Saturday, April 27, 2024
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एक रथ के चक्कर में मारा गया था मेघनाद, विभीषण ने बताया था वध का तरीका

अगर विभीषण मेघनाद वध का राज न खोलते तो मेघनाद को मारना मुश्किल था, कैसे पेड़ का आड़ में तोड़ा गया मेघनाद का खास रथ।

India TV Entertainment Desk Edited by: India TV Entertainment Desk
Updated on: April 15, 2020 11:49 IST
how meghnad killed- India TV Hindi
Image Source : FB कैसे मारा गया मेघनाद

कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन है औऱ जनता के मनोरंजन के लिए दूरदर्शन पर ऐतिहासिक सीरियल रामायण दिखाया जा रहा है। रामायण लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। रामायण में राम रावण युद्ध आरंभ हो चुका है और युद्ध में रावण के कई बेटों समेत भाई कुंभकरण भी मारा जा चुका है। लेकिन मेघनाद के आते ही पासा पलट गया है। अब रावण ने मेघनाद को युद्ध में भेजा है और मायावी शक्तियों का मालिक मेघनाद राम की वानर सेना में गदर मचाने वाला है। 

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दरअसल मेघनाद रावण का सबसे वीर योद्धा पुत्र था। मेघनाद कई मायावी शक्तियों का स्वामी था। उसने ब्रह्मा की आराधना करके उनसे कई विद्याएं सीखी थी जिनका प्रयोग करके वो इंद्र को भी परास्त कर चुका था। मेघनाद नाग विद्या भी जानता था औऱ अपनी इसी शक्ति के बल पर मेघनाद ने युद्ध के मैदान में श्री राम और लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था। 

मेघनाद को हराना नामुमकिन था अगर विभीषण श्रीराम को मेघनाद की कमजोरियां न बताते। नागपाश से जब हनुमान जी ने श्रीराम और लक्ष्मण को बचाया उसके बाद भी मेघनाद लक्ष्मण को शक्तिबाण से मूर्छित करके युद्ध के मैदान से निकल गया। मेघनाद के इन कारनामों से रावण बहुत प्रसन्न था लेकिन श्री राम के खेमे में उदासी का माहौल था। 

हनुमान की मदद से जब संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की मूर्छा टूटी तो विभीषण ने मेघनाद को खत्म करने का सुझाव दिया ताकि श्रीराम की सेना को औऱ दुख न झेलने पड़ें। 

विभीषण ने श्रीराम को बताया कि मेघनाद तभी मारा जा सकता है जब वो अपने अग्निरथ के अलावा किसी अन्य रथ पर सवार होकर युद्ध लड़े। ये अग्नि रथ ही मेघनाद की शक्ति का परिचायक था। मेघनाद अपनी कुलदेवी निकुंबला के लिए यज्ञ करके इस खास रथ को प्राप्त करता था जो उसे विजयश्री दिलाता था।

विभीषण की सलाह पर लक्ष्मण ने मेघनाद के यज्ञ में बाधा उत्पन्न की जिससे वो गायब होने की शक्ति प्राप्त नहीं कर सका। इसके बाद जब वो अग्निरथ पर सवार होकर युद्ध के लिए निकला तो पेड़ की आड़ से लक्ष्मण ने रथ के पहिए को तोड़ डाला और सारथी को भी मार डाला। 

तब मेघनाद वापस लंका में लौटा और  सामान्य रथ पर सवार होकर युद्ध के मैदान में आया। इस बार उसके पास अग्निरथ नहीं था और मायावी शक्तियां भी कम थी, लिहाजा लक्ष्मण ने उसका वध कर डाला।

मेघनाद का वध होने के बाद रावण का हौंसला टूट गया। इसके बाद उसका भी जल्द ही अंत हो गया।                   

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