हम बात कर रहे हैं 'सांभा' की, जिसे दिवंगत अभिनेता मैक मोहन ने निभाया था।

फिल्म में मैक मोहन की दिखी बस इतनी झलक

'शोले' में जहां गब्बर सिंह (अमजद खान) आतंक का चेहरा थे, वहीं उनके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा सांभा एक साइलेंट साथी की तरह दिखाई देता है। उसने फिल्म में मुश्किल से तीन शब्द बोले 'पूरे पचास हजार' बोले थे, लेकिन इन शब्दों की गूंज आज भी बॉलीवुड की पॉप संस्कृति में सुनाई देती है। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म में उनका नाम सिर्फ तीन बार लिया गया और संवाद भी गिनती के ही थे, फिर भी दर्शक उन्हें वीरू, जय, बसंती और ठाकुर जैसे मुख्य किरदारों की तरह याद करते हैं।

Mac mohan

Image Source : @FILMYNOSTALGIA
मैक मोहन।

मैक मोहन का सफर

मैक मोहन का असली नाम मोहन मखीजानी था। वे 1938 में कराची (उस समय का ब्रिटिश भारत) में जन्मे थे और विभाजन के बाद भारत आ गए। अभिनय में रुचि उन्हें थिएटर तक ले गई और फिर फिल्मों में कदम रखा। उन्होंने अपने करियर में करीब 200 फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें से ज्यादातर में उन्होंने सहायक या नकारात्मक किरदार निभाए। हालांकि 'शोले' में उनका रोल बेहद छोटा था, लेकिन सांभा के रूप में उन्होंने जो पहचान बनाई, वह आज भी लोगों की यादों में ताजा है। 'डॉन', 'जंजीर', 'शान', 'सत्ते पे सत्ता', और 'कर्ज' जैसी फिल्मों में उन्होंने अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर की।

एक अभिनेता जो संवादों से नहीं, उपस्थिति से बोलता था

मैक मोहन की सबसे बड़ी ताकत उनकी स्क्रीन प्रेजेंस थी। उनके किरदारों में एक खास स्टाइल, रहस्य और गहराई होती थी। वो चुप रहकर भी बहुत कुछ कह जाते थे। यही वजह है कि दर्शकों ने उन्हें हर बार नोटिस किया और पसंद किया। 2010 में फेफड़ों के कैंसर से उनका निधन हो गया, लेकिन आज भी सिनेमा प्रेमी और फिल्म निर्माता उन्हें एक आइकॉनिक पॉप कल्चर फिगर मानते हैं। उनकी दोनों बेटियां विनती और  मंजरी, अब खुद फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हैं, अक्सर उनके जीवन और अभिनय के प्रति उनके समर्पण को याद करते हुए भावुक हो जाती हैं। दोनों  ही फिल्मे मेकर हैं, जिनका डंका हॉलीवुड में भी बज चुका है।

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